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नवीकरण के नाम पर किया था प्लांटों को बंद, आज तक शुरू नहीं हुए, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति भी दे चुके स्थिति में सुधार का आश्वासन


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नवीकरण के नाम पर किया था प्लांटों को बंद, आज तक शुरू नहीं हुए, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति भी दे चुके स्थिति में सुधार का आश्वासन

नहीं आए खेतड़ी कॉपर कॉप्लेक्स के अच्छे दिन

खेतड़ी : एशिया के सबसे बड़े ताम्र खदान खेतड़ी कॉपर कॉप्लेक्स में अलग-अलग संयंत्रों में 50 वर्ष पूर्व वर्ष 1973 में उत्पादन शुरू हुआ था तथा वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस संयंत्र को देश के नाम समर्पित किया था। परंतु धीरे-धीरे इन संयंत्रों में पुरानी तकनीकी होने के कारण उत्पादन खर्च अधिक आने लगा जिसे प्रबंधन ने नई तकनीकी के प्लांट लगाने के नाम पर बंद कर दिया। परंतु आज तक उन्हें पुन: शुरू नहीं किया गया है।

कभी हुआ करता था मिनी भारत

स्थानीय लोगों ने बताया कि तत्कालीन समय में यह संयंत्र जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र था तथा यहां संपूर्ण देश के प्रदेशों के कामगार कार्य करते थे तथा इसे मिनी भारत के नाम से भी जाना जाता था। परंतु नई तकनीकी के संयंत्र लगाने के नाम पर पुराने संयंत्र को बंद कर दिया गया। उनके स्थान पर नए संयंत्र नहीं लगाए गए।

…तो मिले रोजगार

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार आज खेतड़ी की खदानों में जिस स्पीड से ताम्र अयस्क निकाला जा रहा है। वह आगामी 200 वर्षों तक निकाला जा सकेगा, खेतड़ी क्षेत्र के भूगर्भ में इतना भंडार है। परंतु संयंत्र बंद होने से यह समस्त अयस्क बाहर भेजा जा रहा है।यदि संयंत्र पुन स्थापित किए जाएं और उन्हें शुरू किया जाए तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ-साथ और भी उनके सहायक उद्योग लगाए जा सकते हैं।

अब तक केवल आश्वासन ही मिले

10 वर्षों में इन ताम्र संयंत्रों को पुन: शुरू करने के लिए स्थानीय लोग अलग-अलग प्लेटफार्मों पर मांग उठाते रहे हैं। परंतु उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब खेतड़ी आए थे तो पोलो ग्राउंड की जनसभा में उन्होंने खेतड़ी कॉपर कॉप्लेक्स की स्थिति को सुधारने की घोषणा की थी। वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जब खेतड़ी दौरे पर आए थे तब स्थानीय लोगों ने उन्हें हिंदुस्तान कॉपर की स्थिति में सुधार करने के लिए ज्ञापन दिया था। तब उन्होंने भी अपने संबोधन में स्थिति में सुधार करने का आश्वासन दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब वर्ष 2013 में खेतड़ी आए थे, तब उन्होंने पोलो ग्राउंड की जनसभा में हिंदुस्तान कॉपर की स्थिति सुधारने की घोषणा की थी। तब स्थानीय लोगों को बड़ी खुशी हुई थी कि खेतड़ी कॉपर कापलेक्स के अच्छे दिन आएंगे। परंतु आज तक एक भी संयंत्र नहीं लगा है।

प्रदीप सुरोलिया, पूर्व कर्मचारी कोलिहान, खदान खेतड़ी

क्षेत्र में हिंदुस्तान कॉपर के अलावा कोई बड़ा उद्योग धंधा नहीं है। इसके संयंत्र बंद होने से लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है। यदि इसके बंद पड़े संयंत्र पुन: नई तकनीकी से शुरू किए जाते हैं तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। खेतड़ी क्षेत्र में तांबे के अकूत भंडार है। जीएसआई की रिपोर्ट के अनुसार आगामी 200 वर्षों तक ताम कमी नहीं होगी।

अजीत सिंह तंवर, एडवोकेट खेतड़ी

20 वर्ष पर पूर्व जब खेतड़ी कॉपर कांप्लेक्स में लगभग 10 हजार कामगार कार्यरत थे। उस समय खेतड़ी ,सिंघाना ,चिड़ावा ,नारनौल तक के व्यापार पर असर पड़ता था। ताम्र संयंत्र बंद होने के पश्चात इन क्षेत्रों के व्यापार पर भी असर पड़ा है। यदि यह बंद पड़े यह संयंत्र पुन: शुरू किए जाते हैं तो आसपास के कस्बों के व्यापार पर असर पड़ेगा।

अशोक नानूवाली बावड़ी, व्यवसायी, खेतड़ी

हिंदुस्तान कॉपर खेतड़ी कॉपर कांप्लेक्स में पुराने संयंत्रो को नई तकनीकी युक्त बनाने के नाम पर बंद कर दिया गया था। यदि नई तकनीकी से युक्त संयंत्र लगाया जाए तो उनसे कम उत्पादन खर्च में अधिक उत्पादन होगा। इसके साथ ही ताम्र आधारित लघु उद्योग भी क्षेत्र में स्थापित होंगे तो स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक रोजगार मिलेगा।

रामवतार जांगिड़, पूर्व कर्मचारी कोलिहान खदान, खेतड़ी

हिंदुस्तान कॉपर का स्मेल्टर प्लांट 50 वर्ष पूर्व 1973 में शुरू किया गया था। उसमें समयानुसार वर्तमान में नई तकनीकी की आवश्यकता थी। परंतु कंपनी ने उसे नई तकनीकी नाम से बंद तो कर दिया था। लेकिन पुन: शुरू नहीं किया गया। यदि स्मेल्टर प्लांट, फर्टिलाइजर प्लांट,एसिड प्लांट व रिफाइनरी प्लांट को नई तकनीकी से पुन: शुरू किया जाता है तो लोगों को रोजगार मिलेगा।

ओमप्रकाश चिरानी, सचिव केटीएसएस, कोलिहान

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