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सांसद रोत बोले-जनगणना में आदिवासियों का अलग धर्म कोड बने:30 साल पहले एनसीईआरटी की किताब में लिखा था-आदिवासी हिंदू नहीं है; अब हटा दिया


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सांसद रोत बोले-जनगणना में आदिवासियों का अलग धर्म कोड बने:30 साल पहले एनसीईआरटी की किताब में लिखा था-आदिवासी हिंदू नहीं है; अब हटा दिया

सांसद रोत बोले-जनगणना में आदिवासियों का अलग धर्म कोड बने:30 साल पहले एनसीईआरटी की किताब में लिखा था-आदिवासी हिंदू नहीं है; अब हटा दिया

डूंगरपुर : बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने आदिवासी हिंदू नहीं है वाले बयान पर कहा- 30 साल पहले एनसीईआरटी की किताबों में बिरसा मुंडा के जीवनी और इतिहास को लिखा गया था। उसमें लिखा था कि आदिवासी हिंदू नहीं है और उनकी पूजा पद्धति अलग है। उन्होंने सरकार से आदिवासियों की अपनी आइडेंटिटी के लिए जनगणना में अलग से धर्म कोड की मांग की है।

रोत ने कहा- अब किताबों से इतिहास को हटाया जा रहा है। ये भाजपा के नेताओं की सोच है। हमारा किसी भी धर्म, समाज का विरोध नहीं है, लेकिन आदिवासी अलग-अलग जगह पर बंटा हुआ है। आदिवासी हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई नहीं है, लेकिन उनकी कोई अपनी आइडेंटिटी नहीं होने के कारण अपनी परिस्थिति के अनुसार धर्म अपना रहा है। उसे अपनी पहचान दिलाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं।

सांसद ने कहा- देश की आजादी में आदिवासी, राजपूत, ब्राह्मण सभी वर्ग का साथ रहा है, लेकिन उस समय सभी लोगों में देश प्रेम की भावना हुआ करती थी। आज देश में धर्म की राजनीति चल रही है।

बीएपी सांसद राजकुमार रोत, जिलाध्यक्ष अनुतोष रोत और आसपुर विधायक उमेश मीणा ने सोमवार को विभिन्न मुद्दों को लेकर मीडिया से बात की।
बीएपी सांसद राजकुमार रोत, जिलाध्यक्ष अनुतोष रोत और आसपुर विधायक उमेश मीणा ने सोमवार को विभिन्न मुद्दों को लेकर मीडिया से बात की।

प्रदेश में काम नहीं होने से जनता त्रस्त रोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- प्रदेश में शिक्षा, चिकित्सा के हालात बदतर है। बेरोजगारी चरम पर है। मनरेगा में मजदूरों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। पिछले 3 साल से छात्रवृत्ति बकाया चल रही है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में पेंशन नहीं मिल पा रही है। वर्तमान में जनता त्रस्त है और योजनाएं ठप पड़ी हैं। टीएडी विभाग के हॉस्टल में 3 साल तक वार्डन को लगाए रखने का नियम है, लेकिन इसके बावजूद वार्डन हॉस्टल में जमे हुए हैं। विधायक रहते विधानसभा में मुद्दा उठाया था, लेकिन जिले के एक पूर्व मंत्री ने दुकान लगाकर लिफाफे ले लिए और मामले का दबा दिया।

सीएम और मंत्रियों को पता ही नहीं, उनको क्या करना है सांसद ने कहा- विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेशभर में माहौल बनाया था कि डबल इंजन की सरकार बनाएंगे और डबल इंजन की सरकार में फटाफट काम होंगे। विकास को गति मिलेगी, लेकिन चुनाव के बाद जैसे ही राज्य में पर्ची की सरकार बनी न तो मुख्यमंत्री को समझ में आ रहा है और न ही मंत्रियों को कि वे किस पद पर हैं। उनका दायित्व क्या है, उनको क्या करना है।

रोत ने कहा- आदिवासी इलाके से दो मंत्री बनाए गए हैं। इनको बने 8-10 महीने हो गए हैं, लेकिन उनके डिपार्टमेंट में क्या हो रहा है। इससे उनको कोई मतलब नहीं है। वे मंत्री कम पार्टी प्रचारक के रूप में काम कर रहे हैं। एक चूहे की तरह डिपार्टमेंट को कुरेदने का काम कर रहे हैं। आदिवासी छात्रों में घटिया सामग्री का वितरण किया जा रहा है। कई छात्रावासों में वर्षों से वार्डन जमे हुए हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है।

विधानसभा उप चुनाव में नहीं करेंगे गठबंधन, जीत का दावा राजकुमार रोत ने कहा- आगामी दिनों में विधानसभा उप चुनाव होने हैं। डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा और सलूंबर विधानसभा उप चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करके स्वतंत्र रूप से चुनाव लडे़गी। रोत ने दोनों जगह पर बीएपी की जीत का दावा किया है।

सांसद राजकुमार रोत ने 24 सितंबर को बांसवाड़ा के घोटिया आंबा धाम में दर्शन किए थे। आदिवासी सनातन हिंदू जन जागरण समिति ने धाम का शुद्धिकरण किया।
सांसद राजकुमार रोत ने 24 सितंबर को बांसवाड़ा के घोटिया आंबा धाम में दर्शन किए थे। आदिवासी सनातन हिंदू जन जागरण समिति ने धाम का शुद्धिकरण किया।

सांसद ने दर्शन किए तो धर्म-स्थल का किया शुद्धिकरण उधर, बांसवाड़ा जिले के प्रसिद्ध आदिवासी तीर्थ स्थल घोटिया आंबा धाम पर सोमवार को शुद्धिकरण कार्यक्रम किया गया। आदिवासी सनातन हिंदू जन जागरण समिति की ओर से घोटेश्वर महादेव का गंगाजल, बेणेश्वर धाम के आबू दर्रा घाट का जल और जिले की अलग-अलग नदियों का जल लाया गया। शुद्धिकरण के लिए पूरे परिसर में पवित्र जल का छिड़काव किया गया और हवन भी किया गया।

पूर्व मंत्री धन सिंह रावत ने बताया- 24 सितंबर को सांसद राजकुमार रोत ने यहां दर्शन किए थे। जो लोग हिंदू धर्म को नहीं मानते, उन्होंने यहां दर्शन किए और सभा का भी आयोजन किया। इस कारण जगह का शुद्धिकरण जरूरी है।

दरअसल, आदिवासी अधिकार दिवस के मौके पर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के तत्वावधान में यहां कार्यक्रम रखा गया था। इसके ठीक एक दिन पहले समिति की ओर से प्रशासन को ज्ञापन देकर कार्यक्रम निरस्त करने की मांग की गई थी। हालांकि दोनों पक्षों को समझाने के बाद कार्यक्रम हुआ था।

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