सांसद बोले-बॉर्डर एरिया में आदिमानव जैसा जीवन जी रहे लोग:बाड़मेर-बालोतरा में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण विकास में पिछड़ा
सांसद बोले-बॉर्डर एरिया में आदिमानव जैसा जीवन जी रहे लोग:बाड़मेर-बालोतरा में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण विकास में पिछड़ा

बाड़मेर : बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने लोकसभा में कहा कि राजस्थान के पश्चिमी जिलों में बॉर्डर इलाके के लोग आदिमानव जैसा जीवन जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाड़मेर-बालोतरा में जनसंख्या घनत्व कम होने के कारण यह विकास में पिछड़ गया है।
उन्होंने कहा- नियम 377 के तहत इंटरनेशनल बॉर्डर एरिया के लिए चलाई जाने वाली स्कीमें बीआरजीएफ, बीएडीपी और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से इलाके को वंचित किया गया। यह गंभीर मुद्दा है। उन्होंने केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित कर दुबारा इन योजनाओं के संचालन की मांग की।
सांसद बेनीवाल ने सदन को अवगत करवाया कि बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा क्षेत्र क्षेत्रफल की दृष्टि से देश की राजधानी दिल्ली से पैंतालीस गुणा, हरियाणा से डेढ़ गुणा, पंजाब से सवा गुणा सहित देश के कई राज्यों से बड़ा है।
पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है, विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं संसाधनों के अभाव के कारण पिछड़ा क्षेत्र हैं। यहां की बसावट छितराई ढाणियों में होने के कारण आधारभूत सुविधाओं से वंचित भी हैं।
सांसद ने कहा- आदिमानव जैसा जीवनयापन कर रहे हैं
इसका मूल कारण केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु जो मानदण्ड तय किये गये हैं। उनमें जनसंख्या मुख्य आधार हैं। इस क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व कम होने के कारण अन्य क्षेत्र की तुलना में यहां विकास बहुत कम हो पाया है।
सरकारी सुविधाओं के अभावों के कारण इस क्षेत्र के निवासी आज भी पानी, चिकित्सा, शिक्षा, बिजली, सड़क, आवास सहित प्राकृतिक, सरकारी सुविधाओं के अभावों के कारण विभिन्न समस्याओं का सामना कर इस क्षेत्र के निवासी आज भी विकट परिस्थितियों में आदिमानव जैसा जीवन यापन कर रहे हैं। इसकी जांच के लिए केंद्रीय दल दौरा कर रिपोर्ट जारी करें।
बंद की स्कीमों को दुबारा शुरू करवाई जाए
इस प्रकार के सीमावर्ती एवं पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों का मूल धारा से जोड़ने और सामरिक दृष्टि से राष्ट्र सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार की ओर से कई नई योजनाएं संचालित की गई। उन्हें भी बंद कर दी गई या उनसे वंचित कर रखा हैं। जिसमें सीमावर्ती पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों को मूलधारा से जोड़ने और विकास के लिए केन्द्र सरकार की ओर से सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) केन्द्र सरकार ने 1993, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (बीआरजीएफ) 2006 और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) 2022 से योजनाएं संचालित की गई।
योजनाओं का मुख्य उद्देश्य
इन योजनाओं का मूल उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों के जिलों में संतुलित विकास के लिए बुनियादी ढांचे, आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सामाजिक–आर्थिक पहलुओं और अन्य संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में धनराशि प्रदान की जाती थी। इन महत्वपूर्ण योजनाओं में बीएडीपी को अप्रैल 2022 और बीआरजीएफ को 2015 में केन्द्र सरकार ने बाडमेर, जैसलमेर जिलों के साथ बीकानेर, श्रीगंगानगर जिलों में भी बंद कर दिया जो सीमांत जिलों के साथ यह घोर अन्याय हैं। केन्द्र सरकार राष्ट्र सुरक्षा को मध्यनजर रखते अंतरराष्ट्रीय सीमांत क्षेत्र के विकास और आधारभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए दुबारा शुरू की जाए।
वीवीपी स्कीम में बाड़मेर, जेसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर को दुबारा शामिल किया जाए
सीमांत क्षेत्र में केन्द्र सरकार की ओर से वाइब्रेंट विलेज योजना(वीवीपी) 15 फरवरी 2023 को शुरू की गई। वाइब्रेंट विलेज योजना का भी इन योजनाओं के उद्देश्य के सामान कार्ययोजना हैं। जिसमें राजस्थान राज्य के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर को बाहर रखा गया। इस योजना में तत्काल शामिल करने करने के साथ इसकी जांच के लिए केंद्रीय दल दौरा कर रिपोर्ट जारी करने की मांग की। इन तीनों स्कीमों के साथ अन्य महत्वपूर्ण योजना को तत्काल प्रभाव से पहले की भांति मानदंडों के अनुसार विस्तारित कर लागू किया जाएं ताकि स्थानीय लोगों को मूलभूत आवश्यकताओं का लाभ मिल सकें।