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चांदी के कड़ों के लिए चिता पर लेटा बेटा,मां का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया; श्मशान में ही गहने लाकर देने पर उठा


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चांदी के कड़ों के लिए चिता पर लेटा बेटा,मां का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया; श्मशान में ही गहने लाकर देने पर उठा

चांदी के कड़ों के लिए चिता पर लेटा बेटा,मां का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया; श्मशान में ही गहने लाकर देने पर उठा

कोटपूतली : कोटपूतली-बहरोड़ जिले में चांदी के कड़ों के लिए एक बेटे ने मां का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। मां का शव चिता पर रखने से पहले वह चिता पर लेट गया। उसने करीब 2 घंटे तक हंगामा किया। ग्रामीणों के समझाने पर भी नहीं माना।

इसके बाद श्मशान में ही उसे चांदी के कड़े लाकर दिए तो वह चिता से उठा और फिर मां का अंतिम संस्कार किया गया। मामला विराटनगर की लीला का बास की ढाणी का है। ये पूरा घटनाक्रम 3 मई की दोपहर को हुआ। गुरुवार को इसका वीडियो सामने आया है।

बेटे ओमप्रकाश को रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने समझाया, लेकिन वह नहीं माना।
बेटे ओमप्रकाश को रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने समझाया, लेकिन वह नहीं माना।

भाइयों में चल रहा था प्रॉपर्टी का विवाद

ग्रामीणों ने बताया- लीला का बास ढाणी निवासी भूरी देवी पत्नी स्व. छित्रमल रेगर का निधन 3 मई को दोपहर करीब 12 बजे हो गया था। भूरी देवी के 7 बेटों में से 6 बेटे एक साथ रहते हैं, जबकि एक बेटा ओमप्रकाश गांव के बाहर अलग घर में रहता है। ओमप्रकाश और 6 भाइयों में पिछले 3-4 साल से प्रॉपर्टी का विवाद चल रहा था। भूरी देवी के निधन के बाद बेटों और ग्रामीणों ने घर पर अंतिम संस्कार से पहले की क्रियाएं की। इस दौरान भूरी देवी के गहनों को उतारकर बड़े बेटे गिरधारी को सौंपा गया।

बेटे ने श्मशान में 2 घंटे तक किया हंगामा

ग्रामीणों ने बताया- घर पर अंतिम क्रियाएं पूरी होने के बाद अंतिम यात्रा निकाली गई। बेटे ओमप्रकाश ने भी मां की अर्थी को कंधा दिया। श्मशान घाट पहुंचने के बाद भूरी देवी के पार्थिव शरीर को एक तरफ रखा गया और ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां लगाने में जुट गए।

इस बीच ओमप्रकाश ने मां के चांदी के कड़ों और अन्य गहनों के लिए श्मशान में ही हंगामा करना शुरू कर दिया। हंगामे के बीच ओमप्रकाश चिता के लिए लगाई लकड़ियों पर लेट गया। करीब 2 घंटे तक ओमप्रकाश ने हंगामा किया। ग्रामीणों और रिश्तेदारों ने समझाया, लेकिन वह नहीं माना।

पूरे घटनाक्रम के दौरान भूरी देवी का पार्थिव शरीर श्मशान में एक तरफ रखा रहा।
पूरे घटनाक्रम के दौरान भूरी देवी का पार्थिव शरीर श्मशान में एक तरफ रखा रहा।

श्मशान में ही लाकर दिए गहने, तब उठा

ओमप्रकाश नहीं माना तो श्मशान में ही भूरी देवी के कड़े और अन्य गहने मंगवाए गए और ओमप्रकाश को दिए। इसके बाद ओमप्रकाश चिता से उठा और भूरी देवी का अंतिम संस्कार किया गया। भूरी देवी के पति छित्रमल की 2 साल पहले मौत हो गई थी। ओमप्रकाश 7 भाइयों में से 5वें नंबर का है।

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