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स्कूलों में नामांकन नहीं, टीचर किसे पढ़ा रहे:सात स्कूलों के 43 बच्चों को पढ़ाने के लिए 14 टीचर, दिखाने के लिए पड़ोस से बुलाए बच्चे


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स्कूलों में नामांकन नहीं, टीचर किसे पढ़ा रहे:सात स्कूलों के 43 बच्चों को पढ़ाने के लिए 14 टीचर, दिखाने के लिए पड़ोस से बुलाए बच्चे

स्कूलों में नामांकन नहीं, टीचर किसे पढ़ा रहे:सात स्कूलों के 43 बच्चों को पढ़ाने के लिए 14 टीचर, दिखाने के लिए पड़ोस से बुलाए बच्चे

सुजानगढ़ : सुजानगढ़ ब्लॉक में प्राइमरी स्कूलों की हालत खराब है। ब्लॉक के 29 प्राइमरी स्कूलों में 20 से भी कम बच्चों का नामांकन है। यही नहीं, इनमें से 11 स्कूलों में 10 या इससे कम बच्चे हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से सात स्कूलों के 43 बच्चों को पढ़ाने के लिए 14 टीचर नियुक्त हैं।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय मगरासर फांटा, कानुता में 6 बच्चों पर 2 टीचर, नेहरों की ढाणी, घोटड़ा प्राथमिक स्कूल में 5 बच्चों पर 2 टीचर, ढाणी निंबोलाई, कानूता स्कूल में 7 बच्चों पर 2 टीचर, राजपुरा नीमड़ी स्कूल में 7 बच्चों पर 2 टीचर, मेघवाल बस्ती सालासर स्कूल में 7 बच्चों पर 2 टीचर, तेलाप के गोमनाडा स्कूल में 6 बच्चों पर 2 टीचर और भीमसर प्याऊ प्राथमिक स्कूल में 5 बच्चों पर 2 टीचर नियुक्त हैं। शिक्षा विभाग मोटी तनख्वाह वाले इन टीचर्स को नाममात्र के नामांकन वाले स्कूलों में नियुक्त कर रखा है।

रियलिटी चेक में सामने आई बड़ी लापरवाहियां

भास्कर डिजिटल ने रियलिटी चेक के लिए तहसील के कई स्कूलों का दौरा किया, जहां हालात बदतर मिले। भीमसर प्याऊ की प्राइमरी स्कूल में अंदर जाने का रास्ता नहीं था। झाड़ियों के बीच किसी तरह अंदर गए तो चार बच्चे और दो टीचर मिले। मेघवाल बस्ती सालासर प्राइमरी स्कूल में सात की जगह चार बच्चे मिले। हमें देख आनन-फानन में पड़ोस के तीन बच्चों को बुलाकर 7 बच्चों का फोटो खींचवाया।

टीचर रंजनी ने बताया कि वह लगातार 16 साल से इसी स्कूल में हैं, लेकिन 16 सालों में वह बच्चों की संख्या 16 तक नहीं बढ़ा पाई। तेलाप की ढाणी गोमनाडा प्राइमरी स्कूल में टीचर रामकरण मेघवाल 21 साल से लगातार नियुक्त हैं, लेकिन नामांकन मात्र 6 पर अटका हुआ है। बड़ी लापरवाही गेडाप की ढाणी नाड़िया प्राइमरी स्कूल में दिखाई दी, जहां 20 बच्चों का नामांकन होने के बावजूद मौके पर केवल 3 बच्चे मिले। यहां टीचर गोविंदराम पांडर और गुलाब कंवर दोनों 8 साल से ड्यूटी कर रहे हैं।

जिम्मेदारों का कहना है

दैनिक भास्कर ने यह डाटा ब्लॉक सीबीइओ ऑफिस से प्राप्त किया है। रियलिटी चेक के बाद इन स्कूलों की स्थिति पर चुरू प्रारंभिक शिक्षा के डीईओ संतोष महर्षि ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुसार दूरदराज की ढाणियों में स्कूल खोले गए हैं क्योंकि छोटे बच्चे एक किलोमीटर से ज्यादा दूर नहीं जा सकते। शिक्षा एक सेवा का कार्य भी है। वहां के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए ही दूरदराज की ढाणियों में सरकार स्कूल खोलती है, और नामांकन शायद इसलिए कम है क्योंकि ढाणी में बच्चे कम होते हैं। अगर टीचर स्कूलों में नहीं जाते तो हम कार्रवाई करेंगे। कहीं बच्चे नहीं मिले तो यह किसी खास दिन की वजह से हो सकता है। आजकल सब कुछ ऑनलाइन है। नामांकन आधार कार्ड से जुड़े हैं, इसलिए इसमें गड़बड़ी की संभावना कम है। फिर भी अगर आपने कोई कमी पाई है तो हम जांच करवाएंगे।

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