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दलितों के मसीहा स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती को समता दिवस के रूप में मनाया


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दलितों के मसीहा स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती को समता दिवस के रूप में मनाया

दलितों के मसीहा स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती को समता दिवस के रूप में मनाया

सूरजगढ़ : आदर्श और स्वच्छ ग्राम पंचायत काजड़ा में आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वावधान में और सरपंच मंजू तंवर के नेतृत्व में भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष देश के प्रथम श्रम मंत्री, दलितों के मसीहा, संविधान सभा के सदस्य, भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 की ऐतिहासिक जीत के हीरो तत्कालीन रक्षा मंत्री, प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री, हरित क्रांति के प्रणेता पूर्व कृषि मंत्री, केंद्रीय परिवहन और रेल मंत्री, संचार मंत्री, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती को समता दिवस के रूप में मनाया। इस अवसर पर गाँधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरण प्रेमी और स्वतंत्रता सेनानी सरला बेन को भी उनकी जयंती पर नमन किया। सरला बेन ने विदेशी धरती पर जन्म लेकर भारत की आजादी के लिए और भारत के लोगों का जीवन सुधारने के लिए आजीवन संघर्ष किया। इस मौके पर शिक्षाविद् व समाज सुधारक और स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गाँधी के सहयोगी रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सी.एफ. एंड्रयूज व प्रख्यात विदुषी समाज सुधारक और भारतीय महिलाओं के अधिकारों के लिए अभूतपूर्व संघर्ष करने वाली महान सामाजिक कार्यकर्ता पंडिता रमाबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें भी नमन किया।

बाबू जगजीवन राम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- बाबू जगजीवन राम देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले महान क्रांतिकारी राजनेता और राष्ट्र के निर्माताओं में से एक थे। 1946 में वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। वह देश के प्रथम श्रम मंत्री और भारत की संविधान सभा के सदस्य बने, जहां उन्होंने सुनिश्चित किया कि सामाजिक न्याय संविधान में निहित हो। केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में उनके दो कार्यकालों के दौरान भारत में हरित क्रांति और भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण में उनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। बाबू जगजीवन राम ने 50 वर्षों के राजनीतिक सफर में कभी कोई चुनाव नहीं हारा, वह आजीवन अजेय रहे। उनके नाम भारत में सबसे लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री रहने का रिकॉर्ड है। पचास वर्षो के संसदीय जीवन में राष्ट्र के प्रति बाबू जगजीवन राम का समर्पण और निष्ठा बेमिसाल है। उनका संपूर्ण जीवन राजनीतिक, सामाजिक सक्रियता और विशिष्ट उपलब्धियों से भरा हुआ है।

सदियों से शोषण और उत्पीड़ित दलितों, मज़दूरों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए बाबू जगजीवन राम द्वारा किये गये क़ानूनी प्रावधान ऐतिहासिक हैं। बाबू जगजीवन राम का ऐसा व्यक्तित्व था, जिसने कभी भी अन्याय से समझौता नहीं किया और दलितों के सम्मान के लिए हमेशा संघर्षरत रहे। बाबू जगजीवन राम ने भी अपने जीवन में जातीय भेदभाव का दंश झेला, लेकिन कभी किसी जाति या धर्म के विरुद्ध कोई टिप्पणी नहीं की और जाति व धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का कार्य नहीं किया। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी उनके साथ जातिगत भेदभाव हुआ लेकिन उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया। उन्हें कई बार धर्म बदलने का प्रलोभन भी दिया गया लेकिन उन्होंने कभी स्वीकार नहीं किया। ऐसे महान राजनेता को हम नमन करते हैं।

इस मौके पर सरपंच मंजू तंवर, जगदीश प्रसाद सैन, रायसिंह शेखावत, मनजीत सिंह तंवर, होशियार सिंह, अनिल कुमार जांगिड़, अशोक कुमावत, रामप्रताप कटारिया, सरजीत खाटीवाल, मंजू कुमावत, पूजा शर्मा, अशोक कुमार पुनिया, सुरेंद्र कुमार, अशोक स्वामी, रविंद्र कुमार, कुणाल तंवर, धर्मेंद्र सिंह शेखावत आदि अन्य लोग मौजूद रहे। सरपंच मंजू तंवर ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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