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झुंझुनूं में तीसरे दिन भी न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर:कोर्ट का कामकाज ठप हुआ; बोले- ‘अब आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए’


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झुंझुनूं में तीसरे दिन भी न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर:कोर्ट का कामकाज ठप हुआ; बोले- ‘अब आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए’

झुंझुनूं में तीसरे दिन भी न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर:कोर्ट का कामकाज ठप हुआ; बोले- 'अब आश्वासन नहीं, आदेश चाहिए'

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में न्यायिक कर्मचारियों का कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रहा, जिससे न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप रहा। जिलेभर के न्यायिक कर्मचारी कोर्ट परिसर से निकलकर कलेक्ट्रेट के बाहर धरने पर बैठे रहे। कर्मचारियों ने नारेबाजी करते हुए स्पष्ट किया कि उन्हें अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि कैडर पुनर्गठन का आदेश चाहिए।

आंदोलन की चेतावनी

झुंझुनूं मुख्यालय के साथ-साथ जिले के सभी उपखंडों- नवलगढ़, चिड़ावा, सूरजगढ़, मंडावा, खेतड़ी, उदयपुरवाटी, बुहाना और सिंघाना से न्यायिक कर्मचारी सोमवार को कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने अपनी वर्षों पुरानी मांग को दोहराते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो इस आंदोलन को पूरे प्रदेश में व्यापक रूप दिया जाएगा।

न्याय व्यवस्था पर सीधा असर

अदालतों में लगातार तीसरे दिन कामकाज ठप रहने से न्याय व्यवस्था पर सीधा असर पड़ा है। नियमित सुनवाई वाले मामलों की तारीखें टल गईं, और जमानत, गवाही, रिमांड व अन्य महत्वपूर्ण कानूनी कार्यवाही नहीं हो पाई। वकील और वादकारी खासे परेशान दिखे। कुछ लोगों ने कहा कि सरकार और कर्मचारियों के बीच इस टकराव का खामियाजा सीधे तौर पर आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

‘आंदोलन थमने वाला नहीं’

न्यायिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सुभाष मूंड ने कड़े शब्दों में कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार कैडर पुनर्गठन का आदेश जारी नहीं करती। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई सिर्फ वेतन या पदोन्नति की नहीं है, यह हमारे आत्मसम्मान की लड़ाई है। वर्षों की सेवा के बाद भी जब सरकार हमारी बातों को नजरअंदाज कर रही है, तो मजबूरी में हमें सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।”

सरकारी विभागों में समन्वय का अभाव बनी बाधा

संघ के वरिष्ठ सदस्य महेन्द्र मूंड ने बताया कि कैडर पुनर्गठन को लेकर कई बार प्रस्ताव तैयार हो चुके हैं, लेकिन कार्मिक विभाग, न्याय विभाग और वित्त विभाग के बीच समन्वय की कमी के चलते निर्णय टलता जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, “हमने मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन भेजा है और विधि मंत्री से भी मिले हैं, पर हर बार फाइलें दबा दी जाती हैं।” कर्मचारियों का कहना है कि 2013 से लंबित इस मांग पर सरकार 2025 में भी सिर्फ समय ले रही है। “यदि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं, जिससे न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी,” एक कर्मचारी ने चेताया।

लगातार तीसरे दिन न्यायालयों में जमानत, रिमांड, स्टे, गवाही और अन्य सुनवाई न हो पाने से आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों से आए वादकारी बिना सुनवाई के ही निराश होकर लौटते दिखे। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब कई राज्यों में न्यायिक कर्मचारियों की कैडर व्यवस्था में सुधार किया जा चुका है, तो राजस्थान सरकार क्यों पीछे है? उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोसी राज्यों में समान पद पर बेहतर वेतन और पदोन्नति की व्यवस्था है, लेकिन राजस्थान में वर्षों बाद भी स्थिति जस की तस है।”

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