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यह मन मेरा नही, यह तो मेरे गोविंद के अधीन है मानव झूठा अंहकार का त्याग करें, स्वामी विजयानंद गिरि महाराज


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यह मन मेरा नही, यह तो मेरे गोविंद के अधीन है मानव झूठा अंहकार का त्याग करें, स्वामी विजयानंद गिरि महाराज

यह मन मेरा नही, यह तो मेरे गोविंद के अधीन है मानव झूठा अंहकार का त्याग करें, स्वामी विजयानंद गिरि महाराज

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : स्थानीय सोती भवन में सात दिवसीय दुर्लभ सत्संग प्रवचन गुरुवार शाम को स्वामी विजयानंद गिरि महाराज के सानिध्य में संपन्न हुआ। गुरूवार सत्संग में स्वामी महाराज ने व्यास पीठ से कहा कि मानव अपने मन को मेरा बताता है परंतु यह किसी का नहीं है। यह तो केवल मेरे श्री गोविन्द जी के अधीन है। इस और मानव को अपने अंदर हों रहे अंहकार का त्याग कर देना ही जीवन का मुख्य आधार है। स्वामी विजयानंद गिरि इस अवसर पर उपस्थित श्रोताओं को अपने प्रवचन के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव का शरीर भी हमारा नही है यह भी मेरे गोविन्द के अधीन है । उन्होंने इस अवसर पर महिलाओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब शादी होती है और अनजान व्यक्ति के साथ विश्वास कर जाते है। क्योंकी उन पर आप पूरा विश्वास करते हैं किसने देखा कि क्या वह अपनी बहिन बेटी के साथ खरा उतरेगा। इतना विश्वास यदि आप मेरे गोविन्द जी पर कर के देखो अपनी नैया पार कर देगा। हमें पुर्णता के साथ मेरे गोविन्द जी पर विश्वास करना चाहिए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला पुरूष विशेष आरती में शामिल होकर आरती का लाभ उठाया। गौरतलब रहे कि इस दुर्लभ सत्संग में हरियाणा प्रान्त सहित दूर दूर से श्रद्धालुओ का आने का तांता लगा रहा। मुख्य यजवान सभी सनातन प्रेमी बंधुओ द्वारा सभी का आभार जताया।

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