सच ही कहा है किसी ने पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती यह साबित कर दिया शौकत खान झारिया ने 65 वर्ष की आयु में
सच ही कहा है किसी ने पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती यह साबित कर दिया शौकत खान झारिया ने 65 वर्ष की आयु में

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित वन विहार कॉलोनी निवासी शौकत खान झरिया बुद्धिजीवी ने यह साबित कर दिया की रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, ये बात अक़्सर किताबों में पढ़ने को मिलती है लेकिन 65 साल की उम्र में पढ़ने का जज्बा वो भी अल्पसंख्यक को में देखने को न के बराबर ही मिलता है। कोम के कोहिनूर, युवाओं के रोल मॉडल, इकरा फाउंडेशन के मार्गदर्शक जनाब शौकत खा झारिया को जे यू टि यूनिवर्सिटी ऑफ़ चुडैला/ झुंझुनू में एल एल बी टॉपर की डिग्री प्राप्त की । जैसा की ज्ञात रहे आपके पास पहले से ही डिग्रियों का जखीरा है। एम ए ज्योग्राफी/एम ए हिस्ट्री/कामिल इन उर्दू/ओर लोहिया कॉलेज टॉपर 1978/आप राजकीय सेवानिवृत्ति एडिशनल कमिश्नर जी एस टी है। आपने आज के युवाओं के लिए एक अनोखी मिसाल पैदा की है।