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कलेक्ट्रेट के सामने लटका मिला नायब तहसीलदार का शव:सुबह पार्क में आए लोगों ने दी पुलिस को सूचना, 5 दिन पहले हुआ था ट्रांसफर


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कलेक्ट्रेट के सामने लटका मिला नायब तहसीलदार का शव:सुबह पार्क में आए लोगों ने दी पुलिस को सूचना, 5 दिन पहले हुआ था ट्रांसफर

कलेक्ट्रेट के सामने लटका मिला नायब तहसीलदार का शव:सुबह पार्क में आए लोगों ने दी पुलिस को सूचना, 5 दिन पहले हुआ था ट्रांसफर

करौली : करौली कलेक्ट्रेट के सामने सिटी पार्क में शनिवार सुबह नायब तहसीलदार का शव पेड़ से लटका हुआ मिला। सुबह पार्क में घूमने आए लोगों को शव दिखा, इसके बाद उन्होंने पुलिस को सूचना दी। नायब तहसीलदार का 5 दिन पहले ही धौलपुर से करौली ट्रांसफर हुआ था। अभी यह क्लियर नहीं है कि यह हत्या है या सुसाइड?

डीएसपी अनुज शुभम ने बताया कि कलेक्ट्रेट के सामने सिटी पार्क में शव फंदे से लटका हुआ होने की सूचना मिली थी। कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतारकर जिला अस्पताल पहुंचाया। मृतक की पहचान राजेंद्र सिंह (40) निवासी बाई गांव, भरतपुर के रूप में हुई।

कलेक्ट्रेट के सामने सिटी पार्क में शव लटका हुआ मिलने की सूचना पर लोगों की भीड़ जुट गई।
कलेक्ट्रेट के सामने सिटी पार्क में शव लटका हुआ मिलने की सूचना पर लोगों की भीड़ जुट गई।

राजेंद्र करौली में नायब तहसीलदार पद पर नियुक्त था। पांच दिन पहले ही उसका धौलपुर से करौली ट्रांसफर हुआ था। जेब में रखे आधार कार्ड से उनकी पहचान हुई। वे कलेक्ट्रेट के सामने ही एक मकान में किराए से रह रहे थे।

हत्या या सुसाइड?

नायब तहसीलदार राजेंद्र की हत्या कर शव लटकाया गया है या उन्होंने सुसाइड किया है, इस सवाल का जवाब अभी किसी के पास नहीं है। पुलिस प्रथम दृष्टया इसे सुसाइड का मामला मान रही है। शनिवार सुबह घटना की सूचना मिलते ही परिवार वाई से करौली के लिए रवाना हो गया।

राजेंद्र भरतपुर की वैर तहसील में कानूनगो पद पर रहे थे। इसके बाद वे धौलपुर के बसई नवाब कस्बे में नायब तहसीलदार के पद पर लगे। 5 दिन पहले ही उनकी पोस्टिंग करौली में नायब तहसीलदार के पद पर हुई थी।

भाई बोले- पारिवारिक और आर्थिक समस्या नहीं

भरतपुर जिले के हलैना थाना इलाके के वाई गांव में रहने वाले बड़े भाई अतर सिंह ने बताया कि राजेंद्र की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी प्रीति (24) और छोटी अंजू (22) हैं। दोनों बेटियां पढ़ रही हैं। हम खुद अचंभे में हैं कि यह घटना क्यों हुई। राजेंद्र को किसी तरह की पारिवारिक या आर्थिक समस्या नहीं थी। राजेंद्र की पत्नी यहीं वाई गांव में दोनों बेटियों के साथ अलग मकान में रहती थीं।

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