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घर का ‘दीपक’ बुझा, माता-पिता की अंधेरी हुई दिवाली:नाहरगढ़ में भाइयों की मौत-लापता होने की गुत्थी अनसुलझी; दोनों ने लोन लेकर बनाया था मकान


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घर का ‘दीपक’ बुझा, माता-पिता की अंधेरी हुई दिवाली:नाहरगढ़ में भाइयों की मौत-लापता होने की गुत्थी अनसुलझी; दोनों ने लोन लेकर बनाया था मकान

घर का 'दीपक' बुझा, माता-पिता की अंधेरी हुई दिवाली:नाहरगढ़ में भाइयों की मौत-लापता होने की गुत्थी अनसुलझी; दोनों ने लोन लेकर बनाया था मकान

जयपुर : जयपुर में नाहरगढ़ की पहाड़ियों में एक भाई का शव मिलने और दूसरे के लापता होने के दो महीने बाद भी मामला अनसुलझा है। नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर हफ्ते भर तक सर्च अभियान चलाया गया था। ड्रोन उड़ाए गए, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला। अब तक न तो यह पता चला कि छोटे भाई आशीष शर्मा (22) की मौत कैसे हुई, न ही यह पता चला कि राहुल शर्मा (25) कहां गया।

हमारा रिपोर्टर शास्त्री नगर में परबतिया कॉलोनी स्थित उनके घर पहुंचा तो परिवार ने बताया- हमारे घर की दिवाली तो बेरंग हो गई। हमारे घर का एक ‘दीपक’ बुझ गया है जबकि दूसरे का कोई पता नहीं है। हमारे दिल में अंधेरा हो गया है तो हमारे लिए कैसी दिवाली। राहुल का जन्म गोवर्धन पूजा के दिन हुआ था, लेकिन इस बार वह भी बिना बेटों के ही निकल गई।

घटना से पहले दोनों भाइयों के माता-पिता दिवाली के बाद उनकी शादी की प्लानिंग कर रहे थे। परिवार को अब भी उम्मीद है कि उनका बड़ा बेटा राहुल जिंदा है। जब वह लौटेगा, तभी उनके घर में दिवाली और त्योहार मनाए जा सकेंगे। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

घर में मां सीता देवी और पिता सुरेश चंद्र, दोनों बेटों को याद कर भावुक हो गए।
घर में मां सीता देवी और पिता सुरेश चंद्र, दोनों बेटों को याद कर भावुक हो गए।

हमारा रिपोर्टर जब आशीष और राहुल के घर पहुंचा तो यहां अंधेरा था। दरवाजा अंदर से बंद थे। परिचय देने के बाद राहुल और आशीष के पिता सुरेश चंद्र शर्मा ने दरवाजा खोला। घर में कुल चार लोग आशीष व राहुल के माता-पिता और ताऊ राधेश्याम शर्मा व ताई गीता देवी मौजूद थे। एक तरफ जहां पूरा शहर दिवाली मना रहा था, लेकिन उनकी चौखट से लेकर घर के आंगन तक कोई दीया नहीं जलाया गया था। जिस हॉल में ये चारों बैठे थे, उसके पास में ही एक कमरा था। यहां लक्ष्मी जी का पाना लगा हुआ था। उसके आगे मांडणा बनाया हुआ था। जो पिछली दिवाली की खुशियों की याद दिला रहा था।

घर के लिए लोन लिया था परिजन से बातचीत में पता चला कि यह दो मंजिला घर दोनों भाइयों ने लोन लेकर बनाया था। इस मकान में चार कमरे, दो रसोई और दो हॉल हैं। यहां राहुल और आशीष माता-पिता के साथ रहते थे। अब इस मकान में उनके माता-पिता ही रह गए हैं। मकान की किस्त भी दोनों भाई चुका रहे थे। पिता सुरेश कांजी बड़े का ठेला लगाते हैं। मां गृहिणी हैं। यह परिवार साल 2014 में यहां आया था।

राहुल का 20 अक्टूबर को जन्मदिन था, लेकिन परिवार उसका जन्मदिन गोवर्धन पूजा के दिन मनाता था। क्योंकि जिस दिन उसका जन्म हुआ था, वह गोवर्धन पूजा वाला दिन था।

पिता सुरेश ने बताया- वैसे तो हम उस स्थिति में नहीं थे कि धूमधाम से बच्चों का जन्मदिन मनाएं। हालांकि जन्मदिन पर खुशी एक दूसरे के साथ जरूर साझा करते थे। राहुल खासा कोठी स्थित एक फाइनेंस कंपनी में काम करता था। वहां केक काटकर जन्मदिन मनाया जाता था‌। बर्थडे सेलिब्रेशन की सभी बातें राहुल घर आकर हमें बताता था।

शास्त्री नगर स्थित परबतिया कॉलोनी में दोनों भाइयों ने मिलकर घर बनाया था।
शास्त्री नगर स्थित परबतिया कॉलोनी में दोनों भाइयों ने मिलकर घर बनाया था।

दिवाली के बाद थी दोनों की शादी की प्लानिंग ताई गीता देवी ने बताया- दोनों बच्चों के पिता की इच्छा थी कि मकान का कर्ज चुकाने के बाद दोनों की इस साल शादी कर दी जाए। इसके लिए उनकी प्लानिंग थी कि दिवाली के बाद दोनों बच्चों के लिए अच्छा परिवार देखकर शादी की जाएगी। दो-चार जगह से लोग आए भी थे, दोनों भाइयों को देखने के लिए। परिवार चाहता था कि दोनों बच्चों की शादी एक साथ की जाए। परिवार आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं है कि बच्चों की अलग-अलग शादी की जाए।

परिवार के पास अब दोनों भाइयों की याद ही बची हैं।
परिवार के पास अब दोनों भाइयों की याद ही बची हैं।

एक को रोशनी का शौक था तो दूसरे को पटाखे चलाने का मां सीता देवी ने बताया- दोनों भाइयों में बहुत ही प्रेम था। जब राहुल ऑफिस से आता था तो हम दोनों साथ बैठकर चाय पीते थे। पिता सुरेश शर्मा जब कांजी बड़े का ठेला लेकर घर पहुंचते थे तो दोनों भाई सामान उतारने में एक साथ मदद करते थे। पिछली दिवाली पर घर में एक अलग ही रौनक थी। आशीष घर में रोशनी पर ध्यान देता था। उसको शौक था कि घर में रंग-बिरंगी लाइटिंग की जाए। वहीं, राहुल को पटाखे छुड़ाने का शौक था।

आशीष और राहुल, दोनों ही अपने हाथों से घर को रोशन करने के लिए दीपक लगाते थे। इस बार हमारे घर की दिवाली बेरंग है। हमने इस बार न दीपक जलाए हैं, न रोशनी की है, क्योंकि हमारा एक दीपक बुझ गया। एक दीपक का अब तक कोई पता नहीं। हमारे दिल में अंधेरा हो गया।

दीपावली पर आशीष और राहुल के घर में सन्नाटा पसरा रहा।
दीपावली पर आशीष और राहुल के घर में सन्नाटा पसरा रहा।

पिता को अब भी एक बेटे के लौटने की उम्मीद पिता सुरेश शर्मा ने बताया- एक बेटे को खोने के बाद आज भी उम्मीद है कि हमारा दूसरा बेटा कभी न कभी लौट कर घर आएगा। इस बार दिवाली पर हमारे घर में मायूसी है। राहुल के वापस आने पर हम सही मायने में दिवाली मना पाएंगे।

राहुल की तलाश कर रही पुलिस एडिशनल डीसीपी नॉर्थ बजरंग सिंह शेखावत ने बताया- आज भी नाहरगढ़ पहाड़ी पर टीमें जांच में जुटी हैं। न केवल नाहरगढ़ बल्कि अन्य स्थानों पर भी सर्च कर रही है। यह बात सही है कि अभी तक राहुल के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है। जयपुर पुलिस लगातार इस मामले में सर्च कर रही है।

पिता को बताया था रास्ता भटक गए हैं दरअसल, राहुल और आशीष एक सितंबर को सुबह 6 बजे नाहरगढ़ की पहाड़ी पर चरण मंदिर जाने की कह कर निकले थे। इसके 5 घंटे बाद सुबह 11 बजे पिता के मोबाइल फोन पर आशीष ने कॉल कर बताया था कि चरण मंदिर से लौटते वक्त वे रास्ता भटक गए हैं।

दोपहर 1 बजे तक उनके मोबाइल फोन पर रिंग जाती रही, लेकिन फोन उठाया नहीं गया। इसके बाद मोबाइल बंद हो गया था। तब परिजन शास्त्री नगर थाने पहुंचे।

परिजन की शिकायत पर पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया तो अगले दिन (2 सितंबर को) नाहरगढ़ की पहाड़ियों में आशीष का शव मिला था।

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