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रोज बोरिंग खुदवा रहे, पानी नहीं मिल रहा, चिंताजनक- एक-एक खेत में 5 से 7 ट्यूबवैल खुदवा बंद कराने पड़े


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रोज बोरिंग खुदवा रहे, पानी नहीं मिल रहा, चिंताजनक- एक-एक खेत में 5 से 7 ट्यूबवैल खुदवा बंद कराने पड़े

रोज बोरिंग खुदवा रहे, पानी नहीं मिल रहा, चिंताजनक- एक-एक खेत में 5 से 7 ट्यूबवैल खुदवा बंद कराने पड़े

पिलानी : जिले को आखिर यमुना नहर का पानी क्यों चाहिए, इसकी सच्चाई जाननी हो तो पिलानी इलाके के किसी भी गांव में चले आइए। यहां हर दिन कहीं न कहीं बोरिंग खुदाई की मशीन चलती नजर आ जाएगी। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि यहां सिंचाई के लिए पानी चाहिए, लेकिन भूमिगत जलस्तर नीचे चले जाने के कारण ट्यूबवैल सूख रहे हैं। इसलिए किसान खेतों में रोज बोरिंग खुदवा रहे हैं। एक एक खेत में 5 से 7 बोरिंग खुदवा चुके। पानी नहीं मिलने पर इन्हें बंद करवाना पड़ रहा है। पिछले तीन सालों से पिलानी पंचायत समिति के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में ऐसा ही हो रहा है।

पिलानी क्षेत्र के हमीनपुर, गाडोली, पाथड़िया, काजी, बिशनपुरा, केहरपुरा आदि गांवों में भूजल स्तर इतना नीचे चला गया है कि पानी की तलाश में यहां के किसानों ने करीब 14000 बीघा जमीन में 2200 से ज्यादा बोरिंग खोद डाले। एक खेत में तो 11 बार बोरिंग खोदे गए। पानी तो मिला नहीं उलटे पानी के लिए किसान लाखों रुपए के कर्ज तले जरूर दबता चला गया। यहां के बाशिंदों ने पीने व सिंचाई के पानी के लिए पिछले पांच सालों में जिला प्रशासन व सरकार से खूब गुहार लगाई, अनशन, धरने, प्रदर्शन भी किए, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार ग्रामीणों ने पानी नहीं मिलने तक लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय ले लिया। इन गावों के बुजुर्गों ने बताया कि यहां के लोगों की आजीविका का एकमात्र जरिया खेती है। गावों की 70 प्रतिशत जनता इसी पर निर्भर है।

पानी के अभाव में लोग बेरोजगार हो रहे हैं। कुछ लोगों की तो खेती के बिना कर्ज चुकाने की भी नौबत आ गईं है। ऐसी स्थिति में उनके पास कुछ और करने का भी कोई विकल्प नहीं है। हकीकत जानने भास्कर टीम इन गांवों में पहुंची तो किसानों ने अपने खेतों में ले जाकर बताया कि उन्होंने पिछले तीन साल में पानी के लिए कहां-कहां और कितने बोरिंग खुदवाए डाले। पिलानी कस्बे के आठ किलोमीटर के दायरे में बसे हमीनपुर, गाडोली, केहरपुरा, बिशनपुरा प्रथम व द्वितीय, काजी, पांथड़िया में किसानों ने पिछले तीन वर्षों में 1500 फीट गहराई तक 2200 से ज्यादा बोरिंग अपने खेतों में खुदवा लिए लेकिन पानी बमुश्किल इनमें से 10 फीसदी बोरिंग में ही मिला वह भी ना के बराबर। अब तो इस इलाके के ग्रामीण व किसान जमीनी पानी की आस ही छोड़ चुके हैं।

पानी मिला नहीं, कर्जे में डूबे किसान : किसानों ने बताया कि पानी की आस में खेतों में बोरिंग कर करके वे कर्जे में जरूर डूब गए लेकिन पानी नहीं मिला। कर्जा भी इतना हो गया है कि अगर फसलों के लिए पानी नहीं मिलेगा तो वे मरने पर मजबूर होंगे। उन्होंने बताया कि एक बार बोरिंग करवाने पर कम से कम तीन लाख रुपए का खर्चा आता है।

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