नीमकाथाना : रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स जयपुर में तैनात नीमकाथाना के झाड़ली की बेटी पूनम कंवर अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलीमंजारो पर चढ़कर तिंरगा फहराया है। 5,995 मीटर की ऊंचाई पर चढ़कर भारत का प्रतिनिधित्व किया। पूनम कंवर का चयन अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए चयन हुआ था। अब पूनम ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
पूनम कंवर हिमाचल और उत्तराखंड के पहाडों पर चढ़ने की बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग ले रही थी और अब उसका चयन अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए चयन था। पूनम 21 नवंबर को भारतीय पर्वतारोही दल के साथ मुंबई से अदीश अबाबा किलीमंजारो के लिए उड़ान भरी थी। वहां पहुंचकर रविवार सुबह से अपने दल के साथ माउंट किलीमंजारो की चढ़ाई 5,995 मीटर की ऊंचाई के लिए भारतीय दल के साथ रवाना हुई, 27 नवंबर को दोपहर 1:49 पर अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलीमंजारों को फतह कर भारतीय तिरंगा और रेलवे सुरक्षा बल फ्लैग को लहराया। इस अभियान को मिशन पॉसिबल ने आयोजित किया था। इस अभियान के नेतृत्व नरेन्द्र सिंह यादव ने किया जिन्होंने इसे सफलतापूर्वक पूर्ण करने में भागीदारी निभाई। इसके लिए BSF की BIATT उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ABVIMAS से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किलीमंजारों 5895AMSL की ऊंचाई पर फतह करने वाली पूनम रेलवे सुरक्षा बल की पहली महिला पर्वतारोही है जिसने गौरव हासिल किया है।
पूनम ने बताया कि पर्वतारोहण के लिए मुख्य सुरक्षा आयुक्त बल मुख्यालय रेलवे सुरक्षा विशेष बल दयाबस्ती (दिल्ली) की आईजी सुमीत सोडील्या ने सुविधाएं उपलब्ध करवाने में विशेष योगदान रहा। जिन्होंने तिरंगा और बल का फ्लैग देकर अभियान के लिए रवाना किया। पूनम ने बताया की इससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिल, महिलाओं को समाज में सम्मान अवसर मिले। पूनम का अब माउंट एवरेस्ट से पहले वो यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी एलप्रश को फतह करना चाहती है।
पूनम कंवर के पिता रिटायर्ड फौजी रतन सिंह शेखावत ने बताया कि पूनम कंवर रेलवे सुरक्षा विशेष बल में जयपुर में तैनात है, पूनम बचपन से ही होनहार थी, पढ़ाई के साथ NCC और स्पोर्ट्स में हिस्सा लेती थी। बाद में पूनम वर्ष 2014 में RPSF में भर्ती हुई। उसके बाद वह कमांडो की ट्रेनिंग लेकर ट्रेनिंग सेंटर में उस्ताद रही। तिरंदाजी और घुड़सवारी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। पूनम वर्तमान में पिछले दो वर्षों से लगातार हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ों पर चढ़ने की बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग ले रही थी।