[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

खाप पंचायत का फैसला:हत्या के आरोपी तीन युवकों का परिवार बेदखल, घर जलाने और दुष्कर्म की धमकी देकर गांव छुड़वा दिया


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
जयपुरटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

खाप पंचायत का फैसला:हत्या के आरोपी तीन युवकों का परिवार बेदखल, घर जलाने और दुष्कर्म की धमकी देकर गांव छुड़वा दिया

दुकानदारों ने सामान दिया तो 5 लाख जुर्माना, तीनों परिवार के 30 लोग सड़क पर रह रहे

जयपुर : खाप पंचायतों के फैसले रोकने के लिए कानून बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट कई बार सख्ती कर चुका है। इसके बावजूद इन पर रोक नहीं लग पाई है। नया मामला गंगापुरसिटी जिले के बामनवास थाना के छोटी लांक का है। यहां खाप पंचायत ने हत्या के आरोपी 3 युवकों के परिवारों को गांव से बेदखल कर दिया। पंचों ने गांव की नाड़ी से पानी लेने पर उसमें गंदगी तक मिलवा दी। गांव नहीं छोड़ने पर घर जलाने और दुष्कर्म करने तक की धमकी दी।

पंचों ने तीनों के घर के बिजली-पानी कनेक्शन काट दिए। खाप पंचों के फरमान के बाद तीनों परिवार इतने डर गए कि अगली ही रात महिलाएं-बुजुर्ग और बच्चे पैदल ही गांव से निकल गए। पीड़ित पंद्रह दिन पहले एसपी-कलेक्टर को शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन का कोई नुमाइंदा नहीं पहुंचा।

एक्सपर्ट व्यू : यह समानता के अधिकार के खिलाफ है

जातीय पंचायत का यह निर्णय संविधान के आर्टिकल 17 का उल्लंघन है। इसके तहत हर नागरिक को समानता का अधिकार प्रदान किया गया है। राजस्थान में भी महाराष्ट्र की तर्ज पर इसे लेकर अलग से कानून बनाने की जरूरत है। जिससे की इस तरह का निर्णय देने वाली जातीय पंचायतों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके।

-सुनील वशिष्ठ, एडवोकेट, राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर

महाराष्ट्र में तीन साल की सजा का प्रावधान

सामाजिक बहिष्कार करने वाली जात पंचायतों पर महाराष्ट्र में जातीय पंचायत और खाप पंचायतों में इस तरह के निर्णय में तीन साल की सजा का प्रावधान है।

रायसिह जयपुर पहुंचे और मुहाना मंडी रिंग रोड पर बने ओवरब्रिज के नीचे चार रात गुजारी। परिवार के दस लोग कहां जाते। रायसिंह पत्नी, मां, बेटे, बहू, दो पोते और तीन पोतियों के साथ रिंग रोड पर ही खाली जमीन पर रह रहे हैं। यहीं पर हरिसिंह भी अपने परिवार के साथ रहता है। उसके परिवार में प|ी, दो बहुएं, दो पोते, दो पोतियां और दिव्यांग बच्चा है।

सुखराम का परिवार 15 सितंबर को पूरी रात पैदल चल गुड़ला आया और जंगल में रहने लगा। परिवार में मां पूनीदेवी (90) पत्नी बची देवी (70), बेटे की बहू, दो पोते और दो पोतियां हैं। उस रात की पीड़ा बताते सुखराम की आंखें छलक पड़ीं। कहा-मन करता है कि आत्महत्या कर लूं। खाने तक के लिए पैसे तक नहीं है।

गांव में फसल खड़ी है, काटने नहीं दे रहे हैं। सुखराम का एक बेटा मानसिक रुप से पीड़ित है। उसे रिश्तेदार के पास छोड़कर आए हैं। गांव की नाड़ी से परिवार वालों ने पानी भरने की कोशिश की तो उसमें भी गंदगी मिला दी। खाप के इस निर्णय के खिलाफ पीड़ितों ने कलेक्टर और एसपी से शिकायत की तो पंचों को नागवार गुजरा।

Related Articles