झुंझुनूं में टॉयलेट स्कीम का हाल, सिर्फ 7.74% काम हुआ:500 लाभार्थियों के 60 लाख रुपए अटके; बोले-जियो टैगिंग नहीं
झुंझुनूं में टॉयलेट स्कीम का हाल, सिर्फ 7.74% काम हुआ:500 लाभार्थियों के 60 लाख रुपए अटके; बोले-जियो टैगिंग नहीं

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत शौचालय निर्माण का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। 2025-26 के लिए तय टारगेट 2001 शौचालय का है। लेकिन अब तक सिर्फ 655 ही बने हैं। इनमें भी जियो टैगिंग सिर्फ 155 शौचालय की ही हो सकी है। यानी टारगेट का महज 7.74% काम ही हो पाया है। इसके चलते झुंझुनूं जिला परिषद राज्य की 33 जिला परिषदों में 25वें स्थान पर खिसक गया है।
राजस्थान की बात करें तो योजना के तहत प्रदेशभर में 1.20 लाख शौचालय बनने हैं। इनमें से सिर्फ 7594 शौचालय की ही जियो टैगिंग हुई है। यह कुल लक्ष्य का केवल 6.33% है। इस हिसाब से झुंझुनूं का प्रतिशत सिर्फ 0.12 है।

जिले में 500 शौचालय की जियो टैगिंग नहीं
झुंझुनूं जिले में स्कीम में बने 655 शौचालय में से 500 की जियो टैगिंग नहीं हुई। ऐसे में लाभार्थियों को 12 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। सभी वंचित लाभार्थियों की बात करें तो 60 लाख रुपए होती है। जब तक टैगिंग नहीं होगी, राशि नहीं मिलेगी। जियो टैगिंग की जिम्मेदारी ग्राम विकास अधिकारियों (VDO) की होती है। ग्राउंड की पड़ताल में सामने आया है कि अधिकांश वीडीओ इस प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रहे। ऐसे में जिले की रिपोर्ट खराब आ रही है।

समन्वयक ने कहा- अब VDO की जिम्मेदारी तय
जिला परिषद और एसबीएम समन्वयक सुमन चौधरी से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि जियो टैगिंग की रफ्तार धीमी है। जमीनी स्तर पर लापरवाही हुई है। अब उच्च अधिकारियों ने सख्ती दिखाई है। जिला परिषद ने सभी VDO को निर्मित शौचालयों को जियो टैगिंग 7 दिन में कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। जल्द टैगिंग कर लंबित भुगतान जारी कराए जाएंगे।
लोग बोले- शौचालय बना लिया, अब पैसे नहीं मिल रहे
हमारी टीम झुंझुनूं शहर से 20 किलोमीटर दूर चुड़ैला गांव पहुंची। गांव के निवासी सतपाल ने बताया- हमने अपने पैसे से शौचालय बनवा लिए। अब पैसा नहीं मिल रहा। कई बार ग्राम विकास अधिकारी से संपर्क किया। हर बार बहाने सुनने को मिले। चुड़ैला का बास गांव के निवासी अमित ने कहा- सरकार कहती है टॉयलेट बनाओ, हमने अपनी लागत लगाकर टॉयलेट बनवा लिए। अब सरकार पैसा नहीं दे रही, वीडीओ फोन नहीं उठाता।
क्या है स्कीम
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत सरकार गांवों के खुले में शौचमुक्त कर रही है। स्कीम के तहत टॉयलेट बनवाने वाले पात्र व्यक्ति को 12 हजार रुपए की मदद दी जाती है। पात्रता की शर्तों में एससी, एसटी, बीपीएल, दिव्यांगजन, विधवा/एकल महिला, लघु और सीमांत किसान शामिल हैं।
जियो टैगिंग क्यों जरूरी?
जियो टैगिंग एक तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें बनाए गए शौचालय की लोकेशन और फोटो को सरकारी पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। यह प्रमाण होता है कि शौचालय वास्तव में बना है। इस प्रक्रिया के बाद ही लाभार्थी को प्रोत्साहन राशि जारी की जाती है।