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एक जुलाई से 3 नए कानून:पुलिस को हर तलाशी, बरामदगी और हादसे की वीडियोग्राफी करनी होगी, ऐप पर करना होगा अपलोड


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एक जुलाई से 3 नए कानून:पुलिस को हर तलाशी, बरामदगी और हादसे की वीडियोग्राफी करनी होगी, ऐप पर करना होगा अपलोड

एक जुलाई से 3 नए कानून:पुलिस को हर तलाशी, बरामदगी और हादसे की वीडियोग्राफी करनी होगी, ऐप पर करना होगा अपलोड

जयपुर : पूरे देश में 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू हो जाएंगे। इन कानूनों के तहत पुलिस को आरोपी के घर में घुसने, तलाशी लेने और हर बरामदगी की वीडियोग्राफी कर मौके पर ही मीमो बनाना होगा और वीडियो एप में अपलोड करने हाेंगे। लेकिन एनसीआरबी ने अब तक राजस्थान पुलिस को यह एप ही साझा नहीं किया है। इसके चलते पुलिसकर्मियों का न तो यह पता है कि एप कैसा होगा, कैसे काम करेगा और तकनीक क्या होगी। एप का ट्रायल नहीं होने से यह भी पता नहीं चल पाया है कि उसे चलाने में क्या समस्याएं सामने आ सकती हैं।

बता दें कि नए तीन कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) हैं। ये ब्रिटिश काल से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), इंडियन एविडेंस एक्ट और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) कानून की जगह लेंगे।

7 साल से ज्यादा की सजा पर फॉरेंसिक जांच जरूरी, लेकिन जिलों में लैब ही नहीं

पुलिस महकमे में वीडियो रिकॉर्डिंग की बात चर्चा का विषय बना हुआ है। थानों को इसके लिए अलग से कोई कैमरा भी नहीं दिया गया है। ऐसे में पुलिसकर्मियों को मोबाइल से ही वीडियो बनाकर मौके से ही एप पर अपलोड कर स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) व नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) को भेजनी हाेगी। साथ ही 7 साल से ज्यादा की सजा के मामलों की फॉरेंसिक जांच करवानी हाेगी। लेकिन प्रदेश में सभी जिलों में एडवांस फॉरेंसिक लैब ही नहीं है।

धारा-302 अब धारा-101 कहलाएगी; {अंग्रेजों के जमाने से हत्या के लिए लगाई जाने वाली आईपीसी की धारा-302 अब धारा-101 कहलाएगी। }ठगी के लिए लगाई जाने वाली धारा-420 अब धारा-316 होगी।} हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा-307 अब 109 कहलाएगी। }दुष्कर्म के लिए लगाई जाने वाली धारा-376 अब 63 होगी।

किस कानून में कितनी धाराओं में बदलाव

1. बीएनएसएस में 533 धाराएं रहेंगी। सीआरपीसी की 160 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी और 9 को हटा दिया है। 2. बीएनएस में 356 धाराएं होंगी। आईपीसी की 175 धाराओं में बदलाव किया गया है। 8 नई धाराएं जोड़ी हैं और 22 को हटा दिया है। 3. भारतीय साक्ष्य विधेयक में 170 धाराएं होंगी। एविडेंस एक्ट में 167 थी। 23 धाराओं में बदलाव किया है।

120 दिन बाद अभियोजन स्वीकृति स्वत:

1. धारा-218; सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति पत्र के 120 दिन में कार्यवाही नहीं हाेती है ताे स्वत: स्वीकृति मान ली जाएगी। 2. धारा 194; मर्ग मामलों की जांच 24 घंटे में मजिस्ट्रेट को भेजनी हाेगी। 3. धारा 193; पाेक्साे अधिनियम 2012 में 60 दिन में जांच पूरी करनी हाेगी। आराेप पत्र ऑनलाइन प्रस्तुत कर सकेंगे। 4. धारा 173; संज्ञेय मामलों में एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज करवाई जा सकती है। एफआईआर इलेक्ट्रॉनिक सूचना द्वारा भी दी जा सकती है, लेकिन सूचनाकर्ता को 3 दिन में हस्ताक्षरित करना जरूरी। 5. तीन वर्ष से अधिक और 7 वर्ष से कम सजा के मामलों में सीधे गिरफ्तारी नहीं। इसकी 14 दिन में जांच की जा सकती है, ताकि पता चले कि संज्ञेय अपराध घटित हुआ है या नहीं।

यूआर साहू, डीजीपी, राजस्थान
यूआर साहू, डीजीपी, राजस्थान

“1 जुलाई से पहले वीडियो रिकॉर्डिंग का एप उपलब्ध करवा दिया जाएगा। ट्रायल के जरिये पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी दिलवाई जाएगी।”
-यूआर साहू, डीजीपी, राजस्थान

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