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168 बच्चों की तस्करी‎ का मामला; सभी 19 अभियुक्त बरी‎:पुलिस ने बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराने का न सबूत पेश किया ना ही एक भी गवाह


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168 बच्चों की तस्करी‎ का मामला; सभी 19 अभियुक्त बरी‎:पुलिस ने बच्चों से बंधुआ मजदूरी कराने का न सबूत पेश किया ना ही एक भी गवाह

9 मार्च 2013 को भरतपुर में ट्रेन से सरकार की चार एजेंसियों ने किया था प्रदेश का सबसे बड़ा रेस्क्यू‎

भरतपुर‎ : पुलिस बंधुआ मजदूरी के लिए 168 बच्चों की तस्करी के 11 साल पुराने केस में 19 अभियुक्तों को सजा दिलवाने में नाकाम रही। हमारे मीडिया कर्मी ने कारणों की पड़ताल की तो सामने आया कि बंधुआ मजदूरी कराए जाने का एक भी सबूत और स्वतंत्र गवाह कोर्ट में पेश ही नहीं किया। इस मामले में आईओ का स्थानांतरण होने पर आगे जांच किए बिना ही चार्जशीट पेश कर दी गई।

पीड़ितों से जयपुर के कारखानों में चूड़ी पर नगीने लगाने का काम कराया जाता था। जिन्हें सवा 11 साल पूर्व सियालदाह ट्रेन से बिहार जाते समय भरतपुर स्टेशन से रेस्क्यू किया गया था। प्रदेश में बाल श्रमिकों की तस्करी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी इस कार्रवाई को 9 मार्च 2013 को चार एजेंसियों ने मिल कर अंजाम दिया था।

एजेंसियों में बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, भरतपुर जिला पुलिस की मानव तस्करी विरोधी यूनिट और गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) शामिल थीं। जिन्हें जनरल कोच के टॉयलेट और सीटों के नीचे बच्चे दयनीय स्थिति में भरे हुए मिले थे। इनके साथ यात्रा करते हुए 39 संदिग्ध पकड़े गए। सभी बच्चे तथा आरोपी बिहार-झारखंड के रहने वाले थे।

पूर्व आईपीएस समीर कुमार सिंह के नेतृत्व में कोटा, सवाईमाधोपुर और भरतपुर की टीमों ने जांच की थी। वे उस समय जीआरपी अजमेर में एडिशनल एसपी नि​युक्त थे। सिंह का ट्रांसफर होने के बाद आगे जांच किए बिना ही 22 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी गई। जिनमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। आरोपियों को जयपुर के भट्टा बस्ती ले जा कर बनाए गए मौके नक्शों में चूड़ियां बनवाने के अलामात ही नहीं थे।

एक भी पीड़ित बच्चे की गवाही नहीं कराई गई। ना ही जिन परिसरों को किराए पर लेकर चूड़ी कारखाने चलाए जा रहे थे उनके मालिकों, ना ही पड़ोसियों को गवाह बनाया। जिससे कोर्ट में बालश्रम कराया जाना ही साबित नहीं हो सका। ट्रायल के दौरान एक अभियुक्त की मौत हो गई, जबकि दो फरार हो गए। ऐसे में अब बालक न्यायालय के जज केशव कौशिक ने बाकी सभी अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है।

एक्सपर्ट व्यू- दीपक चौहान, एडवोकेट, हाईकोर्ट

जांच में आ रहीं इन 6 खामियों के चलते 11 साल में भी आरोपियों को नहीं हो सकी सजा

1. कार्रवाई में बच्चों के साथ 39 लोगों को पकड़ा गया था। पुलिस ने 22 को गिरफ्तार कर चार्जशीट की। बाकी17 संदिग्ध व्यक्तियों को किस आधार पर मामले में शामिल होना नहीं पाया गया, इसका चार्जशीट में जिक्र तक नहीं किया गया।

2. बाल कल्याण समिति अध्यक्ष आलोक शर्मा ने बयान दिया कि किसी भी बच्चे का पिता उनके साथ नहीं था। दूसरी ओर आईओ ने कोर्ट में माना कि कुछ बच्चों के परिजन उनके साथ में थे।

3. जयपुर की भट्टा बस्ती में बनाए गए किसी भी मौका नक्शा में चूड़ी कारखाने के अलामात नहीं थे। पुलिस जब इन स्थानों पर गई, तब उसे कहीं भी बालश्रम होते हुए नहीं मिला।

4. एक भी पीड़ित बच्चे, चूड़ी कारखाना परिसरों के मालिकों, आस-पास रहने वालों, बालश्रम के प्रत्यक्षदर्शी या एक भी स्वतंत्र व्यक्ति को गवाह नहीं बनाया।

5. पुलिसकर्मियों ने कोर्ट में माना कि मौके पर मुलजिम का सामान रखा हुआ था और कुछ भी नहीं मिला था।

6. पुलिस की ओर से पेश बच्चों की सूची में एक पांच साल के बच्चे का नाम भी है। जिसके बारे में जज ने लिखा कि इससे किसी भी प्रकार का बालश्रम कराना नहीं माना जा सकता।

हम आदेश की प्रमाणित प्रति‎ निकलवा रहे हैं। न्यायिक आदेश को पढ़‎ कर तफतीश का परीक्षण कराया जाएगा।‎ जिसके आधार पर सभी आवश्यक‎ कार्यवाही की जाएगी।
राममूर्ति जोशी,‎ पुलिस अधीक्षक(जीआरपी), अजमेर‎

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