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पीने का पानी बना राजनीतिक फुटबाल


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पीने का पानी बना राजनीतिक फुटबाल

पीने का पानी बना राजनीतिक फुटबाल

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

पिलानी विधानसभा में पीने के पानी का ज्वलंत मुद्दों में से एक है । लेकिन लगता है कि इस मुद्दे को लेकर दोनों राजनीतिक दल संवेदनशील नहीं है । यथार्थ के धरातल पर काम न होकर केवल कागजों तक ही सीमित हो गया है । पिलानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक पितराम सिंह काला है जिन्होंने पानी की गेंद को केन्द्र के पाले में डालकर अपना पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं । लेकिन उनको शायद यह भान नहीं उनकी ही पार्टी के जिले के एक कद्दावर नेता जो केन्द्र में मंत्री थे इस मुद्दे का अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम क्षणों तक दोहन किया । केन्द्र में 2014 से पहले कांग्रेस की ही सरकारें रही है तब यमुना नदी का पानी शेखावाटी को क्यों नहीं मिला ? आखिर शीशराम ओला ने इस मुद्दे को लेकर केन्द्र सरकार से मांग क्यों नहीं की ? कांग्रेस ने केवल पानी के मुद्दे पर कोरी राजनीति की है और उसी का अनुसरण तत्कालीन विधायक जेपी चंदेलिया ने की और अपने कार्यकाल के पांच साल निकाल दिए । विदित हो अपने अभिनंदन समारोहों दावा किया था कि कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी रोजाना साठ लाख लीटर पानी चिड़ावा से मिलेगा तत्पश्चात यह पानी बजावा से दिलाने को लेकर डीपीआर व टैंडर होने का झूठा दिलासा देते रहे । खैर अब जेपी चंदेलिया भाजपा का अभिन्न अंग बन चुके हैं ।

भाजपा की बात करें तो लोकसभा चुनावों के मध्य नजर आनन फानन हरियाणा की भाजपा सरकार से यमुना जल समझोता को लेकर ओएमयू केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की मध्यस्थता में हस्ताक्षर किए गये । जिसमें स्पष्ट उल्लेख था कि आगामी चार महीनों में डीपीआर बनकर तैयार हो जायेगी । इसको लेकर भाजपा धन्यवाद सभाओं का आयोजन किया । 17 फरवरी को समझोता हुआ और चार महीने निकलने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आगामी चार महीनों में डीपीआर तैयार करने को लेकर घोषणा की यानी समझोता होने के चार महीने बाद जो ओएमयू मे अंकित था कि डीपीआर बनेगी वह खटाई में पड़ गया और चार महीने का झांसा जनता को दे दिया गया ।

राजनिति संभावनाओं पर टिकी रहती है । अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और यदि वहां सता परिवर्तन होता है तो इस ओएमयू का भी वही हश्र होगा जो पहले वाले ओएमयू का हुआ है । यमुना नदी का पानी शेखावाटी को मिले यह जिन्न हर चुनावों में बाहर निकल कर आ जाता है फिर पांच साल तक बोतल में बंद कर दिया जाता है । शेखावाटी के जनमानस को इन राजनीतिक दलों के झांसे में आने से बाज आना चाहिए कि यमुना जल का पानी शेखावाटी को मिलेगा । यह मुद्दा केवल मृग मरीचिका की तरह है जो आंखों से ओझल होता रहता है । आयुष अंतिमा हिन्दी समाचार पत्र ने इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर सरकारों के संज्ञान में लाने को लेकर पत्रकारिता के मानवीय मूल्यों को साकार किया है । इसी को लेकर जनता कि अदालत में भी एक प्रश्न रखा है कि क्या यमुना जल शेखावाटी को मिलेगा ? इसका एक ही उतर होगा कि यमुना जल शेखावाटी को मिलना तभी संभव होगा जब इसका राजनितिकरण न किया जाए व इस मुद्दे की आड़ में वोटो की फसल न काटी जाए । इस मुद्दे पर डिबेट से कुछ हासिल होने वाला नहीं । जनमानस को याद रखना होगा कि जन आक्रोश व जन आंदोलन के आगे सियासत की चूले हिलने में समय नहीं लगता है । इसको लेकर एक विस्तृत जन आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर सरकार को मजबूर किया जाए । इसके साथ ही पीने के पानी को लेकर तत्कालीन उपाय केवल और केवल कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी ही है इसको लेकर राजनीतिक दल अपनी इच्छा शक्ति का प्रदर्शन कर इसको पिलानी विधानसभा से जुड़वाने के लिए सरकार पर दबाव बनाए क्योंकि जब पीने का पानी ही नहीं होगा तो फसल तो आगे की बात है । पहली प्राथमिकता कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी पिलानी विधानसभा को मिले होनी चाहिए । सिंचाई के लिए यमुना जल को लेकर जनमानस को आंदोलनरत रहना चाहिए ।

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