विवादो के चलते एक साल का हुआ नीमकाथाना जिला:संस्कृत कॉलेज में कलेक्ट्रेट, गर्ल्स हॉस्टल में चल रहा एसपी ऑफिस
विवादो के चलते एक साल का हुआ नीमकाथाना जिला:संस्कृत कॉलेज में कलेक्ट्रेट, गर्ल्स हॉस्टल में चल रहा एसपी ऑफिस
नीमकाथाना : प्रदेश में नए जिलों के गठन को एक साल हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सात अगस्त को हवन-पूजा के साथ नए जिलों की पटि्टकाओं का अनावरण किया था। एक साल पूरा होने पर हमने दस ऐसे विभागों को देखा जो सीधे जनता से जुड़े हैं। जो तस्वीर सामने आई, उसके अनुसार सरकारी दफ्तरों में संसाधनों, स्टाफ और बजट की कमी यहां की सबसे बड़ी समस्या है।
कलेक्ट्रेट
कलेक्ट्रेट के पास अभी खुद का भवन नहीं। कलेक्ट्रेट संस्कृत कॉलेज भवन में चल रहा है। कलेक्टर आफिस के पास कंप्यूटर भी किराए के है। फर्नीचर-स्टेशनरी के लिए भी फंड नहीं मिला है।
शिक्षा विभाग
डीईओ को शाला दर्पण के यूजर आईडी पासवर्ड नहीं मिले हैं। ज्यादातर काम सीकर और झुंझुनूं से हो रहे है। भवन भी नहीं है। ना कोई बजट या स्टाफ मिला है। फर्नीचर भी किराए का है। डीईओ प्रारंभिक और माध्यमिक और सीडीईओ में 25 की जगह महज 11 का स्टाफ है।
स्वास्थ्य विभाग
दड़बेनुमा ऑफिस में छोटे से कमरे में 5-6 अधिकारी एकसाथ बैठने पर मजबूर हैं। स्टाफ की कमी है। ना ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। जिले में मिलावटखोरी रोकने के लिए कोई अधिकारी नहीं है। ड्रग इंस्पेक्टर नहीं है। एलडीसी यूडीसी और सपोर्टिंग स्टाफ भी नहीं है। पाटन और अजीतगढ़ नए ब्लाक मिले हैं। जिनमें बीसीएमओ के अलावा ना स्टाफ, ना भवन है। दोनों बीसीएमओ नीमकाथाना आकर बैठते हैं। सीएमएचओ के पास दो, एसीएमएचओ के पास एक भी स्टाफ नहीं है। फील्ड विजिट भी नहीं हो पाती।
रसद विभाग
स्थाई डीएसओ नहीं है। स्टाफ की भी कमी है।
जिला परिषद
जिला परिषद का गठन नहीं हुआ है। केवल एसीईओ लगाया गया है। उनके बैठने तक के लिए ऑफिस नहीं है। एक पुराने सरकारी आवासीय क्वार्टर में ऑफिस चल रहा है।
पुलिस विभाग
जिले में 12 पुलिस थाने, 12 चौकियां और 3 डीएसपी ऑफिस हैं। इनमें 5 ही थानों में इंस्पेक्टर हैं। कई चौकियों में तो स्टाफ तक नहीं है। पूरे जिले मे ट्रैफिक व्यवस्था के लिए महज 8 ट्रेफिक सिपाही हैं। थानों में स्टाफ की भारी कमी है। इस वजह से 15 घंटे तक पुलिस कर्मियों को काम करना पड़ रहा है।
परिवहन विभाग
नीमकाथाना की गाड़ियों के लिए जिले के लिए नंबर नहीं मिले हैं। डीटीओ नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में हर महीने नीमकाथाना-श्रीमाधोपुर के 300 वाहन मालिकों को अस्थाई परमिट, फिटनेस, वाहन ट्रांसफर, कर चुकता के लिए सीकर डीटीओ के पास फाइल लगानी पड़ रही है।
बिजली विभाग
एसई बैठने लगे हैं, मगर बिल अभी भी सीकर-झुंझुनूं से ही जनरेट हो रहे हैं।
रोडवेज
जिला होने के बावजूद डिपो नहीं है। बस ना ही ढंग का बस अड्डा है। बरसात में बस अड्डा भी डूब जाता है। ग्रामीण इलाके के लिए कोई बस कनेक्टिविटी नहीं है। महज एक रोडवेज कर्मी की ड्यूटी है जो दूसरे जिलों से आनेवाली बसों की रजिस्टर में एट्री कर लेता है।
पीडब्ल्यूडी
एसई बैठने लगे है। हाल ही में अपना नया भवन भी मिल गया है।
पीएचईडी
एसई नहीं है। पर्याप्त स्टाफ और संसाधन भी नहीं मिला है।
इनका ये कहना
कलेक्ट्रेट ओर अन्य दफ्तरों के लिए जगह देखी जा रही है। महिला एंड चाइल्ड हॉस्पिटल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही नया जिला अस्पताल का निर्माण कार्य चल रहा है। जैसे-जैसे नए कार्यालयों की स्वीकृति मिलेगी,कार्यालय स्थापित हो जाएंगे। ~ शरद, जिला कलेक्टर
पिछली कांग्रेस सरकार ने नए जिलों पर अच्छे तरीके से काम किया और नए जिलों को तैयार करके उनको सुचारु रूप से चालू किया। लेकिन भाजपा सरकार ना तो अभी नए जिलों में कोई बजट दे रही है और ना ही इन नए जिलों की सुध ले रही है। भाजपा सरकार ने तो इन जिलों की समीक्षा कमेटी और बैठा दी। ~ सुरेश मोदी, विधायक
जिले का विवाद :
आपको बता दे की खेतड़ी तहसील को नीमकथाना में शामिल करने का विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है, इस विवाद के चलते ही काँग्रेस के हाथो से खेतड़ी विधायक की सीट बीजेपी के पास चली गई लेकिन बीजेपी विधायक भी खेतड़ी को लेकर कोई उचित हल नहीं निकाल पाये।
आपको बताते चलें की खेतड़ी प्रदेश की राजधानी जयपुर के बाद कभी दुसरी सबसे बड़ी रियासत हुआ करती थी। कोटपुतली तक का क्षेत्र खेतड़ी रियासत के अधीन आता था। वर्तमान में खेतड़ी मे 135 राजस्व गांव है। यहा के लोगो का कहना है की खेतड़ी का अपना अलग गौरव है इसे किसी साथ ना मिलाकर इसको ही स्वतंत्रत जिला बनाने की घोषणा करे सरकार।