युवा संसद में नीट पेपर लीक,स्टूडेंट सुसाइड पर फूटा गुस्सा:छात्र बोले- सरकार में इतने घोटाले हैं कि एक वेब सीरीज बन जाए
युवा संसद में नीट पेपर लीक,स्टूडेंट सुसाइड पर फूटा गुस्सा:छात्र बोले- सरकार में इतने घोटाले हैं कि एक वेब सीरीज बन जाए

जयपुर : राजस्थान विधानसभा में शनिवार को स्कूली छात्र सीएम, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष बने। युवा संसद में स्टूडेंट्स ने पेपर लीक, कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड के मामलों में लचर सिस्टम पर जमकर आक्रोश जताया। छात्रों ने कोचिंग संस्थाओं के कामकाज के तरीकों और स्टूडेंट के बीच बढ़ते डिप्रेशन पर चिंता जताई।
नीट पेपर लीक से लेकर सिस्टम की खामियों पर जमकर तंज कसे। कोचिंग पर एक छात्रा ने कहा- हम अंधे की लाठी की जगह खुद अंधे बन गए हैं। दूसरी छात्रा ने कहा- सरकार पर लोगों का विश्वास नहीं है। इतने स्कैम (घोटाले) हैं कि एक वेब सीरीज बन जाए।
प्रश्नकाल में छात्रों ने विधायकों की तरह ही सवाल पूछे। उसी तर्ज पर मंत्री की भूमिका निभाने वाले छात्रों ने जवाब दिए। इसके बाद कोचिंग पर रेगुलेटरी बॉडी बनाने को लेकर प्रस्ताव पर बहस हुई। बहस में देशभर से आए स्टूडेंट्स ने कोटा में कोचिंग स्टूडेंट की सुसाइड पर नाराजगी जाहिर करते हुए सिस्टम की खामियां सुधारने का सुझाव दिया।

विहान बजाज बोले- विद्या की काशी मणिकर्णिका घाट बन चुकी
छात्र विहान बजाज ने कोटा में कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड के मामले को मार्मिक तरीके से उठाया। विहान ने कहा- प्रधानमंत्री ने जिसे विद्या की काशी कहा- वो विद्या की काशी आज मणिकर्णिका घाट बन चुकी है। कोचिंग वाले लुभावने विज्ञापन देते हैं। भरपूर विज्ञापन देकर आकर्षित करते हैं।
कोचिंग पर कंट्रोल के लिए एक रेगुलेटरी बॉडी बननी चाहिए, जो इन पर अंकुश लगाए। कोचिंग सिस्टम पर रेगुलेशन समय की मांग है। आज अकेला कोचिंग का रेवेन्यू 58 हजार करोड़ पार कर गया है। यह बढ़ता जा रहा है, लेकिन जैसे-जैसे कोचिंग वालों का मुनाफा बढ़ रहा है। उतना हर स्टूडेंट का डिप्रेशन भी बढ़ रहा है।
स्कूली सिलेबस पर क्यों नहीं होती जेईई, नीट की परीक्षाएं
छात्रा सौम्या सिंह भदौरिया ने कहा- आज कोचिंग संस्थान क्यों पनप गए, हमारी शिक्षा व्यवस्था की नाकामी के कारण पनप गए हैं। जेईई परीक्षा के लिए कहा जाता है कि एनसीईआरटी सिलेबस पर आधारित है। लेकिन ऐसा है नहीं। बच्चों को उसके बारे में स्कूलों में कहां तैयार किया जाता है।
जेईई में 14 लाख ने परीक्षा दी। सीट केवल 16 हजार है। यह परीक्षा स्कूली सिलेबस पर आधारित क्यों नहीं है? आज कोचिंग के साथ नकली स्कूल तक पनप गए हैं। शिक्षा को व्यापार बना दिया है। कोचिंग संस्थानों के लिए नियम लागू ही नहीं हो पा रहे हैं।
भदौरिया ने कहा- दुख की बात है कि युवा दबाव में आकर सुसाइड के लिए मजबूर हो रहे हैं। खुदकुशी करने वाले छात्रों का डेटा लगातार बढ़ रहा है। ये छात्र हमारे सिस्टम के लिए डेटा बनकर रह गए हैं। कोचिंग में नंबरों के आधार पर क्लास और फैकल्टी बदल जाती है। फीस तो सबने बराबर दी है, फिर यह भेदभाव क्यों? कमजोर छात्रों को कमजोर फैकल्टी दी जाती है।
कब तक ख्वाब बेजान किताबों के तले रोंदे जाएंगे ?
छात्र ध्रुवांश शाह ने कहा- कोचिंग संस्थानों में छात्र सुसाइड कर रहे हैं। आखिरी ऐसी कितनी जाने और जाएगी? कोचिंग संस्थानों को मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना होगा।
छात्रों के माता-पिता को भी अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है। कोचिंग संस्थान में एक मेंटल हेल्थ काउंसलर लगाए। बच्चों को अंधे कॉम्पिटिशन में धकेलने की जगह सब्जेक्ट में योग्य बनाए। समय आ गया है कि भारत सरकार कोचिंग के लिए रेगुलेशन बनाए, ताकि हमारे बच्चे सुसाइड नहीं करें।

निशा छेड़ा ने कहा- हम अंधे की लाठी की जगह खुद अंधे बन गए
निशा छेड़ा ने कहा- आज धर्म और शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है। शिक्षा दान की वस्तु है तो इसका बाजारीकरण क्यों? जब एक तरह की फीस ली जाती है। कोचिंग वाले कमजोर-होशियार छात्रों के अलग बैच बनाकर भेदभाव करते हैं। कोचिंग में 18-18 घंटे पढ़ाई का शेड्यूल बना रखा है। कोई बच्चा 18 घंटे रोज नहीं पढ़ सकता। जबरदस्ती की तो वह डिप्रेशन में जाएगा। कोचिंग का टाइम टेबल सरकार बनाए।
आईआईटी कानपुर में आधे घंटे की बैठक के बाद पेपर रद्द कर दिया, क्योंकि एक कोचिंग से पेपर लीक हो गया था। कोचिंग सेंटरों का सरकारी अफसर लगातार निरीक्षण करें, इनके लिए सख्त मॉनिटरिंग मैकेनिज्म बनाए जाने क जरूरत है। आज हर गली में कोचिंग सेंटर खुल गए हैं। हम अंधे की लाठी बनने की जगह खुद अंधे बन चुके हैं।

छात्रा श्रेया बोलीं- एनटीए का असली चेहरा सामने आ चुका, सिस्टम सुधरे
छात्रा श्रेया मुखर्जी ने कोचिंग संस्थानों पर सवाल उठाते हुए कहा- नियमों की बर्बादी हो चुकी है। नियमों के अनुसार 16 साल से कम आयु के बच्चे को कोचिंग में नहीं ले सकते। यहां तो आईआईटी की तैयारी छठी क्लास से ही कोचिंग में शुरू कर देता है।
दो कोचिंग वाले एक ही बच्चे का क्रेडिट लेते हैं। तीन विज्ञापनों में एक ही बच्चे के सिलेक्शन का दाव करते हैं। बच्चों में कॉम्पिटिशन की आग जला दी है। सवाल यह नहीं है कि आग किसने जलाई। सवाल यह है कि कोचिंग के हाथ तीली किसने दी। हालत यह है कि हम बच्चों की मौत सह लेंगे, लेकिन सिस्टम नहीं सुधारेंगे? एनटीए का असली चेहरा सह लेंगे, लेकिन सिस्टम वही रहेगा।
दिवा शर्मा बोलीं- एकलव्य का अंगूठा तो आज भी कट रहा है
छात्रा दिवा शर्मा ने लचर सिस्टम पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- किसी अर्जुन को श्रेष्ठ साबित करने के लिए हर युग में एकलव्य का अंगूठा कटाया गया। अंगूठे तो आज भी कट रहे हैं, लेकिन अब द्रोणाचार्यों ने दुर्बलता को कानून बना दिया है। पेपर लीक, संगठनात्मक भ्रष्टाचार आज के द्रोणाचार्य हैं।
2019 से 2024 के बीच 36 हजार बच्चों ने सुसाइड किया। कोचिंग सुसाइड के पीछे प्रेशर है। नीट की 50 हजार सीटों के लिए 25 लाख स्टूडेंट के बीच प्रतिस्पर्धा होती है।
जेईई में सीटें बढ़नी चाहिए। जब तक सीटें नहीं बढ़ती है, हालात ये ही रहेंगे।
दिवा ने कहा- कोचिंग संस्थान युवा पीढ़ी को लूट रहे हैं। एजुकेशन सिस्टम पर हम अपनी जीडीपी का बहुत कम खर्च कर रहे हैं। कोठारी कमीशन की सिफारिश के अनुसार जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च शिक्षा पर होना चाहिए। लेकिन हम 2.5 प्रतिशत ही खर्च कर रहे हैं। शिक्षा पर खर्च बढ़े और मेडिकल, आईआईटी की सीटें बढ़नी चाहिए।
छात्र कनक चंडक ने कहा- हमारे शिक्षा तंत्र की खामियों और क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिलने के कारण कोचिंग पनप गए। जब तक क्वालिटी नहीं होगी, तब तक शिक्षा में कोचिंग ऐसे ही चलते रहेंगे और हमारे बच्चे इसके शिकार बनते रहेंगे।

तेजस वशिष्ट बोले- कोचिंग वाले पढ़ाई में भेदभाव करते हैं
तेजस वशिष्ठ ने कोचिंग सेंटरों में बच्चों के साथ भेदभाव पर तंज कसा। तेजस बोले- नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि वापस युवा अवस्था में आते, लोग कहते हैं कि काश, हम बच्चे होते तो खेल कूद पाते। आज 56 प्रतिशत बच्चे ड्रिपेशन का शिकार हो चुके हैं।
60 प्रतिशत बच्चों के पास मेंटल हेल्थ सपोर्ट नाम की चीज नहीं है। क्या यह चिंता की बात नहीं है। कोचिंग में भेदभाव होता है। दो बच्चे कोचिंग में सेम फीस भरते हैं, लेकिन एक को टॉप बैच और दूसरे को लोअर बैच मिलता है। कोचिंग में समानता नाम की कोई चीज है नहीं। कोचिंग वाले मोटी फीस वसूलकर स्कॉलरशिप का दावा करते हैं, लेकिन इसमें भी खेल है। स्कॉलरशिप से ज्यादा तो फीस बढ़ा देते हैं। पहले 30 हजार फीस बढ़ाकर उतनी स्कॉलरशिप दे देते हैं।
कोचिंग मामलों की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट बनाने की मांग
हिमाक्षी शेखावत ने कहा- कोचिंग के मामलों में तुरंत सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट खोले जाने चाहिए। पेरेंट्स टीचर मीटिंग में पॉजिटिव पेरेंटिंग हो। कोचिंग वाले मनमानी फीस वसूलते हैं, इस पर कंट्रोल होना चाहिए।

आर्यन पांडे बोले- केवल 90 फीसदी वाले आईआईटी एंट्रेस दें तो भी 99 फीसदी बाहर रहेंगे
आर्यन पांडे ने आईआईटी की सीटें बढ़ाने की पैरवी करते हुए कहा- पूरे देश में 10वीं और 12वीं में 7 लाख से ज्यादा विद्यार्थी 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते हैं। हमारे यहां आईआईटी में सीटें केवल 17740 सीटें, यदि केवल 90 प्रतिशत वाले ही आईआईटी की परीक्षा दें तो 99 फीसदी का चयन नहीं होगा। इसलिए सीटें बढ़ाए जाने की सख्त आवश्यकता है।

भूमिका सैनी बोलीं- सरकार पर लोगों का विश्वास नहीं
नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रही भूमिका सैनी ने कोचिंग संस्थाओं पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने को लेकर सरकार पर तंज कसा। भूमिका ने कहा- सरकार पर लोगों का विश्वास नहीं है। इतने स्कैम (भ्रष्टाचार) हैं कि एक वेब सीरीज बन जाए। जहां सरकार पर लोगों को विश्वास नहीं है, वहां कोई रेगुलेटरी फ्रेमवर्क कैसे चल सकता है। आपके फ्रेमवर्क पर लोग कैसे विश्वास करेंगे?
जनता का विश्वास सरकार के साथ तो नहीं है। नीट की परीक्षा दोबारा करवाई, जो कुछ हुआ सबके सामने हैं। चाइल्ड हेल्थ, मेंटल हेल्थ पर ध्यान दिया जाए।

सिस्टम में सुधार हो
मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ एस ने कहा- यूपीएससी में आपने देखा होगा आजादी के बाद से लेकर अब तक पेपर लीक नहीं हुआ, क्योंकि वहां एक मजबूत संवैधानिक तंत्र है। वहां सिस्टम मजबूत है। हमें सुधार की तरफ बढ़ना होगा। क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करना होगा। टीचर-स्टूडेंट अनुपात सुधारने की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों में सस्ती दरों पर कोचिंग सुविधा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए, ऑनलाइन कोचिंग एक बढ़िया माध्यम हो सकता है। इसमें घर बैठे शिक्षा दी जा सकती है।

नोट छापने की मशीन बन गए हैं कोचिंग सेंटर
स्नेहा राठौड़ ने कोचिंग सेंटरों की मनमानी पर जमकर हमला बोला। स्नेहा ने कहा- कोचिंग सेंटर्स ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मौलिक अधिकार को विशेष अधिकार बना दिया है। असुरक्षा से घिरे पेरेंट्स की नजरों में कोचिंग सेंटर नोट छापने की मशीन बन गए हैं। कोचिंग संस्थानों की क्लास में 120 छात्रों पर एक शिक्षक है। क्या यह संख्या पर्याप्त है? आज कोचिंग सेंटर ने शिक्षा का आधा अधूरा स्वरूप सामने लाकर रखा है।