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शंकराचार्य बोले-सरकार गोमांस निर्यात पर मौत की सजा दे:जो गाय की रक्षा नहीं कर सके, हिंदू उसे कभी वोट नहीं देने का संकल्प लेंगे


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शंकराचार्य बोले-सरकार गोमांस निर्यात पर मौत की सजा दे:जो गाय की रक्षा नहीं कर सके, हिंदू उसे कभी वोट नहीं देने का संकल्प लेंगे

शंकराचार्य बोले-सरकार गोमांस निर्यात पर मौत की सजा दे:जो गाय की रक्षा नहीं कर सके, हिंदू उसे कभी वोट नहीं देने का संकल्प लेंगे

जयपुर : जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- केंद्र सरकार गोमांस निर्यात पर मृत्युदंड (मौत) की सजा दे। गाय की रक्षा के लिए कड़ा कानून बनाए। वरना हिंदू ये संकल्प लेंगे कि गाय की रक्षा नहीं करने वालों को जीवन में कभी वोट नहीं देंगे।

उन्होंने कहा- सरकारें गाय को माता नहीं मानती, इसलिए देश में गाय काटी जा रही है। सरकार में बैठे लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि जैसे लोगों के वर्चस्व से आप स्थिर हुए हैं। वैसे आपको उतारा भी जा सकता है। जब गौ माता को पशु सूची से हटाकर राष्ट्र और राज्य माता का दर्जा दिया जाएगा, तब प्रत्येक गौ भक्त खुशी से झूम उठेगा और नृत्य करेगा। अभी यह अवसर हमको नहीं मिला है।

दरअसल, गाय को राष्ट्र और राज्य माता का दर्जा दिलाने के लिए शुक्रवार को जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में गौ ध्वज की स्थापना की गई। कार्यक्रम जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की मौजूदगी में हुआ। इस दौरान उन्होंने ये बातें कही।

गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के संयोजक जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ गौ कथावाचक गोपाल मणी महाराज भी मौजूद रहे।
गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के संयोजक जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ गौ कथावाचक गोपाल मणी महाराज भी मौजूद रहे।

राजस्थान सरकार से उम्मीद, गाय को राज्य माता की मान्यता देगी शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- महाराष्ट्र सरकार ने गाय को राज्य माता का दर्जा देकर गो भक्तों की भावनाओं को समझा और मान्यता दी। राजस्थान की सरकार भी मान्यता देगी, ऐसा हम मानते हैं। हमें लगता है राजस्थान सरकार भी इसके लिए कानून लाएगी और लागू करेगी।

हमने भारत के सभी प्रदेश की राजधानी में जाकर गौ ध्वज की स्थापना करने का फैसला लिया है। भारत के सभी प्रदेशों में गाय के बारे में सामान्य रूप से चर्चा होनी चाहिए। निर्णय भी होना चाहिए। भारत के कुछ प्रदेशों में गाय पर चर्चा होती है, कुछ में नहीं होती। गाय के हत्यारे इसका लाभ उठाते हैं।

शंकराचार्य ने कहा- एक जगह गाय की हत्या पर रोक है वहां से ट्रकों में भरकर, जहां रोक नहीं है वहां ले जाकर कत्ल करते हैं। इसलिए हमने सोचा कि भारत के सभी प्रदेशों में चलकर इस बात को उठाना चाहिए और सब जगह पर एक जैसा कानून बनवाना चाहिए ।

उन्होंने कहा- हमारे इतिहास में न जाने कितने गौ भक्त हुए हैं, जिन्होंने गाय की रक्षा के लिए अस्त्र-शस्त्र उठाए हैं। उनको कभी गुंडा नहीं कहा गया। इसलिए जब उनको कोई गुंडा कहता है तो पीड़ा होती है। वही बात हमने कही है कि गाय का रक्षक कभी भी गुंडा नहीं हो सकता। यदि कोई हमारी मां-बहन की आबरू पर आघात करेगा तो हम शांत कैसे रह सकते हैं। गाय हमारी मां है और बात अगर उसके प्राण पर आएगी तो उसे हम सहन नहीं करेंगे।

शंकराचार्य ने कहा- सरकार हम हिंदुओं का वोट लेती है और हमारी ही माता को बोटी-बोटी कर बेचा जाता हो, दोनों कैसे चलेगा? या तो हमारा वोट लेना बंद करो या तो हमारी भावना के अनुसार गौ माता का सम्मान करो। वह लेना तो बंद क्या करेंगे, हम उन्हें वोट देना ही बंद कर देंगे। यही निर्णय हमारा है।

गाय को संविधान में भी स्थान दिया गया है उन्होंने कहा- शास्त्रों, वेद पुराणों और यहां तक की देश के संविधान में भी गाय को स्थान दिया है। संविधान में कहा है कि गायों का संरक्षण करना चाहिए। उनको काटकर बेचा नहीं जाना चाहिए, लेकिन आज गाय काटने वालों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं। तभी सुनने को मिल रहा है कि गाय का मांस बेचकर भारत इतने पायदान ऊपर आया।

गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर संत महात्मा एक मंच पर आए।
गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग को लेकर संत महात्मा एक मंच पर आए।

हमें सरकारों से सोना-चांदी, रुपया-पैसा अनुदान नहीं चाहिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा- हमें सरकारों से सोना-चांदी रुपया-पैसा अनुदान आदि कुछ नहीं चाहिए। बस जिसे माता कहकर पुकारा है, उसे माता स्वीकार कर लीजिए।

हम तो बस इतना चाहते हैं महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान में भी गाय को राज्य माता घोषित किया जाए। इसके लिए 31 विधायकों ने भी पत्र लिखकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मांग की है।

उन्होंने कहा- शेर को मारा नहीं जा सकता है, क्योंकि सरकार उस पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। हाथी और घोड़े को भी नहीं मारने दिया जाता। बैल भी हिंदू आस्था का प्रतीक है। हिंदू इतने सस्ते हो गए हैं कि हमारे ही देश में हमारे ही वोटों से बनी सरकार अब हमारा अनादर कर रही है। ऐसे में इस पर हमें पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

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