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झुंझुनूं में “मां के नाम एक पेड़:कलेक्टर मीणा ने भी अपनी मां स्मृति में लगाया पौधा, 22 लाख पौधों का लक्ष्य, काटली नदी के पुनर्जीवन की भी तैयारी


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झुंझुनूं में “मां के नाम एक पेड़:कलेक्टर मीणा ने भी अपनी मां स्मृति में लगाया पौधा, 22 लाख पौधों का लक्ष्य, काटली नदी के पुनर्जीवन की भी तैयारी

झुंझुनूं में "मां के नाम एक पेड़:कलेक्टर मीणा ने भी अपनी मां स्मृति में लगाया पौधा, 22 लाख पौधों का लक्ष्य, काटली नदी के पुनर्जीवन की भी तैयारी

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में पर्यावरण और जल संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी गंभीरता से कार्य कर रहा है। इसी क्रम में, जिला कलेक्टर रामवतार मीणा ने आज अपनी माता की स्मृति में एक पौधा लगाकर एक अनूठी पहल की है। उन्होंने कलेक्ट्रेट आवास पर यह वृक्षारोपण करते हुए इसे भावनात्मक रूप से जोड़ा और कहा कि यह उनकी माँ की याद में है, जिससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा बल्कि व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत होगा।

भावनात्मक जुड़ाव से पर्यावरण संरक्षण की पहल

कलेक्टर मीणा ने बताया कि यह पहल केवल एक व्यक्तिगत भाव नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वंदे गंगा” जल संरक्षण अभियान और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के “हरियालों राजस्थान” अभियान को सफल बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भी अपने माता-पिता, परिवारजनों या किसी प्रेरणास्रोत के नाम एक पेड़ लगाएं और उसकी देखरेख करें। उनका मानना है कि “पेड़ सिर्फ ऑक्सीजन का स्रोत नहीं होते, ये हमारी भावनाओं, परंपराओं और भविष्य की नींव होते हैं। अगर हर व्यक्ति एक पेड़ किसी की याद में लगाए, तो यह अभियान एक जनआंदोलन बन सकता है।

22 लाख पौधों का लक्ष्य और काटली नदी का पुनर्जीवन

जिला प्रशासन ने “हरियालों राजस्थान” अभियान के तहत इस मानसून सीजन में 22 लाख से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है। कलेक्टर मीणा ने बताया कि मानसून के शुरुआती दौर में व्यापक स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रमों का शुभारंभ किया गया है। इसके अतिरिक्त, जिले की जीवनदायिनी काटली नदी को पुनः जीवित करने का कार्य भी एक अभियान के रूप में शुरू किया जा रहा है। इस पुनर्जीवन अभियान में जनसहभागिता से श्रमदान, जल स्रोतों की सफाई, जल संरक्षण संरचनाएं और वृक्षारोपण जैसे कार्य किए जाएंगे।

“वंदे गंगा जल संरक्षण” अभियान भी सक्रिय

कलेक्टर मीणा ने यह भी बताया कि जिले में “वंदे गंगा जल संरक्षण” अभियान के तहत भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में स्कूली छात्रों, सामाजिक संस्थाओं, ग्राम पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी से जागरूकता रैलियों, श्रमदान, जल स्रोतों की मरम्मत और संरक्षण कार्य शामिल हैं।

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