SFI के 22वें राज्य सम्मेलन में शिक्षा निजीकरण पर हमला:मंगेज चौधरी बोले- भाजपा-आरएसएस कर रहे शिक्षा का बाजारीकरण
SFI के 22वें राज्य सम्मेलन में शिक्षा निजीकरण पर हमला:मंगेज चौधरी बोले- भाजपा-आरएसएस कर रहे शिक्षा का बाजारीकरण

सीकर : स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के 22वें राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन गोविंदम मैरिज गार्डन में वार्षिक रिपोर्ट पर डेलिगेशन ने गहन चर्चा की। सम्मेलन के चौथे सत्र ‘संघर्षों का सफरनामा’ में एसएफआई के संस्थापक सदस्यों से लेकर 21वें राज्य सम्मेलन तक के छात्र नेताओं ने अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर तीखी आलोचना हुई।

एसएफआई के पूर्व सचिव मंगेज चौधरी ने कहा- भाजपा-आरएसएस सरकार नई शिक्षा नीति के जरिए शिक्षा का निजीकरण कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कोचिंग संस्थानों के नाम पर शिक्षा का बाजारीकरण हो रहा है और सरकारी संस्थानों में सीटों की कटौती की जा रही है। स्ववित्तपोषित कोर्सों के विस्तार से दलित, आदिवासी, गरीब और ग्रामीण छात्रों के लिए उच्च शिक्षा और मुश्किल हो जाएगी।
डॉ. संजय माधव ने नई शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि बहुभाषा के नाम पर हिंदी और संस्कृत को थोपा जा रहा है, जो भारत की भाषाई विविधता पर हमला है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादी विचारधारा को शिक्षा में शामिल करने की कोशिश हो रही है। मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम और आरक्षण प्रणाली में बदलाव से गरीब और मेहनतकश वर्ग के छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होंगे।
सम्मेलन में एसएफआई के पूर्व नेताओं महिपाल सिंह, हरफूल सिंह बाजिया, सत्यजीत भींचर, झाबर राड़, निर्मल प्रजापत, रामवतार चौधरी, नवरंग लाल चौधरी, भगवान सहाय ढाका, पन्नालाल मांडोता, सीमा जैन, किशन मेघवाल और पवन बेनीवाल ने अपने संघर्षों के अनुभव साझा किए। राज्य सचिव की रिपोर्ट पर 74 छात्र-छात्राओं ने सवाल उठाए और संगठन को मजबूत करने के सुझाव दिए।
सम्मेलन में एसएफआई जिलाध्यक्ष महिपाल सिंह, राकेश मुवाल, महेश पालीवाल सहित कई छात्र नेता मौजूद रहे। एसएफआई ने शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण के खिलाफ संघर्ष तेज करने का ऐलान भी किया।