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शिक्षकों के क्रियात्मक अनुसंधान के लिए आयोजित हुई कार्यशाला


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शिक्षकों के क्रियात्मक अनुसंधान के लिए आयोजित हुई कार्यशाला

शिक्षकों के क्रियात्मक अनुसंधान के लिए आयोजित हुई कार्यशाला

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : डाइट एवं पीरामल फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान तथा जिला शिक्षा अधिकारी और डाइट प्रिंसिपल सुमित्रा झाझड़िया के मार्गदर्शन में जिला स्तरीय चार दिवसीय क्रियात्मक अनुसंधान कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जिले के 40 शिक्षकों की क्षमता का संवर्धन किया गया।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को क्रियात्मक अनुसंधान की अवधारणा, उसकी महत्ता, अनुसंधान करने की विधियाँ एवं रणनीतियों से परिचित कराना था, ताकि वे अपने विद्यालय और कक्षा-कक्ष में शिक्षण पद्धतियों को और प्रभावी बना सकें। कार्यशाला में 21वीं सदी की शिक्षण विधियों और सीखने–सिखाने के नए आयामों को क्रियात्मक अनुसंधान में शामिल करने पर विशेष बल दिया गया।

कार्यशाला का संचालन आई एफ आई सी प्रभागाध्यक्ष डॉ. राजबाला ढाका व प्रभारी अलका एस.आर.जी.सुरेंद्र सिंह, चंद्रभान तथा पीरामल फाउंडेशन के सीनियर प्रोग्राम लीडर अशगाल खान द्वारा किया गया। चार दिनों तक शिक्षकों को उनके विद्यालयों, कक्षा-कक्षों एवं स्थानीय संदर्भों में आने वाली चुनौतियों पर अनुसंधान करने के लिए प्रेरित किया गया।

कार्यशाला के दौरान शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए 21वीं सदी से संरेखित विषयों पर क्रियात्मक अनुसंधान के लिए विषय चयन किया। इनमें प्रमुख रूप से परियोजना आधारित शिक्षण, सामाजिक-भावनात्मक एवं नैतिक शिक्षा, शारीरिक साक्षरता, सौंदर्य साक्षरता, समावेशी शिक्षा, डिजिटल साक्षरता एवं विविधता जैसे विषय शामिल रहे।

संचालन के दौरान डॉ. राजबाला ढाका ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण जिले की शिक्षण पद्धतियों को सुदृढ़ करते हैं, विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक होते हैं और शिक्षण संस्थानों को नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

शिक्षकों ने कार्यशाला में न केवल क्रियात्मक अनुसंधान की गहन समझ विकसित की, बल्कि अपने विद्यालय और पंचायत स्तर पर किए गए अनुभवों और अवलोकनों को साझा करते हुए अपने अनुसंधान विषयों पर कार्य प्रारंभ किया। कार्यशाला के अंतर्गत शिक्षकों ने अपने अनुसंधान विषयों की सिनोप्सिस भी तैयार की, जिसमें समस्या, उसका महत्व, उद्देश्य, डेटा संग्रहण आदि बिंदुओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया।

कार्यशाला के अंत में सुरेन्द्र सिंह, मनोज मुंड, आशीष चौधरी, दीपिका, मनीषा एवं अन्य प्रतिभागियों ने कार्यशाला की गुणवत्ता एवं 21 वीं शदी पर आधारित क्रियात्मक अनुसंधान पर साझा समझ सभी के साथ व्यक्त किए।

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