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वर्ल्ड म्यूजियम डे पर पेरेंट्स के नाम किया एक कोना:जयपुर के चित्रकार विनय शर्मा की पहल, हर घर में एक छोटा सा म्यूजियम बने, पैरेंट्स की चीजों को किया डिस्प्ले


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वर्ल्ड म्यूजियम डे पर पेरेंट्स के नाम किया एक कोना:जयपुर के चित्रकार विनय शर्मा की पहल, हर घर में एक छोटा सा म्यूजियम बने, पैरेंट्स की चीजों को किया डिस्प्ले

वर्ल्ड म्यूजियम डे पर पेरेंट्स के नाम किया एक कोना:जयपुर के चित्रकार विनय शर्मा की पहल, हर घर में एक छोटा सा म्यूजियम बने, पैरेंट्स की चीजों को किया डिस्प्ले

जयपुर : वर्ल्ड म्यूजियम डे पर शहर के प्रसिद्ध चित्रकार विनय शर्मा ने जगतपुरा स्थित अपने म्यूजियम अतीत राग में नया इनोवेशन किया है। उन्होंने म्यूजियम के एक कोने को अपने पूर्वजों को समर्पित किया है। यहां उन्होंने स्मृतियों का कोना नाम देकर उनकी यादों को संजोया है। जहां उन्होंने एक लकड़ी का शोकेस तैयार कर अपने पिताजी मनोहर लाल शर्मा ’सुमन’ और माताजी शिव प्यारी देवी से जुड़ी वस्तुओं को उसमें प्रदर्शित किया है व उनकी सुनहरी यादों को म्यूजियम में जगह दी है। विनय शर्मा ने बताया कि आजकल लोग अपने अतीत को भूलने लगे हैं, जिसके कारण कुछ नया इनोवेशन नहीं कर पाते, बिना अतीत को जाने हम सुनहरे भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते। इसलिए उन चीजों को जिन्होंने समाज को बहुत कुछ दिया है, समाज को प्रसन्न चित्त रखा है और जीवंत रखा है। उन चीजों को सम्मान देने के लिए इस तरह का एक स्मृतियों का कोना म्यूजियम के रूप में तैयार किया है।

उन्होंने एक लकड़ी का शोकेस तैयार कर अपने पिताजी मनोहर लाल शर्मा ’सुमन’ और माताजी शिव प्यारी देवी से जुड़ी वस्तुओं को उसमें प्रदर्शित किया है।
उन्होंने एक लकड़ी का शोकेस तैयार कर अपने पिताजी मनोहर लाल शर्मा ’सुमन’ और माताजी शिव प्यारी देवी से जुड़ी वस्तुओं को उसमें प्रदर्शित किया है।

विनय ने बताया कि यह भी एक कला रूप है, जिसे वर्षों तक आपकी पीढ़ियां जुड़ी रहती है और पुरानी यादों को जीवंत करती रहती हैं। नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से अवगत भी होती रहती है। मैंने अपने स्मृतियों के इस कोने में पिताजी के चश्मे से लेकर उनके जैकेट और उनके लिखे कविता संग्रह को भी इसमें शामिल किया है। इसके अलावा माताजी का वह पात्र जिससे उन्होंने भगवान शिव जी की आराधना की, जल चढ़ाया, इसके अलावा उनकी रसोई का स्टोव और उनके द्वारा उपयोग में लाई अंगीठी को भी इसमें जगह दी है।

विनय ने बताया कि इस इनोवेशन में मेरी पत्नी प्रतिमा शर्मा और बेटे विभोर शर्मा का भी योगदान है।
विनय ने बताया कि इस इनोवेशन में मेरी पत्नी प्रतिमा शर्मा और बेटे विभोर शर्मा का भी योगदान है।

विनय ने बताया कि इस इनोवेशन में मेरी पत्नी प्रतिमा शर्मा और बेटे विभोर शर्मा का भी योगदान है। मेरे भाई डॉ विमल शर्मा और भाभी डॉ प्रेमा शर्मा व दूसरे भाई डॉक्टर विनोद शास्त्री और भाभी सुषमा शास्त्री का भी इसमें विशेष सहयोग रहा है। हम चाहते हैं कि ऐसा स्मृतियों को कोना हर परिवार में, हर घर में बने। इसके लिए हमने इस म्यूजियम में आम लोगों को भी आने के लिए आमंत्रित किया है, ताकि वह इससे इंस्पायर होकर अपने घर में एक छोटा सा म्यूजियम बना सके, इस म्यूजियम डे पर हमारा यह छोटा सा प्रयास है।

अपने स्मृतियों के इस कोने में पिताजी के चश्मे से लेकर उनके जैकेट और उनके लिखे कविता संग्रह को भी इसमें शामिल किया है।
अपने स्मृतियों के इस कोने में पिताजी के चश्मे से लेकर उनके जैकेट और उनके लिखे कविता संग्रह को भी इसमें शामिल किया है।

घर को बनाया म्यूजियम
जयपुर के जगतपुरा में रहने वाले विनय कुमार शर्मा ने अपने घर में ही एक मिनी स्टूडियो अतीत राग खोल रखा है। जिसमें पुराने समय के टेलीफोन, कैमरे, बाईस्कोप, टाइप राइटर, टेलीविजन, रेडियो, ग्रामोफोन जैसी तमाम चीजें हैं और इनमें से ज्यादातर एंटीक आइटम 100 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं। इसमें एक रेडियो कम्युनिकेशन का टेलीफोन है, जिसे विनय शर्मा जर्मनी से जयपुर लेकर आए थे।

माताजी का वह पात्र जिससे उन्होंने भगवान शिव जी की आराधना की, जल चढ़ाया, इसके अलावा उनकी रसोई का स्टोव और उनके द्वारा उपयोग में लाई अंगीठी को भी इसमें जगह दी है।
माताजी का वह पात्र जिससे उन्होंने भगवान शिव जी की आराधना की, जल चढ़ाया, इसके अलावा उनकी रसोई का स्टोव और उनके द्वारा उपयोग में लाई अंगीठी को भी इसमें जगह दी है।

अतीत राग स्टूडियो के बारे में विनय शर्मा बताते हैं कि जब वह 11वीं के स्टूडेंट थे, तक से ही उनका आकर्षण इन चीजों के लिए रहता था और तब से ही उन्होंने इन एंटिक चीजों को इकट्ठा करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने एक मिनी संग्रहालय तैयार कर लिया। विनय शर्मा बताते हैं कि ये सभी एंटिक सामान उस समय समाज के लोगों से जुड़े हुए और आज की तकनीक चीजों से बिल्कुल अलग हैं। अतीत राग में 100 साल पुराने ऐसे कीमती सामान हैं, जिसे उस समय हमारे पूर्वजों ने इस्तेमाल किया था।

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