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टिकट वितरण से पहले नरेश मीना का शक्ति प्रदर्शन:बोले- कुछ नेता अपने बच्चों के लिए संघर्षशील कार्यकर्ताओं का छीन रहे हक


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टिकट वितरण से पहले नरेश मीना का शक्ति प्रदर्शन:बोले- कुछ नेता अपने बच्चों के लिए संघर्षशील कार्यकर्ताओं का छीन रहे हक

टिकट वितरण से पहले नरेश मीना का शक्ति प्रदर्शन:बोले- कुछ नेता अपने बच्चों के लिए संघर्षशील कार्यकर्ताओं का छीन रहे हक

टोंक : प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। लेकिन उससे पहले ही देवली-उनियारा से टिकट मांग रहे कांग्रेस के युवा नेता नरेश मीणा ने कुछ बड़े नेताओं पर अपने ही बच्चों को राजनीति में स्थापित करने के लिए उनकी उपेक्षा करने का आरोप लगाकर मोर्चा खोल दिया है।

नरेश मीणा ने मंगलवार देर शाम को फेसबुक पर लाइव आकर देवली-उनियारा से उनके टिकट कुछ नेताओं के इशारे पर काटने की आशंका जताई है। इसको लेकर अब नरेश मीणा ने अलीगढ़ में बुधवार को बड़ी मीटिंग बुलाकर आगे की रणनीति बना रहे है। इसमें टोंक, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां, दौसा, भरतपुर, करोली, जयपुर समेत देशभर से हजारों समर्थक इस महापंचायत में आ रहे है। सबसे ज्यादा समर्थक हाड़ौती और पूर्वी राजस्थान से जुट रहे है।

आगे की बनाएंगे रणनीति

इस मीटिंग को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है। लोग चर्चा कर रहे है नरेश मीणा का टिकट टोंक-सवाई माधोपुर संसदीय क्षेत्र समेत पूर्वी राजस्थान के बड़े नेता कटवाने में लगे हुए हैं। बुधवार को नरेश मीणा इस उपचुनाव में आगे की रणनीति बनाने के लिए जनता के बीच आ रहे है। शाम 5 बजे वह समर्थकों से आगे के राजनीतिक कदम को लेकर चर्चा करेंगे।

बड़े नेता भी रखे हुए है निगाह

उधर नरेश मीना के इस कदम को लेकर कांग्रेस के बड़े लीडर भी निगाह रखे हुए है। अभी भी कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा नरेश मीना को टिकट देने के पक्ष में है। इनके टिकट को लेकर ही पेच फंसा हुआ है। इस सीट से नरेश मीणा का टिकट कटता है तो वह आगे निर्दलीय भी चुनावी मैदान में उतर सकते है। वहीं दौसा भी उनके समर्थक बीजेपी को वोट कर सकते है।

नरेश मीणा के परिवार की पृष्टभूमि कांग्रेस की है। इनके पिता कल्याण सिंह मीणा अटरू के कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष रह चुके है। 30 साल से इनके परिवार का ही सदस्य ही इनकी पंचायत में सरपंच बना है। गांव में इनका परिवार किसान के लिए आंदोलन करता रहता है।

टिकट नहीं देने पर बारां की चारों सीटें हारी थी कांग्रेस

नरेश मीना ने गत विधानसभा चुनाव में भी बारां की छबड़ा विधानसभा से कांग्रेस से टिकट मांगा था, लेकिन नरेश मीना के अनुसार तत्कालीन खनिज मंत्री प्रमोद जैन भाया से राजनीतिक द्वेषता के चलते उनको (नरेश मीना) को टिकट नहीं मिला। इसके बाद कार्यकर्ताओं के कहने पर मीणा ने छबड़ा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और करीब 44 हजार वोट लेकर सबको चौंका दिया। ये ही नहीं उनके समर्थकों ने कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग की तो बारां जिले की चारों सीट कांग्रेस हार गई। इसमें पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया भी हार गये। उसके बाद कांग्रेस के हार के कारणों को लेकर हुई मीटिंग में भी कार्यकर्ताओं ने कहा कि नरेश मीना को पार्टी छबड़ा से टिकट दे देती तो कांग्रेस की ये दुर्दशा नहीं होती। नरेश का टिकट कटने का असर हाड़ौती ही नहीं, पूर्वी राजस्थान पर भी पड़ा।

बीजेपी गुर्जर को तो कांग्रेस मीना को देती आई है टिकट

देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र से 2008 के परिसीमन के बाद से अब तक कांग्रेस मीणा समाज के व्यक्ति को टिकट दे रही है। वहीं भाजपा गुर्जर समाज के नेता को और चुनाव लड़वा रही है। 2008 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने रामनारायण मीणा को तो भाजपा के पूर्व मंत्री नाथूसिंह गुर्जर को टिकट दिया। इसमे रामनारायण मीना जीते। उसके बाद 2013 के चुनाव में भाजपा ने राजेंद्र गुर्जर को तो कांग्रेस ने रामनारायण मीणा को टिकट दिया। इसमें राजेंद्र गुर्जर जीते। 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने दौसा से हरीशचंद्र मीना को कांग्रेस में शामिल कर देवली-उनियारा से प्रत्याशी बनाया। हरीशचंद्र मीना ने जीत हांसिल की। इस चुनाव में उन्होंने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को 21 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया। उसके बाद फिर कांग्रेस ने हरीश चंद्र मीना को टिकट दिया। तो बीजेपी ने गुर्जर समाज के नेता विजय बैंसला को ही टिकट दिया। अब उपचुनाव में बीजेपी जे पूर्व MLA राजेंद्र गुर्जर को टिकट दिया है, तो अब कांग्रेस भी पुरानी जीत देखकर मीना समाज के व्यक्ति को ही टिकट देने के मूड में हैं और इसमें सबसे प्रबल दावेदार नरेश मीना दिख रहे है।

 

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