हाईकमान से बूथ तक एक सूत्र में बंधेंगे कांग्रेस कार्यकर्ता:कांग्रेस की कार्यप्रणाली में बदलाव, बूथ कार्यकर्ता को चुनावी मोड में ला रही
हाईकमान से बूथ तक एक सूत्र में बंधेंगे कांग्रेस कार्यकर्ता:कांग्रेस की कार्यप्रणाली में बदलाव, बूथ कार्यकर्ता को चुनावी मोड में ला रही

जयपुर : अब कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को चुनावी मोड में लाने के लिए अपने संगठन की कार्य प्रणाली में बदलाव किया है। भाजपा की तरह पार्टी अपने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता को स्थायित्व का बोध करा रही है। यानी कार्यकर्ता हर दिन सक्रिय रहे। किसी भी दिन चुनाव हो जाएं, वह उसके लिए तैयार रहे। पार्टी ने इसके लिए एक डिजिटल फॉर्म बनाया है। इसमें बूथ तक के कार्यकर्ता की जानकारी मंडल अध्यक्ष से मंगवाई गई है। यह काम 80 फीसदी तक पूरा भी हो चुका है।
राजस्थान में पार्टी इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ले रही है। यदि यहां यह प्रयोग सफल रहा तो पूरे देश में इसे लागू किया जा सकता है। पार्टी ने पार्टी के 2200 मंडल अध्यक्षों को यह जिम्मेदारी दी है। एक-एक मंडल को 15 से 20 बूथ की जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश नेतृत्व ने इसके लिए एक डिजिटल फार्म बनाया है। इस फार्म के माध्यम से प्रत्येक मंडल अध्यक्ष अपने क्षेत्र के बूथ अध्यक्ष या कार्यकर्ता की जानकारी जुटा रहा है। यह डिजिटल फार्म ऑटो मोड में प्रदेश संगठन के पास पहुंच रहा है।
प्रत्येक बूथ का गणित और वोटर की जानकारी भी
इस डिजिटल फार्म में पार्टी ने प्रत्येक बूथ अध्यक्ष का नाम, फोन नंबर, फोटो, पता आदि के साथ उसका वोटर आईडी नंबर की जानकारी मांगी गई है? किस ब्लॉक का है। किस विधानसभा क्षेत्र का निवासी है। यह भी कि उस बूथ पर कितने वोटर हैं। उनका गणित क्या है? भाजपा-कांग्रेस के वोटों का यहां का ट्रेंड क्या है? आमतौर पर कितने वोटर वोट बदलते रहते हैं।
किस वर्ग विशेष के वोटर कितने-कितने हैं? यह सब भरकर भेजने की जिम्मेदारी मंडल अध्यक्ष को दी गई है। इनका संपूर्ण डेटा प्रदेश स्तर पर कंपाइल किया जाएगा। पार्टी इस डिजिटल डेटा के साथ मंडल से बूथ तक के प्रत्येक कार्यकर्ता को हर दिन सक्रिय रखने की रणनीति पर काम कर रह है।
केंद्रीय नेतृत्व से भी जुड़ सकेंगे
डिजिटल फॉरमेट में पूरा डेटा तैयार करने के पीछे पार्टी का उद्देश्य प्रदेश नेतृत्व के साथ केंद्रीय नेतृत्व से भी बूथ कार्यकर्ता को सीधे कनेक्ट करना है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दो माह से इस प्रक्रिया को खुद मॉनिटर कर रहे हैं। इसकी सफलता के लिए वॉर रूम इंचार्ज से लेकर पूरी टीम दिन-रात लगी है, जिसे डेली बेसिस पर डोटासरा समीक्षा कर रहे हैं।