CBI ने चार आरोपियों खिलाफ कोर्ट में पेश की चार्जशीट:बिट्स पिलानी की महिला प्रोफेसर से 7.67 करोड़ की साइबर ठगी का मामला
CBI ने चार आरोपियों खिलाफ कोर्ट में पेश की चार्जशीट:बिट्स पिलानी की महिला प्रोफेसर से 7.67 करोड़ की साइबर ठगी का मामला

पिलानी : बिट्स पिलानी की महिला प्रोफेसर से 7.67 करोड़ रुपए की साइबर ठगी के हाई-प्रोफाइल मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चार आरोपियों के खिलाफ झुंझुनूं स्थित सीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल किया है। यह मामला वर्ष 2024 में सामने आया था, जब प्रोफेसर श्रीजाता डे को डिजिटल माध्यम से डराकर और मानसिक रूप से बंधक बनाकर बड़ी रकम की ठगी की गई थी।
CBI द्वारा दायर चार्जशीट में जिन चार आरोपियों के नाम शामिल हैं, वे हैं—विकास कुमार, राजपाल सिंह, नितिन सुथार और संतोष गुप्ता। इन सभी पर प्रोफेसर को स्काइप कॉल, वीडियो मीटिंग और फर्जी सरकारी पहचान के जरिए डराने-धमकाने का आरोप है।
ऐसे हुई थी साइबर ठगी
इस संगठित साइबर अपराध की शुरुआत फरवरी 2024 में हुई थी, जब पीड़िता प्रोफेसर श्रीजाता डे को एक फर्जी कॉल आया। कॉल पर खुद को सीबीआई, ईडी, ट्राई और महाराष्ट्र पुलिस का अधिकारी बताने वाले आरोपियों ने प्रोफेसर को मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोपों में फंसाने की धमकी दी।
इसके बाद प्रोफेसर को लगातार स्काइप कॉल्स, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और फर्जी दस्तावेजों के जरिये तीन महीनों तक मानसिक दबाव में रखा गया। आरोपी इतने पेशेवर ढंग से काम कर रहे थे कि प्रोफेसर को यकीन हो गया कि यदि वह पैसा नहीं देगी तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
डर के माहौल में रहते हुए प्रोफेसर ने अपनी सारी जमा पूंजी तो दे ही दी, साथ ही करीब 80 लाख रुपये का लोन लेकर भी आरोपियों को भुगतान किया। कुल 42 बार में 7.67 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
सीबीआई की जांच और गिरफ्तारी
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने इसे केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को सौंप दिया। इसके बाद सीबीआई ने ‘ऑपरेशन चक्र-5’ के तहत देशभर में एक विशेष छापेमारी अभियान चलाया।
मुंबई और मुरादाबाद में की गई कार्रवाई में चार मुख्य आरोपी पकड़े गए। तलाशी के दौरान सीबीआई को कई बैंक दस्तावेज, चेकबुक, डेबिट कार्ड, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और अन्य डिजिटल साक्ष्य मिले।
पूछताछ में सामने आया कि गिरोह के कुछ सदस्य विदेश में बैठे थे और पूरे नेटवर्क को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे थे। इसी जांच के आधार पर मुंबई से दो और मुख्य ऑपरेटिव्स को भी गिरफ्तार किया गया, जिनसे पूछताछ अभी चल रही है।
हाई-प्रोफाइल मामला, विदेशी लिंक भी सामने आए
प्रोफेसर श्रीजाता डे ने जब झुंझुनूं साइबर थाने में फरवरी 2024 में प्राथमिकी दर्ज कराई, तब शुरुआत में स्थानीय पुलिस ने जांच शुरू की थी। लेकिन मामला हाई-प्रोफाइल और व्यापक वित्तीय लेन-देन से जुड़ा होने के कारण इसे पुलिस मुख्यालय रेफर कर दिया गया।
मुख्यालय की साइबर सेल ने प्रारंभिक जांच में 200 से अधिक बैंक खातों की जांच की। इनमें से कई खातों में विदेशी लेन-देन के सुराग मिले, जिससे साफ हुआ कि यह कोई सामान्य ठगी नहीं बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के तहत की गई साइबर क्राइम की घटना है।
CBI की चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपियों ने साजिश के तहत न केवल प्रोफेसर को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी, बल्कि तकनीकी रूप से उन्हें डिजिटल अरेस्ट की स्थिति में भी डाल दिया। पीड़िता की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी और उन्हें हर समय निगरानी में रखा जाता था।
ठगी के नए तौर-तरीकों पर सवाल
यह मामला साइबर ठगों के बदलते तौर-तरीकों को उजागर करता है। पहले जहां ठगी ईमेल या मोबाइल कॉल्स तक सीमित थी, वहीं अब ठग खुद को उच्च सरकारी अधिकारियों की भूमिका में दिखाकर वीडियो कॉल्स, स्काइप मीटिंग्स और डिजिटल दस्तावेजों के जरिए जालसाजी कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल दुनिया में अपराधी अब मानसिक नियंत्रण और डर का उपयोग कर रहे हैं, जिससे शिक्षित और जागरूक लोग भी ठगी का शिकार हो रहे हैं।