एनजीटी में हुई सुनवाई, अब अगली सुनवाई एक मई को होगी, सरकार से मांगा जवाब
काटली में नहीं रुक रहा अवैध खनन

पचलंगी : शेखावाटी की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली काटली नदी की सुरक्षा का जिम्मा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जल संसाधन विभाग को दिया था। अवैध खनन नहीं रुकने पर व आदेश की पालन नहीं होने पर एनजीटी के सामने मुद्दा दुबार से उठा। याचिका करता अमित कुमार व कैलाश मीणा ने अदालत की अवमानना होने पर इस मामले को एनजीटी में दुबारा याचिका दायर कर सरकार की निष्क्रियता पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया।
एनजीटी ने मांगा जवाब
7 मार्च 2025 को एनजीटी ने अमित कुमार व कैलाश मीणा की याचिका पर सुनाई करते हुए सरकार से कहा कि काटली नदी के पुनर्जीवित के लिए दिए गए आदेशों की पालना आज तक क्यों नहीं हुई। एनजीटी ने इस मामले का सरकार व संबंधित विभाग के अधिकारियों को पालन नहीं होने के लिए जवाब देने के लिए अगली सुनाई एक मई तक का समय दिया।
एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया कि यदि आदेशों की अवहेलना जारी रही तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
याचिका में यह की मांग
पर्यावरण प्रेमी अमित कुमार व कैलाश मीणा ने एनजीटी के सामने दोबारा दायर की याचिका में बताया कि काटली नदी का क्षेत्र के लिए पुनर्जीवित होना अत्यधिक आवश्यक है।
इससे भूमिगत जल स्तर सुधरेगा व काटली नदी बहाव क्षेत्र में नदी पुनर्जीवित होने पर नासूर बन रही पीने के पानी की समस्या से निजात मिलेगी व किसानों को सतत जल स्रोत मिलेंगे।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने यह दिए थे आदेश
अमित कुमार व कैलाश मीणा के द्वारा पूर्व में एनजीटी में दायर की गई याचिका पर भारतीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के द्वारा दी गई सर्वे रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2024 सितंबर में दिए अपने फैसले में जल संसाधन विभाग को खनिज, राजस्व, प्रदूषण बोर्ड, सार्वजनिक निर्माण विभाग की सहायता से काटली नदी की भौगोलिक स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। एनजीटी ने आदेश में जन संसाधन विभाग को निर्देश दिए थे की रिपोर्ट तैयार होने पर काटली बहाव वाले जिलों के जिला कलक्टरों की ऑफिशल साइट पर रिपोर्ट डाली जाए व काटली नदी क्षेत्र में पीड़ित लोगों से उक्त रिपोर्ट के बारे में आपत्ति मांगी जाए। लोगों की आपत्ति आने पर उनका फाइनल निरीक्षण कर आगे की कार्रवाई की जाए। एनजीटी ने अपने आदेश में जल संसाधन विभाग को निर्देश दिया था कि नियमों का पालन करते हुए काटली नदी क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण को सीकर, झुंझुनूं, नीमकाथाना व चुरू जिला प्रशासन की मदद से शीघ्र ही हटाया जाए। वहीं काटली नदी में अवैध खनन रोक के लिए खनिज, राजस्व सहित अन्य अन्य विभाग लगातार कार्रवाई जारी रखें। लेकिन सुरक्षा में लगे विभाग अवैध खनन नहीं रोक पा रहे है। गौरतलब है कि एनजीटी ने वर्तमान में तीन जिलों से गुजरने वाली लगभग 115 किलोमीटर लंबी काटली नदी का मई 2024 में सर्वे करवाया था।