बरकत के पाक महीने रमजान मुबारक का आगाज 2 मार्च से

खेतड़ी नगर : बरकत के पाक महीने रमजान मुबारक का आगाज 2 मार्च को पहले रोजे के साथ होगा। इस पाक महीने में ज्यादा से ज्यादा नमाज, नफिल नमाज, कुरान की तिलावत में वक्त गुजारें और मुल्क व शहर में अम्नो अमान की दुआ भी करें। उन्होंने आमजन से अपील की है कि मौसम में गर्मी बढ़ना शुरू हो चुकी है इसलिए रमजान में बेवजह बाहर न निकलें और मस्जिदों का अदब करें, मस्जिदों में बेवजह न ठहरें, केवल इबादत के लिए ही रूकें। रविवार को पहले रोजे का वक्त खेतड़ी नगर में खत्म सेहरी 5ः34 बजे, इफ्तार 6ः29 बजे और सोमवार को खत्म सेहरी का वक्त 5ः33 बजे मौलाना अब्दूल सुभान, खेतड़ी नगर, जामा मस्जीद के अनुसार रहेगा।
5 प्वाइंट में जानें रमजान क्यों खास
- इसी महीने में कुरआन नाजिल हुआ।
- इस महीने में इबादत का 70 गुना सवाब मिलता है।
- जन्नत के सभी दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
- दोजख के सारे दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
- सामाजिक समरसता का पैगाम
मुस्लिम धर्म का सबसे पाक माह – रमजान
शहर काजी के अनुसार यह पाक महीना है। इस माह में खुदा की इबादत करने से अल्लाह की रहमत बरसती है। रात के आखरी पहर सुबह सादिक से पहले सेहरी (हल्का खाना) खा करके रोजे की नीयत करके रोजा रखा जाता है। रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है। रोजा आंख, हाथ, पैर, दिल, मुंह सभी का होता है, ताकि रोजा रखने वाला इंसान हमेशा बुराई से तौबा करता रहे। रोजा सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक का होता है। इस दौरान वह कुछ खा-पी नहीं सकता। रोजे की शुरुआत में फजर की नमाज होती है। रोजा खोलने के वक्त मगरिब की नमाज होती है।
रमजान की अहमियत –
रमजान अल्लाह की इबादत का महीना है। इस महीने में इबादत करने का महत्व आम महीनों की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है, क्योंकि रमजान खाने और पानी को त्याग कर अल्लाह की इबादत करने का महीना है। इससे इंसान भूखे की भूख और प्यासों की प्यास का महत्व समझ सके। साथ ही उनकी मदद करने के लिए तत्पर हो सके। रोजे में नजरों से गलत न देखें, कानों से गलत न सुनें, जुबान से गलत न बोलें, दिल से, दिमाग से गलत न सोचें। ताकि रूह पवित्र हो सके। जब रूह और जिस्म पवित्र होगा। तब यह खुद भी समझा जा सकता है। एक रोजेदार दूसरे इंसानों के लिए भी हमदर्द होगा। और उसकी इबादत अल्लाह की बारगाह में कबूलियत का दर्जा हासिल करेगी।