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“एक खूबसूरत दुनिया भीतर से शुरू होती है”! – विजय वर्मा


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“एक खूबसूरत दुनिया भीतर से शुरू होती है”! – विजय वर्मा

"एक खूबसूरत दुनिया भीतर से शुरू होती है"! - विजय वर्मा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : कैलाश चन्द्र जांगिड़

झुंझुनूं : शेखावाटी के गुढ़ागौड़जी में जन्मे विजय वर्मा ने कला के कई क्षेत्रों में उच्च दक्षता हासिल की है। निर्मल कुमावत घोड़ेला ने बताया आज के आधुनिक कला युग में अपना एक विशेष स्थान स्थापित किया है और अपनी कला में रंग, आकार, तकनीक, रचना, प्रकाश व्यवस्था आदि को बड़ी दक्षता के साथ दर्शाया है। विजय वर्मा कई कला चर्चाओं में भाग लेते हैं। (साथ में है राजस्थान की अभिनेत्री उषाश्री) हाल ही में विजय वर्मा ने नेपाल कला परिषद में अपनी कला का प्रदर्शन किया था, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में कोइराला में माननीय प्रधानमंत्री सुजाता ने भाग लिया था, साथ ही विशिष्ट अतिथि मुक्ता कुमारी यादव सांसद भी थीं और नेपाल के कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था। यह कला प्रदर्शनी रैम्बो आर्ट वर्ल्ड और जी.पी. कोइराला फाउंडेशन द्वारा आयोजित की गई थी। इसमें भारत के अलावा नेपाल और अन्य विदेशी कलाकारों ने भी भाग लिया था।

इससे पहले भी विजय वर्मा को ललित कला अकादमी, कला स्पनंदन सिल्वर अवार्ड, टूरिस्ट अवार्ड, कोरोना अवार्ड, बेस्ट क्रिएटिव अवार्ड, स्पेशल आर्टिस्ट अवार्ड, जीनियस ऑफ इंडिया अवार्ड, बेस्ट अवार्ड, स्किल अवार्ड, टूरशो ऑक्शन अवार्ड, रबीनाथ टैगोर अवार्ड, कला रत्न अवार्ड, पंख अवार्ड, टैलेंटिला अवार्ड, बेस्ट एब्सट्रैक्ट अवार्ड, पोर्ट्रेट गोल्ड अवार्ड, मास्टर आर्टिस्ट अवार्ड, कला भूषण अवार्ड, दिव्य सारथी अवार्ड, डोला मारू आइकॉन अवार्ड, मास्टर कला अवार्ड, मेरिट अवार्ड, मास्टर्स अवार्ड, स्वदेश भारत गौरव अवार्ड बेस्ट परफॉरमेंस अवार्ड आदि अनेक कला एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

इसके अलावा वे वाइब्रेट ब्रश, जयपुर आर्ट सबमिट और कलर वर्ड जैसी प्रदर्शनी हमारे देश के अनेक उस्ताद कलाकारों के साथ कर चुके हैं। वे 50 से अधिक एकल एवं समूह कला प्रदर्शनियां कर चुके हैं। उनके द्वारा लिखे गए लेख कई पुस्तकों और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। प्रकृति हमेशा शांति चाहती है, इसलिए विजय वर्मा हमेशा प्रकृति के करीब रहते हैं और अपनी कलाकृतियों में गंभीर रंगों और विषयों का इस्तेमाल करते हैं। खोज कर कलाकृतियाँ बनाएँ! अपने तूलिका और कलम से पर्यावरण में असंतुलन को संतुलित करें।

कला हमेशा मानवता के लिए एक शक्तिशाली शक्ति रही है, यह सही मानसिकता, स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, आत्म-शांति के मार्ग की ओर ले जाती है, कला हमारे जीवन को समृद्ध करती है। परंपरा, त्योहार और स्वास्थ्य मनोरंजन का आधार हैं। कोई भी समाज सांस्कृतिक संदर्भ खो कर आगे नहीं बढ़ सकता। दर्शकों को नए विचारों और अजूबों तक ले जाने का काम केवल कला ही कर सकती है। विजय वर्मा कहते हैं कि हम जो भी कलाकृतियाँ बनाते हैं या काम करते हैं, उसमें हमारी भावनाएँ शामिल होती हैं, और भावनाएँ हमारे काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, चाहे हम इसे कलात्मक तरीके से ही क्यों न करें

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