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विकास के नाम पर पिछड़ा तिहाड़ा गांव : आजादी के 78 साल बाद भी मोबाईल का नही आता नेटवर्क, छतों एवं पहाड़ी पर जाकर करनी पड़ती है बात


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विकास के नाम पर पिछड़ा तिहाड़ा गांव : आजादी के 78 साल बाद भी मोबाईल का नही आता नेटवर्क, छतों एवं पहाड़ी पर जाकर करनी पड़ती है बात

तिहाड़ा में अटक रहे बच्चों के रिश्ते, मुख्य वजह-मोबाइल नेटवर्क का नहीं होना

खेतड़ी : आज देश 21वीं सदी की तरफ अग्रसर हो रहा है वही देश को आजाद हुए 78 साल हो गए लेकिन खेतड़ी उपखंड का एक गांव आज भी विकास के नाम पर पिछड़ा हुआ है। आज के समय सबसे बड़ी आवश्यकता बिजली, पानी, सड़क एवं दुरभाष की है, बिजली सड़क नही होने पर भी एक बार तो काम चल सकता है लेकिन पानी एवं दुरभाष का माध्यम नही होने से आम जन को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही मामला खेतड़ी विधान सभा की राजोता ग्राम पंचायत के तिहाड़ा गांव में देखने को मिल रहा है। खेतड़ी उपखंड के राजोता ग्राम पंचायत के तिहाडा गांव से विकाश पारीक की ग्राउंड रिपोर्ट, करीब सात सौ आबादी वाला गांव को बसे हुए सैकड़ों वर्ष हो गए, गांव के अधिकांश लोग पुलिस, आर्मी, विदेशों व अन्य राज्यों में रोजगार कर रहे है।

गांव में मोबाईल नेटवर्क नही होने के कारण बाहर रहने वाले अपने परिवार वालों से बात नही कर सकते। गांव की महिला अंतर देवी, बिमला देवी, मनोज गुर्जर, पर्वत सिंह, शिशराम खटाणा ने बताया कि गांव में तीन-चार महिने पहले ही बीएसएनएल का मोबाईल टॉवर लगाया गया है लेकिन वह भी बराबर कार्य नही कर रहा, उन्होंने बताया कि बीएसएनएल का टावर रात करीब आठ बजे से सुबह दस बजे तक बंद रहता है, बाकी समय में भी नेटवर्क छोड़ देता है। उन्होंने बताया गांव के अधिकांश लोग बाहर जॉब करते है। जब परिवार वालों को उनसे बात करनी होती है तो वह छत, ऊची जगह या पहाड़ी पर जाकर बात करनी होती है लेकिन जब बाहर रहने वाले बात करना चाहते है तो नीचे नेटवर्क नही आने के कारण बात नही हो पाती, इसलिए मोबाईल को छत पर या ऊचे स्थान पर रखना पड़ता है।

प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवा दिया लेकिन अभी तक समस्या ज्यों की त्यों है 

ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को भी अवगत करवा दिया लेकिन अभी तक किसी ने भी गांव की तरफ ध्यान नही दिया। आक्रोशित ग्रामीणों ने बीएसएनएल टॉपर के पास विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि समय रहते या तो उक्त टॉवर को सही कर दे या गांव में अन्य टॉवर लगा दिया जाएं नही तो बड़ा आंदोलन करेंगे जिसका जिम्मेदार स्वयं प्रशासन होगा। विरोध प्रदर्शन करने वालों में अनिता देवी, सुनिता देवी, पूनम देवी, रिना देवी, रोशन कंवर, सरोज देवी, सुनिता कुमावत, सविता देवी, योगेश बावता, राजू खटाणा, राजवीर सिंह, दिनेश बावता, अजीत सिंह, रणवीर सिंह, रामचंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

पहाड़ी पर जाकर करनी पड़ती है बात
तिहाड़ा गांव के ग्रामीणों को मोबाईल पर बात करने के लिए पहाड़ी पर जाना पड़ता है। महिलाओं ने बताया कि कईयों के पति फोज, पुलिस, विदेश व अन्य राज्यों में मजदुरी करते है। बच्चें बाहर जाकर पढाई कर रहे है। गांव में टावर नही होने के कारण, पहाड़ी व ऊचे स्थान पर हरीयाणा का नेटवर्क पकड़ा है इस लिए बात करने के लिए छत या पहाड़ी पर जाकर बात करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि आदमी तो कभी भी जाकर बात कर लेते है लेकिन महिलाएं बात करने कैसे जाएं।

बच्चों की ऑनलाईन पढाई भी हो रही है बाधित
गांव में नेटवर्क नही होने के कारण बच्चों की ऑनलाईन पढाई भी बाधित हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों की जब ऑन लाईन क्लास चलती है तो काफी परेशानी उठानी पड़ती है, बच्चों को दोपहर में पहाड़ी पर जाकर क्लास लेनी पड़ती है।

नेटवर्क नही होने के कारण रिश्तों में हो रही है परेशानी
गांव में नेटवर्क नही होने के कारण बच्चों के रिश्ते करने में भी काफी समस्या हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों की रिश्ते की बात चलती है तो रिश्तेदार गांव में नेटवर्क नही होने की बात कह कर रिश्ता नही करते, रिश्तेदारों का कहना है कि अगर बच्चों से बात करना चाहेंगे तो किस प्रकार होगी। इस लिए रिश्ते होने में भी काफी दिक्कत आ रही है।

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