महेश जोशी के बाद एक और पूर्व मंत्री जेल जाएंगे?:एसीबी ने FIR के लिए राज्यपाल से मांगी मंजूरी; जीएसएस में मैनेजर्स की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा
महेश जोशी के बाद एक और पूर्व मंत्री जेल जाएंगे?:एसीबी ने FIR के लिए राज्यपाल से मांगी मंजूरी; जीएसएस में मैनेजर्स की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा

जयपुर : जल जीवन मिशन (जेजेएम) में भ्रष्टाचार के आरोप में महेश जोशी की गिरफ्तारी के बाद अब पूर्व कांग्रेस सरकार के एक और मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। यह आरोप पूर्व सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना पर हैं। ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) में व्यवस्थापकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के मामले में एसीबी ने एफआईआर के लिए राज्यपाल से मंजूरी मांगी है। इसी मामले में सरकार विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ पीसी एक्ट की धारा 17 ए के तहत जांच की मंजूरी दे चुकी है। विभागीय स्तर पर जांच में इन अफसरों पर लगाए आरोप सही पाए गए हैं।
एमडीएम घोटाले में 3 IAS के खिलाफ भी जांच शुरू
सहकारी विभाग में स्क्रीनिंग की तरह ही एमडीएम (मिड डे मील) का मामला भी चर्चा में है। इसमें भी एसीबी ने विभाग के कई अधिकारियों के साथ-साथ तीन आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच शुरू करने की मंजूरी भी सरकार से मांगी है। सहकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विभाग के मंत्री ने मंजूरी दे दी है। आईएएस को लेकर मामला अभी डीओपी में लंबित है।

प्रदेशभर में 7000 से अधिक जीएसएस हैं, 1100 में गलत नियुक्ति हुई थी
प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों (जीएसएस) में वर्ष 2022-23 में हुई स्क्रीनिंग से मैनेजर (व्यवस्थापक) की नियुक्ति में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े की शिकायत मिली है। जिला और खंड स्तर पर बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटियों ने सारे नियम दरकिनार कर ऐसे लोगों को व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक बना दिया, जो पात्रता ही पूरी नहीं करते थे। 1100 से अधिक की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप पाए गए हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में सात हजार से अधिक जीएसएस हैं। इनमें से कई में मैनेजर के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। यहां समिति के संचालक बोर्ड ने अस्थाई रूप से सहायक व्यवस्थापक व सैल्समैन नियुक्त कर रखे थे। गत सरकार के समय तय किया कि वर्ष 2017 से पहले से कार्यरत सहायक व्यवस्थापक व व्यवस्थापक को नियमित किया जाए। वर्ष 2017 के बाद के मामलों में नियुक्ति सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से ही भर्ती करने का निर्णय किया गया।
गत सरकार ने नियुक्ति के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी में प्रशासक के रूप में जिला कलेक्टर को शामिल नहीं किया। अन्तिम अनुमोदन भी मुख्यालय (रजिस्ट्रार कार्यालय) स्तर से कराने के बजाय खंड स्तर पर ही रखा गया। मुख्यालय ने पात्र माने गए आवेदकों की विस्तृत जानकारी मांगी, उसके बाद यह बदलाव किया गया था।
जांच में अफसरों पर आरोप सही पाए गए, मामला दर्ज करने को मंत्री ने दी मंजूरी
एसीबी ने इसी मामले में अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए सहकारी विभाग से मंजूरी मांगी थी। सहकारी विभाग की सचिव ने विभाग स्तर पर प्राथमिक जांच कराई। इस जांच के आधार पर कुछ अधिकारियों के खिलाफ मंजूरी दी गई है। इस पर सहकारिता मंत्री ने भी मुहर लगा दी है। अब फाइल डीओपी में अनुमोदन के लिए भेजी गई है।