राजसमंद/बाली : राजसमंद में आज सुबह पिकनिक पर गए स्कूली बच्चों से भरी बस पलटने से दो चचेरी बहनों समेत 3 छात्राओं की मौत हो गई। हादसे के पीछे ड्राइवर के साथ ही स्कूल प्रशासन की लापरवाही सामने आई।
स्कूल प्रशासन ने पिकनिक पर बच्चों को ले जाने की शिक्षा विभाग से परमिशन नहीं ली और बस में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया। इन स्कूली बच्चों को परशुराम महादेव और रणकपुर ले जाया जा रहा था। बस 48 सीटर थी, इसमें 62 बच्चे, 6 टीचर और ड्राइवर-कंडक्टर समेत 70 लोग सवार थे।
हादसे के बाद हमारे रिपोर्टर ने मौके पर लोगों से बातचीत की। लोगों ने बताया कि बस पलटने के बाद बच्चे चिल्ला रहे थे, जब उन्हें बाहर निकाला तो वे रो रहे थे और अपने माता-पिता को बुलाने को बोल रहे थे। तीन बच्चियों के चेहरे इतने कुचले हुए थे कि उनकी पहचान ही बड़ी मुश्किल से हो पाई।
हादसे में दो चचेरी बहनों की मौत हुई। उनके चाचा हिम्मतराम नट ने बताया -हमें तो पता ही नहीं था कि बच्चों को कहा घूमने ले जा रहे हैं..बच्चियों ने जिद की थी…अब इनके पिता को क्या कहूंगा कि तुम्हारी दोनों बच्चियां नहीं रही। इनके पिता को तो पता भी नहीं है कि बेटियों की मौत हो चुकी है…। दोनों बच्चियां हिम्मतराम नट के यहां रहकर पढ़ाई कर रही थी।
आरती और ललिता दोनों चचेरी बहनें थीं
ललिता (14) आठवीं और आरती (12) छठी क्लास में पढ़ती थी। दोनों के पिता सूरत में काम करते हैं। चाचा हिम्मतराम नट आमेट में ही रहते हैं। ऐसे में दोनों भाइयों ने अपनी बेटियों की जिम्मेदारी सबसे छोटे भाई को दे रखी थी।
इस हादसे के बाद हिम्मतराम बुरी तरह से टूट चुका है। हिम्मतराम ने बताया हमें तो बताया ही नहीं गया कि स्कूल के बच्चों को कहां लेकर जा रहे हैं।
तीन दिन पहले बच्चियां जब स्कूल से घर आई तो कहने लगी कि घूमने जाना है। मैंने मना भी किया तो जिद करने लगी। हमने भी सोचा कि एक दिन का पिकनिक है तो जाने देते हैं।
सुबह 4 बजे उठ गई थी, 300-300 रुपए लिए थे
हिम्मतराम ने बताया-ललिता और आरती के पिता को तो पता भी नहीं है कि एक हादसे में मेरे दोनों भाइयों की बेटियों की जान जा चुकी है। मैंने तो उनसे पूछा भी नहीं कि मैं इन्हें भेजूं या नहीं। ये मेरे पास रहकर पढ़ती थी। बच्चियों ने जिद की थी तो मैं इन्हें घूमने जाने के लिए राजी हो गया। स्कूल वालों ने बच्चों से 300 रुपए लिए थे। ललिता और लक्ष्मी ने भी 300-300 रुपए दिए थे। अब मुझे लग रहा है कि हमें इन्हें भेजना नहीं था,लेकिन बच्चियों की जिद के आगे हम हार मान गए।
अब मैं अपने भाइयों को क्या मुंह दिखाऊंगा कि उनकी बच्चियां इस दुनिया में नहीं रही। शनिवार को जब दोनों बहने घर आई तो कहने लगी थी कि कल सुबह 4 बजे उठना है, आठ बजे घूमने जाएंगे।
सुबह 5 बजे दोनों बच्चियां उठ गई थी। काफी खुश थी कि वे पिकनिक पर जा रही है। घर से नाश्ता करके रवाना हुई थी और टिफिन साथ में ले गई थी। रोते हुए चाचा बोला-दोनों ने खाना भी नहीं खाया और ये हादसा हो गया। हादसे वाली जगह पर बच्चों के बैग और टिफिन बिखरे हुए पड़े थे।
पिता बेसुध, सड़क पर टिफिन और स्कूल बैग बिखरे
इस हादसे में एक और बच्ची प्रीति की भी मौत हो गई। प्रीति छठी क्लास की स्टूडेंट थी। पिता पिंटू सिंह को जब पता चला कि इस हादसे में उनकी बेटी की मौत हो गई तो बेसुध हो गए।
हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी के बाहर खड़े होकर बार-बार अपनी बेटी को पुकार रहे थे। पास में मौजूद उनके रिश्तेदार उन्हें संभाल रहे थे। पिंटू सिंह बार-बार ये ही पुकार रहे थे…मेरी बेटी एक बार आजा…।
इधर, इस हादसे में एक वर्षा नाम की स्टूडेंट घायल है। वह ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर ही बैठी थी। वर्षा ने बताया कि कंडक्टर गेट के पास वाली सीट पर बैठा था। जैसे ही उसे पता चला कि बस पलटने वाली है तो वह चलती बस में से कूद गया।
हादसा इतना दर्दनाक था कि जिन तीन बच्चों की मौत हुई उनके चेहरे तक पहचान में नहीं आ रहे थे। घायल बच्चों ने तीन की पहचान करवाई। हादसे वाली जगह पर बच्चों के स्कूल बैग खून से सने हुए और बिखरे हुए पड़े थे। जगह-जगह बच्चों के टूटे हुए टिफिन थे।
अधिकारियों का दावा- स्कूल स्टाफ ने परमिशन नहीं ली
मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मुकुट बिहारी शर्मा का कहना है कि स्कूल स्टाफ ने मनमर्जी से पिकनिक तय किया था। इसके लिए किसी तरह की परमिशन नहीं ली थी।
उन्होंने बताया इस घटना के बाद मैंने संबंधित ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि स्कूल की ओर से किसी तरह की लिखित में न तो परमिशन ली गई और न ही स्कूल स्टाफ ने बताया था कि वे बच्चों को घुमाने ले जा रहे है। स्टाफ ने अपने हिसाब से इसे प्लान किया था और इसमें स्कूल स्टाफ की लापरवाही सामने आई है।
पिकनिक की परमिशन को लेकर जांच की जाएगी। देसूरी नाल में विकट मोड़ और दुर्घटना संभावित मोड़ पर चेतावनी बोर्ड लगाएंगे। मृतक बच्चों के परिजनों को नियमानुसार आर्थिक सहायता दिलाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। – बालमुकुंद असावा कलेक्टर, राजसमंद
वहीं आमेट के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेंद्र सिंह चुंडावत ने बताया कि इस स्कूल में 6 का स्टाफ है, जो पिकनिक पर गए थे। इसमें ये भी सामने आया है कि बच्चों के पेरेंट्स से केवल मौखिक परमिशन ली थी, लेकिन लिखित में कोई जानकारी पेरेंट्स को नहीं दी गई।
उनका कहना है कि जबकि नियम ये है कि बच्चों को पिकनिक ले जाने के लिए पहले जिला शिक्षा अधिकारी या ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। इस मामले में कोई अनुमति नहीं ली गई थी।
बस पलटते ही रोने लगे बच्चे, बोले-पापा को बुलाओ
बस 90 फीट गहरी खाई के मुहाने पर पलटी थी। वहां से गुजर रहे लोगों ने वाहन रोके और बिना देर किए मदद के लिए आगे बढ़े। बच्चों को वहां से लाने के लिए रोडवेज बस का इंतजाम किया गया। अधिक घायल बच्चों को एक महिला टीचर के साथ एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजा गया।
सहमे हुए बच्चों को सड़क किनारे खड़ा कर संभाला गया। बच्चे बुरी तरह घबराए हुए थे। एक बच्चा पापा-पापा कहते हुए रोने लगा तो वहां रुके एक राहगीर ने दिलासा दी- आ रहे हैं पापा, जल्दी आ रहे हैं। बच्चों की संख्या ज्यादा थी इसलिए उन्हें बस से निकालने में समय लगा। इस दौरान वहां जुटे लोग बार-बार बच्चों से पूछते रहे कि कहां चोट लगी है।
बस पर चढ़कर घायल बच्चों को निकाला, बोले-अभी जिंदा है
बस से एक लड़की को निकाला गया, जो लहूलुहान हो गई थी। उसे दो लोग एंबुलेंस में लाए। इसके बाद बस पर चढ़े चार लोगों ने एक बच्ची को लहूलुहान हालत में बस के अंदर से खींचा। नीचे खड़े पुलिसकर्मियों और लोगों ने उसे पकड़ा और एंबुलेंस में पहुंचाया। कुछ लोगों ने कहा- अभी जिंदा है।
एक व्यक्ति ने एंबुलेंस ड्राइवर से कहा- तीन बॉडी बस से निकाल दी है। दूसरे से कहा तीन नहीं चार है। एक बच्ची गंभीर घायल थी, जिसकी सांसें चल रही थीं। एंबुलेंस में भी बच्चे रो रहे थे। पुलिस वालों ने एक महिला टीचर को उनके साथ बैठाया। कहा- मैडम तुम्हारे साथ जा रही है।
बस में सवार थे 62 बच्चे
- बस में कुल 62 बच्चे सवार थे। इनमें आठवीं क्लास के 26 बच्चे आरती वैष्णव, भावेश गुर्जर, भोजाराम गुर्जर, धर्म सिंह, दुर्गेश गुर्जर, गौरी कुमारी, हंसराज ढोली, कानाराम, कनका कुमारी गुर्जर, कांता कुमारी, किशन गुर्जर, कृष्णा गुर्जर, ललिता नट, लक्ष्मी कुमारी साल्वी, ममता नट, ममता साल्वी, मूलाराम साल्वी, राकेश प्रजापत, रमेश प्रजापत, वर्षा कंवर, रिंकू गुर्जर, भानु कंवर, सीता गुर्जर, वंदना प्रजापत, विकास साल्वी और युवराज सिंह थे।
- सातवीं क्लास के 19 बच्चे बंशीलाल, भावेश गुर्जर, भावेश साल्वी, दीपक रैगर, धर्मचंद गुर्जर, दिनेश, गीता गुर्जर, जेठू गुर्जर, कन्हैयालाल, कर्ण गुर्जर, कृष्णा साल्वी, लोकेश कुमार, मदनलाल, निर्भयराज सिंह, पूनम गुर्जर, राहुल नाथ, उर्मिला नट, विक्रम नाथ और विनोद कुमार सवार थे।
- छठी क्लास के 17 बच्चे आरती नट, अनिता नट, भावना साल्वी, फाल्गुनी साल्वी, हरीश साल्वी, ज्योति सेन, कृष्णा गुर्जर, लादूलाल, लक्ष्मी बलाई, लक्ष्मी गुर्जर, मुकेश नाथ, प्रीति कंवर, पुष्पा प्रजापत, रमेश साल्वी, रविना बलाई, सोनू और सूरज सिंह सांखला सवार थे।
- जिन तीन बच्चियों की मौत हुई है, उनमें ललिता नट आठवीं और आरती नट , प्रीति कंवर छठी क्लास में पढ़ती थीं।