[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

पेयजल किल्लत नरहड़ के बाशिंदों को सर्दी में भी नहीं मिल रहा पानी


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
चिड़ावाझुंझुनूंटॉप न्यूज़नरहड़राजस्थानराज्य

पेयजल किल्लत नरहड़ के बाशिंदों को सर्दी में भी नहीं मिल रहा पानी

पीएचईडी ने कुछ सीढ़ियां तुड़वा दी थी, जुगाड़ कर टंकी पर चढ़ गईं महिलाएं

नरहड़ : नजदीकी गांव नरहड़ में सर्दी के मौसम में भी पानी नहीं मिलने से परेशान ग्रामीणों ने शनिवार सुबह पंप हाउस पर पहुंचकर प्रदर्शन किया।

करीब छह माह पहले भी गांव की महिलाओं ने पेयजल किल्लत का समाधान नहीं होने पर टंकी पर चढ़कर नाराजगी जताई थी। थी। विभाग ने समस्या का स्थायी समाधान करने के बजाय दोनों टंकियों पर चढ़ने की 10-12 सीढियां तुड़वा दी ताकि प्रदर्शनकारी ऊपर ना चढ़ सके। बावजूद इसके पंप हाउस पर प्रदर्शन करने गई कई महिलाएं लकड़ी की सीढ़ी लगाकर टंकी पर चढ़ गई। पीएचईडी के खिलाफ नारे लगाए। शनिवार को अवकाश होने से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचा। आधा-पौन घंटे बाद ग्रामवासी सोमवार को फिर प्रदर्शन करने की बात कहकर वापस लौट गए।

 

टंकी की शुरुआती सीढ़ियां टूटी मिलीं तो ग्रामीणों ने लिया लकड़ी की सीढ़ी का सहारा

टंकी के पास बना बोरवैल दो माह से खराब

नरहड़ में पंप हाउस के पास बने बोरवैल की मोटर करीब दो माह से खराब पड़ी है। इससे कुम्हारों, मेघवालों, लोहारों, मणियारों, लीलगरों के मोहल्ले सहित साथ लगते इलाके में पानी की समस्या बनी हुई है। गांव की विमला संतोष, सावित्री, सुमित्रा सरोज, तीजा, जानकी, कुलदीप, अमीर खान, मुमताज, नजय, मुन्त्री, बनारसी सहित अन्य लोगों ने बताया कि जलदाय विभाग चिड़ावा को समस्या की जानकारी देने पर अधिकारी समाधान करवाने के बजाय शिकायत करने वालों को ही डांट लगाते हैं।

समाधान पर जलदाय विभाग नहीं देता ध्यान

नरहड़ से पंचायत समिति सदस्य अनिल रणवा ने सर्दी में भी पीने के पानी की किल्लत होने के लिए जलदाय विभाग को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि करीब 15 हजार की आबादी वाले गांव के 10 में से तीन-चार बोरवैल सूख चुके

हैं। वहीं विभागीय लापरवाही के कारण खराब बोरवैल भी दो-दो माह तक ठीक नहीं करवाए जाते। रणवा ने बताया कि पंचायत समिति की बैठकों में भी ये समस्या हर बार उठाई गई है लेकिन हालात नहीं सुधरे।

Related Articles