बेटों में विवाद,92 साल की मां को कोर्ट आना पड़ा:तीन भाइयों ने एक भाई पर लगाया आरोप-मिलने नहीं देता; चौथा बोला-प्रॉपर्टी चाहते हैं
बेटों के झगड़े में 92 साल की मां को आना पड़ा कोर्ट, एक ने दूसरे पर लगाया था मां को प्रताड़ित करने का आरोप

उदयपुरवाटी : 92 साल की बुजुर्ग मां को कोर्ट में पेश होना पड़ा। कारण चार बेटों में आपस का विवाद। मां अपने दूसरे नंबर के बेटे के साथ रहती है। बाकी तीन भाइयों ने आरोप लगाया कि वह उससे मिलने नहीं देता। जाते हैं तो ताला लगा देता है। पुलिस बुला लेता है। तीनों भाई मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे। जहां विवाद को समझने के लिए कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिए कि वह मां को कोर्ट में पेश करे। जिसके बाद बुधवार को बेटा ही मां को लेकर कोर्ट में पेश हुआ। जहां कोर्ट ने मां की इच्छा पूछी और फिर उसकी इच्छा पर उसे उसी बेटे के साथ वापस भेज दिया। मामला नीमकाथाना जिले के उदयपुरवाटी का है।
जानकारी के अनुसार उदयपुरवाटी के पास पचलंगी गांव की रहने वाली 92 वर्षीय जड़ाव देवी पत्नी स्व. मालीराम शर्मा के चार बेटे और एक बेटी हैं। सबसे बड़ा बेटा बजरंगलाल दूसरा बेटा प्रभुदयाल और इनसे छोटे दो बेटे कैलाश और सीताराम हैं। जबकि बेटी कौशल्या है, जिसकी शादी हो चुकी है। जड़ाव देवी अपने दूसरे नंबर के बेटे प्रभुदयाल और उसकी पत्नी मधु शर्मा के साथ जयपुर के कालवाड़ रोड रहती हैं। बड़े बेटे बजरंग लाल का आरोप है कि उसका भाई बाकी तीन भाइयों और बहन को मां से नहीं मिलने देता और जब भी जाते हैं तो झगड़ा करता है, मां को ताले में बंद कर देता है। जिस पर उसने उदयपुरवाटी कोर्ट में परिवाद दायर कर मां से मिलने देने की अपील की। इस अपील में बताया गया कि 14 मार्च को हम मां से मिलने गए तो उनको मिलने नहीं दिया। मां को ताले में बंद कर दिया। मेरी बहन का बेटा खत्म हुआ तब भी उसे लेकर नहीं आए। हम कोर्ट में गए तो कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि मां को पेश करे।

इस आदेश के बाद बुधवार को प्रभुदयाल खुद मां को लेकर कोर्ट में पेश हुआ। बुजुर्ग मां जब कोर्ट में पहुंची तो उसे देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति चौंक गया। झुका हुआ शरीर, कांपती हुई आवाज, पैर इतने कमजोर कि चलना भी मुश्किल और दिखना भी मुश्किल। दूसरों के सहारे जैसे तैसे यह वृद्ध मां अदालत के गलियारों और फिर कोर्ट रूम में पहुंची। इस दौरान बाकी तीन बेटों ने मां से मिलने की कोशिश की, लेकिन वकीलों ने उन्हें रोक दिया। तीनों बेटे और उनका परिवार उससे नहीं मिल पाए। कोर्ट में न्यायिक अधिकारी निलिमा पंवार ने वृद्धा से बात कर उनके बयान लिए। जिसमें वृद्धा ने प्रभुदयाल के साथ ही जाने की बात कही। जिस पर कोर्ट ने उसे वापस भेज दिया।

जानिए, क्या है पूरा विवाद
प्रभूदयाल (58) ने बताया कि 20 मार्च 2008 को उनके पिता मालीराम शर्मा की मौत हो गई थी। 2012 तक हम चारों भाई साथ ही रहते थे। इसके बाद उन लोगों मुझे अलग कर दिया। हमारा बंटवारा हो गया। जिसमें मुझे कोलकाता में एक दुकान हिस्से आई। मैं साल 1989 से कोलकाता में ही रहता हूं। गांव में मैं आता जाता रहता था। 2012 के बाद कुछ समय मैं गांव में ही रहा, तब मेरी मां जड़ाव देवी मेरे साथ ही रहती थी। 2018 में मां को लेकर मैं कोलकाता चला गया। मेरा बड़ा भाई बजरंगलाल कोलकाता की दूसरी दुकान संभालता है। वह भी वहीं रहता है। 2019 में करीब 6 महीनों के लिए बड़े भाई बजरंगलाल ने मां को अपने साथ रख लिया।
साल 2020 में मेरा जयपुर में मकान का काम चल रहा था। एक दिन बजरंगलाल रात के समय मां को मेरे जयपुर के निर्माणाधीन मकान पर छोड़कर चला गया। मैंने उससे कहा भी था कि मेरा मकान का काम पूरा होने तक आप मां को अपने पास रख लो, लेकिन वह नहीं माना। जिसके बाद से मेरी मां मेरे साथ जयपुर में रह रही है।
ईंट भट्टे के किराए को लेकर बड़े भाई ने ये किया-प्रभुदयाल
गांव की जमीन और अन्य प्रॉपर्टी सभी भाईयों और मां के नाम से है, लेकिन गांव में एक ईंट भट्टे और 4 बीघा के एक खेत को लेकर मेरे पिता ने डीड बनवाई थी। जिसमें उन्होंने लिखा था जब तक हम दोनों पति-पत्नी जीवित रहेंगे, हमारी सेवा करने वाला ही इस जमीन और भट्टे को संभालेगा। इससे जो भी आय होगी, वह उनकी सेवा करने वाले को मिलेगी। दोनों पति पत्नी के मरने के बाद ये प्रॉपर्टी चारों भाईयों के नाम हो जाएगी। भट्टा 10-15 साल से बंद पड़ा था। 2022 में मैंने 4 लाख रुपए साल के हिसाब से उसे किराए पर दे दिया। पहले साल का किराया छोटे भाई कैलाश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसको दिलवा दिया। अब दूसरे साल का किराया लेने का समय आया तो मैंने सोचा कि पैसा मां के नाम से आए, इसके लिए मां का अकाउंट खुलवाया। भट्टे वाले ने चेक तो दे दिया लेकिन जब उसे बैंक में जमा करवाया तो चेक बाउंस हो गया। जब उससे बात की तो उसने बताया कि उसने 8 लाख रुपए मेरे भाइयों को दे दिए हैं। पैसे नहीं देने पर किराएदार पर मैंने केस दर्ज कराया है। पूरे विवाद की जड़ यही है मेरे भाई चाहते हैं कि वे मां को ले जाएं और उसका अंगूठा लगवाकर चेक बाउंस के केस को खारिज करवा दें।
14 मार्च मां से मिलने नहीं आया बजरंगलाल
प्रभुदयाल ने बताया कि मेरे भाई मुझ पर आरोप लगाते हैं कि वे 14 मार्च को मां से मिलने आए थे तो मैंने मिलने नहीं दिया। ये बात बिल्कुल गलत है। मेरे घर सीसीटीवी लगे हैं। उस दिन कोई नहीं आया बल्कि इसके बाद इन लोगों ने मेरे खिलाफ कोर्ट में 20 मार्च को परिवाद दे दिया। जिस पर 27 मार्च को तीनों भाई और बहन उदयपुरवाटी और कालवाड़ थाने की पुलिस को लेकर जयपुर में मेरे घर आए। वे लोग इस उम्र में पुलिस के जरिए मां को ले जाना चाहते थे, लेकिन मां ने जाने से मना कर दिया। मां ने पुलिस को बताया था कि यहां मुझे सही से रख रहे हैं। जिसके बाद पुलिस चली गई। फिर मैं खुद ही मां को लेकर कोर्ट में पेश हुआ। जहां मां ने मेरे साथ ही आने की बात कही। कोर्ट में मां के बयान लिए गए। जिसके बाद जज ने उन्हें बयानों के नीचे अंगूठा लगाने के लिए कहा तो मां ने अंगूठा लगाने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि मेरे कहने पर ही अंगूठा लगाएंगी। जिस पर कोर्ट ने मुझे बुलाया। इसके बाद मां ने मेरे कहने पर ही अंगूठा लगाया।

तीन भाईयों का ये है आरोप
पूरे मामले में वृद्धा के सबसे बड़े बेटे बजरंगलाल ने बताया कि उनकी मां जड़ाव देवी बीमार है। उसका छोटा भाई मां को प्रताड़ित कर रहा है। मां पिछले तीन साल से प्रभुदयाल के पास रह रही है। मां को आंखों से दिखाई देना कम हो गया है, लेकिन उनका इलाज तक नहीं करवाया जा रहा है। हमसे मिलने नहीं देना ये कहां का न्याय हुआ। हम जब भी वहां जाते हैं तो वे लोग झगड़ा करते हैं। मां के कमरे के ताला लगा देते हैं। जो आरोप प्रभुदयाल और उसकी पत्नी लगा रही है। वैसा कुछ नहीं है। ईंट भट्टे को लेकर कोई विवाद नहीं है। जमीन और ईंट भट्टा चारों भाईयों के नाम है। इसमें विवाद जैसा कुछ नहीं है। हमें भी अपनी मां से मिलने का हक तो है ही। हम तो यहीं चाहते हैं कि मां हमारे पास रहे, लेकिन साथ भेजना तो दूर वह हमें मिलने भी नहीं देता।
मां को पेश करने के लिए कोलकाता से आया बेटा
वृद्ध महिला अपने बेटे प्रभुदयाल शर्मा व बहू मधु शर्मा के पास रहती है। 27 मार्च को उदयपुरवाटी पुलिस व कालवाड़ थाने की पुलिस वृद्धा को लेने के लिए उसके घर गई तो वह हवाई यात्रा करके उसी दिन कोलकाता से जयपुर आया। उसने 2 अप्रैल को न्यायालय में पेश होकर मां की हालत से न्यायालय को अवगत करवाया। मामले का निस्तारण करने के लिए वृद्धा को पेश करने बुधवार को गाड़ी से उदयपुरवाटी लेकर आए और न्यायालय में बयान करवाए।
वृद्धा ने बेटे की सहमति के बिना नहीं लगाया अंगूठा
बयान लेने के बाद जड़ाव देवी को बयानों के नीचे अंगूठा लगाने के लिए कहा तो बेटे से पूछे बिना अंगूठा लगाने से इनकार कर दिया। तब उसके बेटे प्रभुदयाल को न्यायालय में बुलवाया गया और उसके कहने पर ही जड़ाव देवी ने अंगूठा लगाया।
बहरहाल, चारों बेटों में विवाद और 92 साल की मां की कोर्ट में पेशी का यह मामला यहां चर्चित बना हुआ है।