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सिंघाना नगरपालिका द्वारा मंदिर के पास डालने से आक्रोश:ग्रामीणों ने किया विरोध-प्रदर्शन, प्रशासन ने मांगा चार दिन का समय


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सिंघाना नगरपालिका द्वारा मंदिर के पास डालने से आक्रोश:ग्रामीणों ने किया विरोध-प्रदर्शन, प्रशासन ने मांगा चार दिन का समय

सिंघाना नगरपालिका द्वारा मंदिर के पास डालने से आक्रोश:ग्रामीणों ने किया विरोध-प्रदर्शन, प्रशासन ने मांगा चार दिन का समय

सिंघाना : सिंघाना नगरपालिका द्वारा ढाणा गांव की मुख्य सड़क पर स्थित नदी के पास बने मंदिर के नजदीक कचरा डाले जाने से स्थानीय लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके बाद शनिवार सुबह पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। हालांकि, प्रशासन ने कचरे के निपटान के लिए चार दिन का समय देने का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीणों ने कचरा डालने के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा और किसी भी सूरत में कचरा डालने की अनुमति न देने की मांग की।

ग्रामीणों का कहना है कि सिंघाना नगरपालिका को बार-बार इस समस्या से अवगत कराने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं किया गया है। शुक्रवार को कचरा डालने के लिए आए ट्रैक्टर को महिलाओं ने रोककर विरोध किया। इस पर एसडीएम हेमंत कुमार, नायब तहसीलदार बजरंग लाल, विकास अधिकारी दारा, ईओ सुरेश कुमार, चेयरमैन विजय कुमार पांडेय और एएसआई विद्याधर शर्मा मौके पर पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों ने कचरा डाले जाने की जगह का निरीक्षण किया और चार दिन में स्थायी समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन ग्रामीणों ने इस पर असंतोष जताया और प्रशासन को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से नदी में शहर का कचरा, मरे हुए जानवर और बदबूदार कचरा डाला जा रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है और घरों में बैठना मुश्किल हो गया है। गंदगी से मक्खियों और मच्छरों की संख्या भी बढ़ गई है। इसके अलावा, स्कूल के बच्चों को भी इस गंदगी के ऊपर से होकर गुजरना पड़ रहा है और अस्पतालों का कचरा भी यहीं डाला जाता है, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा है। पंचायत को बार-बार शिकायत की गई लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में कचरा डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मौके पर डीपी सैनी, मंगेजाराम, मनिराम, प्रहलाद सिंह, रोहिताश सैनी, भागाराम सैनी, सुल्तान सिंह, जुगल किशोर, सांवतराम, राजेंद्र सिंह, गोपीराम, रतिराम और कई अन्य ग्रामीण मौजूद थे।

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