[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

Fatima Sheikh: कहानी भारत की पहली मुस्लिम महिला टीचर की, जिनके घर पर शुरू हुआ था लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल!


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
आर्टिकल

Fatima Sheikh: कहानी भारत की पहली मुस्लिम महिला टीचर की, जिनके घर पर शुरू हुआ था लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल!

Who is Fatima Sheikh: समाजसेविका सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) के साथ मिलकर फातिमा शेख (Fatima Sheikh) ने लड़कियों और दलितों की शिक्षा पर काफी काम किया था. एक बार जब सावित्रीबाई फुले काफी बिमार पड़ गई थीं, तो अकेले फातिमा शेख ने पूरा स्कूल संभाला था. आज टीचर डे है. इस मौके पर जानें फातिमा शेख की वह कहानी जिसे इतिहास के पन्नों में कहीं जगह नहीं मिली.

फातिमा शेख की एकमात्र उपलब्ध तस्वीर सावित्रीबाई फुले और उनके दो छात्रों के साथ है।

फातमा शेख का जन्म : 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक लड़की का जन्म होता है, जो आगे चलकर इस देश की पहली महिला टीचर बनती है. मैं बात कर रहा हूं समाजसेविका सावित्रीबाई फुले की पिछले सप्ताह पूरे देश ने उनका जन्मदिन मनाया और लड़कियों के लिए किए गए उनके कामों को सराहा, बेशक सावित्रीबाई फुले ने देश की लड़कियों के लिए काफी कुछ किया है. अगर वह ना होती तो शायद लड़कियों की पढ़ाई के बारे में कोई बात तक नहीं करता, लेकिन सावित्रीबाई फुले के इस काम में बहुत सारे लोगों का सहयोग था, जिसे शायद इतिहास के पन्नों में वह जगह नहीं मिली जो उन्हें मिलनी चाहिए थी. उन्हीं में से एक नाम है फातिमा शेख, आखिर ये फातिमा शेख कौन हैं? आइये जानते हैं…

देश की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका:
आज से ठीक 193 साल पहले 09 जनवरी 1831 को फातिमा शेख का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. फातिमा शेख को पहली मुस्लिम महिला टीचर के रूप में जाना जाता है. जब सावित्रीबाई फुले अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ लड़कियों की शिक्षा पर काम कर रही थीं, और लड़कियों के लिए स्कूल खोलनी की योजना बना रही थीं. तभी उनका साथ देने फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख सामने आते हैं, और फिर शुरू होता है लड़कियों की पढ़ाई का सिलसिला.

फातिमा शेख के भाई ने दी थी सावित्रीबाई को अपने घर में जगह: 
बच्चों को पढ़ाने के लिए फातिमा शेख ने टीचर बनने की ट्रेनिंग भी ली और लोगों को मोटिवेट किया लड़कियों को पढ़ाने के लिए वक्त के साथ-साथ चीजें बदलने लगी और लोग अपने बेटियों को पढ़ाना शुरू करने लगे. ऐसा कहा जाता है कि जब ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने दलितों और महिलाओं की शिक्षा की बात करना शुरू किया तो उनके इस काम से नाराज होकर उनके परिवार वालों ने उन दोनों को घर से निकाल दिया था, तब दोनों पति-पत्नी को फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ने अपने घर में जगह दी थी.

अछूत लड़कियों को शिक्षा

फ़ातिमा शेख का जन्म 9 जनवरी 1831 और मृत्यु अक्टूबर 1900 के आसपास हुई. फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ज्योतिबा फुले के मित्र थे. ज्योतिबा फुले के पिता गोविंदराव ने जब समाज के दबाव में आकर अपने बेटे (बहू द्वारा) को अछूत लड़कियों को पढ़ाने का काम बंद करने को कहा तो ज्योतिबा ने कहा, वह यह काम बंद नहीं करेंगे. तब गोविंदराव ने गुस्से में आकर उन्हें घर से निकल जाने को कह दिया.

ज्योतिबा उसी स्थिति में सावित्री बाई के साथ घर से बाहर निकल गए. उस समय उस्मान शेख ने न केवल फुले दम्पति को अपने घर में रहने की जगह दी बल्कि उन्हें स्कूल खोलने के लिए अपना घर भी दे दिया. उसी दौरान उस्मान शेख के घर में रात्रिकालीन प्रौढ़ शिक्षण कार्य भी शुरू हुआ. इस स्कूल में स्त्री और पुरुष साथ-साथ पढ़ते थे.

फातिमा ने ली थी टीचर्स ट्रेनिंग

फ़ातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ अहमदनगर के एक मिशनरी स्कूल में टीचर्स ट्रेनिंग भी ली थी. फ़ातिमा शेख और सावित्री बाई ने लोगों के बीच जाकर उन्हें अपनी लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया. इस कार्य में कुछ लोगों ने उनकी सहायता भी की. दूसरी ओर ज़्यादातर लोगों ने उनका विरोध किया. फ़ातिमा शेख का फुले दम्पति के द्वारा किए जा रहे ज़्यादातर कामों में सहयोग रहा.

1856 में सावित्रीबाई जब बीमार पड़ गई तो वह कुछ दिन के लिए अपने पिता के घर चली गईं. वहां से वह ज्योतिबा फुले को पत्र लिखा करती थीं. उन पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार फ़ातिमा शेख ने उस समय स्कूल के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी भी उठाई और स्कूल की प्रधानाचार्या भी बनीं.

Related Articles