एक थप्पड़ से खत्म हो गया था विधायक का करियर:IAS को पीटने वाले तत्कालीन मंत्री को 27 साल बाद भी सजा नहीं; राजस्थान के 4 चर्चित थप्पड़कांड
एक थप्पड़ से खत्म हो गया था विधायक का करियर:IAS को पीटने वाले तत्कालीन मंत्री को 27 साल बाद भी सजा नहीं; राजस्थान के 4 चर्चित थप्पड़कांड
जयपुर : उपचुनाव (13 नवंबर) के दिन टोंक के देवली-उनियारा विधानसभा के समरावता गांव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। इसके बाद शुरू हुआ बवाल 4 दिन बाद भी शांत नहीं हुआ है। नेताओं और अफसरों के बीच मारपीट का ये पहला मामला नहीं है। पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। एक केस तो 22 साल बाद भी अदालत में पेंडिंग हैं।
देवली-उनियारा की घटना से ये थप्पड़कांड एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
1997 : देवी सिंह भाटी ने सिंचाई मंत्री रहते सचिव को चैंबर में बुलाकर पीटा
साल 1997 में भाजपा सरकार में तत्कालीन सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने विभाग के तत्कालीन सचिव पीके देव को अपने चैंबर में मारपीट की थी। पीके देव मंत्री भाटी के चैंबर से निकले तो मारपीट के निशान साफ दिख रहे थे। कपड़े और बाल अस्त-व्यस्त थे।
उस समय भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे। उस वक्त सुनील अरोड़ा सीएम के सचिव थे, जो बाद में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। देव सुनील अरोड़ा के पास गए।
अरोड़ा उसी हालत में पीके देव को सीएम के पास लेकर गए। देव ने पूरा घटनाक्रम सीएम शेखावत को बताया। भैरोंसिंह शेखावत ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए भाटी से इस्तीफा मांग लिया। देवीसिंह भाटी को मंत्री पद से हटा दिया गया।
इसके बाद पीके देव ने 6 दिसंबर 1997 को अशोक नगर थाने में देवीसिंह भाटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। मुकदमे में बीसलपुर प्रोजेक्ट से जुड़ी मीटिंग में एक फर्म को फेवर नहीं करने पर मंत्री पर मारपीट के आरोप लगाए थे।
भाटी विधायक थे, इसलिए इस मुकदमे को सीआईडी सीबी को सौंप दिया था। सीआईडी-सीबी में यह मामला लंबा चला। 2019 में 22 साल बाद सीआईडी सीबी ने इस मामले में भाटी के खिलाफ चालान पेश किया। अगस्त 2022 में हाईकोर्ट ने चार्जशीट को खारिज कर दिया था, मामला अब भी लंबित है।
2001 : कलेक्टर के सामने भरी बैठक में कांग्रेस विधायक ने एसपी को मारा था थप्पड़
केकड़ी से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने जून 2001 में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला अभाव अभियोग की बैठक के तत्कालीन अजमेर एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था।
उषा शर्मा उस वक्त कलेक्टर थीं। वे बाद में मुख्य सचिव बनी थीं। आलोक त्रिपाठी डीजी एसीबी के पद से रिटायर हो चुके हैं। एसपी को थप्पड़ मारने के मामले में उस वक्त विधायक सिंगारिया के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। सीआईडी सीबी में 22 साल तक जांच चलती रही। इस मामले में उषा शर्मा मुख्य सचिव रहते गवाही के लिए अजमेर कोर्ट गई थीं।
अजमेर की अदालत ने 20 गवाहों के बयानों के आधार पर बाबूलाल सिंगारिया को 24 मार्च, 2023 को तीन साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाया था। सजा के खिलाफ बाबूलाल सिंगारिया ने अपील की, जिसमें सजा स्थगित करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था। मारपीट के अलावा बाकी मामलों में बरी कर दिया था। अब भी यह मामला कोर्ट में चल रहा है।
सिंगारिया इस थप्पड़कांड के बाद राजनीति में उबर नहीं पाए। उन्हें कांग्रेस ने आगे टिकट नहीं दिया। केकड़ी सीट से रघु शर्मा को टिकट देने के बाद सिंगारिया हाशिए पर चले गए। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ एनसीपी और फिर भाजपा जॉइन कर ली, लेकिन टिकट नहीं मिला।
2022 : पूर्व विधायक भवानी सिंह ने आईएफएस को मारा था थप्पड़, 10 दिन जेल
कांग्रेस राज के दौरान साल 2022 में पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने डीएफओ के पद पर तैनात आईएफएस रवि मीणा को उनके दफ्तर में जाकर थप्पड़ मार दिया था। दरअसल, वन विभाग ने फोरेस्ट लैंड पर सड़क का काम रुकवा दिया था। यह रास्ता मंदिर का था। पूर्व विधायक ने समर्थकों के साथ जाकर इसका विरोध जताया और डीएफओ को थप्पड़ मार दिया था। इस मामले में डीएफओ ने पुलिस में रिपोर्ट दी। राजावत 1 अप्रैल 2022 को गिरफ्तार हुए। 10 दिन जेल में रहे थे। बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली थी, तब से जमानत पर हैं।
2022 : पूर्व विधायक मलिंगा और समर्थकों ने तोड़े इंजीनियर के हाथ-पैर
साल 2022 में कांग्रेस राज के दौरान बाड़ी में बिजली ग्रिड सब स्टेशन पर तैनात डिस्कॉम इंजीनियर हर्षादापति के साथ तत्कालीन कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और उनके समर्थकों ने मारपीट कर हाथ-पैर तोड़ दिए थे। इंजीनियर अब भी ठीक नहीं हुए हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मलिंगा को सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। मलिंगा ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि वे मौके पर थे ही नहीं। उस वक्त तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत ने मलिंगा को पुलिस के सामने सरेंडर करने की सलाह दी थी। मलिंगा ने सरेंडर किया, बाद में जमानत पर छूटे। मामले की जांच सीआईडी सीबी कर रही है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में फिर कार्रवाई तेज होगी।
एक्सपर्ट कमेंट : सीआईडी-सीबी में मामला जाने का मतलब केस को लटकाना
वरिष्ठ वकील एके जैन का कहना है कि सांसद और विधायकों के खिलाफ दर्ज हर मामले में सरकार भेदभाव करती है। 1986 से सर्कुलर है, जिसमें विधायक-सांसदों के खिलाफ दर्ज हर केस की जांच राजस्थान में सीआईडी-सीबी करती है। सीआईडी-सीबी में मामला जाने का मतलब केस को लटकाना है।
सांसद-विधायकों के खिलाफ दर्ज हर मामला देख लीजिए। कई साल तब चालान पेश नहीं होता। मंत्री देवी सिंह भाटी ने 1997 में आईएएस पीके देव को मारा था। आज तक मामला चल रहा है। इसी तरह पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया के खिलाफ भी मामला सेशन कोर्ट में लंबित है। दोनों चर्चित मामलों में सीआईडी सीबी की जांच की रफ्तार कितनी धीमी रही है कि 20-20 साल तक चालान तक पेश नहीं हुए।
सांसद विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों में भेदभाव खत्म होना चाहिए। आम आदमी के खिलाफ तो तत्काल कार्रवाई हो जाती है। उसी अपराध में सांसद- विधायकों के खिलाफ जांच लटकाते रहते हैं। – एके जैन सीनियर वकील, हाईकोर्ट
नरेश मीणा विधायक नहीं, इसलिए सीआईडी-सीबी में नहीं जाएगा मामला
नरेश मीणा को एसडीएम को थप्पड़ मारने के मामले में जांच लंबी खींचकर बचने का मौका नहीं मिलेगा। उनके खिलाफ जांच तेजी से चल सकती है। नरेश मीणा विधायक या सांसद नहीं है, इसलिए उनके मामले की जांच सीआईडी सीबी को नहीं दी जाएगी। नरेश मीणा विधायक होने पर जांच सीआईडी सीबी को जाती और बाकी मामलों की तरह लंबी चल सकती थी।
सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने पर अब सजा 3 से बढ़ाकर 5 साल
लोकसेवक को चोट पहुंचाने के मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 121 ए में अब सजा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल कर दी है। पहले इंडियन पीनल कोड की धारा 332 लगती थी, जिसमें 3 साल की सजा और जुर्माना था। अब आईपीसी की जगह बीएनएस लागू हो गया है। बीएनएस में दो साल सजा बढ़ाकर 5 साल कर दी है। यह गैर जमानती अपराध है।