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आरयूएचएस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर सख्ती:ओटी का एसी बंद, फिर भी किया ऑपरेशन, CM को शिकायत, अधीक्षक-डॉक्टर सस्पेंड


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आरयूएचएस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर सख्ती:ओटी का एसी बंद, फिर भी किया ऑपरेशन, CM को शिकायत, अधीक्षक-डॉक्टर सस्पेंड

आरयूएचएस अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर सख्ती:ओटी का एसी बंद, फिर भी किया ऑपरेशन, CM को शिकायत, अधीक्षक-डॉक्टर सस्पेंड

जयपुर : आरयूएचएस अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर सरकार ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। कुछ दिन पहले एक मरीज का आर्थो विभाग में ऑपरेशन किया गया। दो दिन तक टाले जाने के बाद जिस ऑपरेशन थियेटर में सर्जरी की गई, वहां का एयर कंडीशनर खराब था। इसकी शिकायत सीएम भजनलाल तक पहुंची तो अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए। इसके बाद बुधवार को आरयूएचएस के कार्यवाहक अधीक्षक महेन्द्र बैनाड़ा और माइक्रोबायोलॉजी के सहायक आचार्य डॉ. जितेन्द्र पंडा को निलम्बित कर दिया।

वहीं जयपुरिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. महेन्द्र मंगल को आरयूएचएस अधीक्षक का चार्ज सौंपा गया है। दूसरी और सरकार कई माह से आरयूएचएस सहित आठ अस्पतालों के अधीक्षक तय नहीं कर पा रही है। इससे भी व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ पाती है।

9 माह से मेंटेनेंस का भुगतान नहीं

मरीज की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार को इसकी जांच और अन्य व्यवस्थाओं को जांचने के लिए कहा। इसके बाद जांच में इसकी पुष्टि हुई कि एसी का मेंटेनेंस नहीं होने से बंद था और बिना एसी के ही सर्जरी की गई। इसके बाद विभाग ने पहले बुधवार सुबह माइक्रोबायोलॉजी के सहायक आचार्य डॉ. जितेन्द्र पंडा को सस्पेंड किया और फिर दोपहर को अधीक्षक महेन्द्र बैनाड़ा को भी सस्पेंड कर दिया। सामने यह भी आया कि मेंटेनेंस के लिए पिछले नौ माह से भुगतान नहीं किया गया था और अस्पताल के सभी एसी बंद थे।

पीने का पानी नहीं, स्टाफ नहीं, गंदगी भी

अस्पताल की 8 फ्लोर हैं और हर फ्लोर पर मरीज, परिजन और स्टाफ रहते हैं, लेकिन कहीं भी आरओ और वाटर कूलर की व्यवस्था नहीं है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। हर ओर गंदगी और कचरा पड़ा रहता है। हालात ये है कि कैंटीन तक में भी गंदगी के बीच स्टाफ खाना खाने को मजबूर है।

इन पर हो सकती है कार्रवाई

आरयूएचएस में हो रही गड़बड़ी को लेकर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विनोद जोशी, अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. अनिल गुप्ता, वित्त अधिकारी हुलास राय पंवार, मुख्य लेखाधिकारी फैलीराम मीणा, लेखाधिकारी रामस्वरूप रावत, नर्सिंग अधीक्षक आलोक शर्मा व अवधेश मीणा को भी जिम्मेदार माना गया है। वीसी ने चिकित्सा शिक्षा सचिव को भेजी रिपोर्ट में इन सभी का नाम भी लिखा है। सामने आ रहा है कि इन सभी को भी चार्जशीट दी जा सकती है।

डॉ. महेन्द्र बैनाड़ा की जगह जयपुरिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. महेन्द्र मंगल को चार्ज सौंपा

ओटी में बार-बार बिजली गुल : एक ओर ऑपरेशन थियेटर में सर्जरी की जा रही थी, दूसरी ओर से बार-बार बिजली गुल हो रही थी। हर 10-15 मिनट में बिजली गुल होने के साथ ही एसी काम करना बंद कर रहे थे। इन्हें चालू करने के लिए एक स्टाफ को बार-बार ऑपरेशन थियेटर से बाहर भेजकर चालू कराया जाता।

एक ओर अव्यवस्थाओं की वजह से आरयूएचएस के अधिकारियों पर गाज गिरी और अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ था। वहीं दूसरी ओर बार-बार गुल होती बिजली मरीजों की मर्ज बढ़ा रही थी। हालात यह थे कि अस्पताल में बार-बार बिजली गुल हो रही थी। एक कर्मचारी ने बताया कि सुबह से ही बार-बार बिजली गुल हो रही है और हर 10 मिनट में जा रही है।

हालांकि बिजली दो से तीन सेकंड के लिए जा रही थी, लेकिन इस वजह से कम्प्यूटर बंद हो रहे थे और एसी भी काम नहीं कर पा रहे थे। नतीजा यह हुआ कि पर्ची कटाने के लिए मरीजों की कतार लग गई और धक्का-मुक्की होने लगी। इस दौरान झगड़ा हो गया। ओपीडी के अलावा आईपीडी और ब्लड सैंपल के लिए भी पर्चियां नहीं कट सकी और कतारें लग गईं।

7 घंटे में 54 बार गई लाइट, पर्चियां तक नहीं कटी, झगड़ा हुआ

8 माह पहले अधीक्षक लगा देते तो यह नौबत नहीं आती

सरकार अस्पतालों में 8 माह से अधीक्षक नहीं लगा सकी, जबकि 30 अस्पतालों के अधीक्षक पद के लिए दो बार आवेदन मांगे जा चुके हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अगस्त-24 में इंटरव्यू लिए थे, लेकिन योग्य नहीं आने का हवाला देते हुए फिर से आवेदन मांगे गए और पूरी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई। यदि अधीक्षक पहले ही लगा दिए जाते तो संभव है कि अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था होती।

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