फर्जी मार्कशीट वाली ओपीजेएस यूनिवर्सिटी को कौन बचा रहा?:पेपरलीक के मास्टमाइंड के पास भी मिली थी मार्कशीट, दो पुलिस थानों ने जांच तक नहीं की
फर्जी मार्कशीट वाली ओपीजेएस यूनिवर्सिटी को कौन बचा रहा?:पेपरलीक के मास्टमाइंड के पास भी मिली थी मार्कशीट, दो पुलिस थानों ने जांच तक नहीं की

जयपुर : चूरू की ओपीजेएस समेत देश की कई यूनिवर्सिटीज की 50 से अधिक मार्कशीट बरामद हुई थी। उसी वक्त कमिश्नरेट के अधिकारियों को साफ हो गया था कि पेपर लीक के मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका प्राइवेट यूनिवर्सिटी के जरिए फर्जी मार्कशीट बनवाकर विभिन्न विभागों में अयोग्य कैंडिडेट को भी नौकरी लगाने की एवज में मोटी रकम वसूल रहे हैं।
इसके बावजूद तत्कालीन जांच टीम ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
करणी विहार थाने में हुई एफआईआर के मुताबिक, चूरू स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की मार्कशीट मिलने पर पुलिस ने ओपीजेएस के रजिस्ट्रार से संपर्क किया।
इस पर उन्होंने दावा किया कि अंकतालिकाएं उनके यहां से नहीं जारी हुई हैं। यह सभी फर्जी हैं।

सारण के घर दबिश देने वाले थानाधिकारी बोले- मुझे मामले की जानकारी नहीं
हमारे मीडिया कर्मी ने मामले में तत्कालीन करणी विहार थानाधिकारी लिखमाराम से बात की। उनसे ओपीजेएस की फर्जी मार्कशीट के सत्यापन के बारे में पूछा।
इस पर लिखमाराम ने कहा कि उन्हें भूपेंद्र सारण के घर से बरामद हुई फर्जी मार्कशीट के सत्यापन के बारे में जानकारी नहीं है। इस मामले में वह जांच अधिकारी नहीं थे। फर्जी मार्कशीट का सत्यापन कैसे हुआ, वह नहीं जानते हैं।
जबकि हकीकत ये है कि टीम का नेतृत्व करते हुए लिखमाराम ने ही भूपेंद्र सारण के घर पर दबिश दी थी। ऐसे में संबंधित थाने में दर्ज मामले की जिम्मेदारी थानाधिकारी की होती है।
सारण की प्रेमिका के घर पर रेड मारने वाले थानाधिकारी ने भी पल्ला झाड़ा
दूसरी एफआईआर मानसरोवर थाने में हुई थी। पुलिस ने यहां से भूपेंद्र की प्रेमिका को गिरफ्तार किया था। कार्रवाई के दौरान यहां पर ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की दो मार्कशीट बरामद की गई थी।
यह फर्जी मार्कशीट बीकॉम की थी। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एंड एजुकेशनल ट्रेनिंग (एनटीटी कोर्स की डिग्री), हिमालय यूनिवर्सिटी, अरुणाचल प्रदेश, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फॉयर सेफ्टी इंजीनियरिंग की फर्जी मार्कशीट भी बरामद की गईं थी।
इस मामले में हमारे मीडिया कर्मी ने भूपेंद्र सारण की प्रेमिका के घर छापा मारने वाले तत्कालीन मानसरोवर थानाधिकारी दिलीप सोनी से बात की। ओपीजेएस की फर्जी मार्कशीट के सत्यापन के बारे में पूछने पर दिलीप ने भी पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने बताया कि इस मामले की मैंने जांच नहीं की है। इसलिए मैं कुछ नहीं जानता।

एक्सपर्ट बोले- रिकाॅर्ड से करना चाहिए था भौतिक सत्यापन
सेशन कोर्ट के अधिवक्ता महावीर सुरेंद्र जैन बताते हैं कि फर्जी दस्तावेज की जांच के मामले में पुलिस को संबंधित संस्था से भौतिक सत्यापन करवाना चाहिए था।
धारा 91 सीआरपीसी का नोटिस दिया जाना चाहिए और उस संबंधित संस्था के रिकॉर्ड से मिलान किया जाना चाहिए था।
ऐसे मामलों में आवश्यकता पड़ने पर एफएसएल जांच की जानी चाहिए। केवल टेलीफोन पर बातचीत काफी नहीं है।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार बोले- हमने रिकॉर्ड से मिलान किया था
हमारे मीडिया कर्मी ने मामले में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार रूपेंद्रसिंह उदावत से बात की। उनका तर्क है कि भूपेन्द्र सारण और उसकी प्रेमिका के घर पर छापे में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के नाम की फर्जी मार्कशीट मिली थी। घटना की जानकारी मिलने पर हमने बरामद हुई मार्कशीट का रिकॉर्ड से मिलान भी किया था। लेकिन, मार्कशीट का रिकॉर्ड से मिलान नहीं हुआ था। वह मार्कशीट फर्जी थी।

ऐसे मामले की तह तक पहुंची एसओजी
सरकार बदलने के बाद एसओजी ने मामले की दोबारा जांच शुरू की। ओपीजेएस का एक पूर्व कर्मचारी सुभाष उनके हत्थे चढ़ गया।
आरोपी सुभाष राजकीय उच्च माध्यमिक उच्च विद्यालय गुर्जा पंचायत समिति, बसेड़ी, धौलपुर में पीटीआई के पद पर कार्यरत था।
एसओजी ने सुभाष को जाल में फंसाने के लिए लाइब्रेरियन की भर्ती के लिए बैकडेट में फर्जी मार्कशीट के लिए उससे संपर्क किया।
बीस हजार रुपए का एडवांस भुगतान कर दिया गया और थोड़ी देर में वॉट्सऐप पर फर्जी मार्कशीट आ गई थी। 30 हजार रुपए अतिरिक्त देकर मूल कॉपी प्राप्त की गई।
एसओजी ने सुभाष को मौके से ही डिटेन कर लिया। एसओजी इस रैकेट में शामिल यूनिवर्सिटी, शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी कर रहे लोगों के बारे में पता लगा रही है।

मास्टर माइंड भूपेंद्र सारण-सुरेश ढाका से जुड़े हैं तार
जांच में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश से लेकर चूरू यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाने वालों के तार वरिष्ठ शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक के मास्टर माइंड भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका से जुड़े हुए हैं।
फायर सर्विसेज, पीटीआई, नर्सिंग, शिक्षक, काॅन्स्टेबल, उप निरीक्षक, लाइब्रेरियन समेत राज्य के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी मार्कशीट का प्रयोग कर नौकरियां लगवाईं गईं। वे बेसिक कोर्स की भी फर्जी मार्कशीट बनाते थे।