भंगी, नीच…, कौन-कौनसे शब्द जातिसूचक नही? राजस्थान हाईकोर्ट ने गिनाई लिस्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कुछ शब्दों को जातिसूचक शब्दों की श्रेणी से हटा दिया है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला?

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि भंगी, भिखारी, मंगनी और नीच जैसे शब्द जातिसूचक नहीं हैं। बता दें कि मामला अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान सरकारी कर्मचारियों के साथ हुई बहस से जुड़ा है। कोर्ट ने इन शब्दों का इस्तेमाल करने वाले 4 आरोपियों के खिलाफ लगी एससी-एसटी एक्ट की धाराओं को हटा दिया। जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने ये फैसला सुनाया है।
पूरा मामला जैसलमेर जिले के कोतवाली थाने का है। यहां 31 जनवरी 2011 को एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। 31 जनवरी को हरीश चंद्र अन्य अधिकारियों के साथ अतिक्रमण की जांच करने गए थे। इस दौरान अचल सिंह ने भंगी, नीच, भिखारी जैसे अपशब्द हरीश चंद्र को कहे। इस दौरान हाथापाई भी हो गई। इस पर हरीश चंद्र ने एससी-एसटी एक्ट में कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया। मामले में 4 लोगों पर आरोप लगाए गए थे। चारों ने एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोप को चुनौती दी थी। अपीलकर्ताओं ने कहा कि पीड़ित की जाति के उन्हें जानकारी नहीं थी।
कोर्ट ने इस आधार पर किया बरी
सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि उन्हें अधिकारी की जाति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि ऐसे शब्द अधिकारियों को बोले गए। इसके बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि भंगी, नीच, मंगनी और भिखारी जैसे शब्द जातिसूचक नहीं है और यह एससी/एसटी एक्ट में शामिल नहीं होगा। ऐसे में जातिसूचक शब्दों के मामले में आरोपी को बरी कर दिया गया, हालांकि सरकारी ड्यूटी पर लगे कर्मचारियों के काम में बाधा डाली गई, इसका केस चलता रहेगा।