पहली बार झालावाड़ से जयपुर-जोधपुर के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर:किडनी देकर किसान ने दो लोगों की जिंदगी बचाई, 140 की स्पीड में दौड़ी एम्बुलेंस
पहली बार झालावाड़ से जयपुर-जोधपुर के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर:किडनी देकर किसान ने दो लोगों की जिंदगी बचाई, 140 की स्पीड में दौड़ी एम्बुलेंस

जोधपुर : जोधपुर में मरीज की जान बचाने के लिए राजस्थान पुलिस ने 483 किमी तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया। यह कॉरिडोर झालावाड़ से जोधपुर एम्स तक बनाया गया था। ब्रेन डेड मरीज की किडनी को 5 घंटे में झालावाड़ से जोधपुर एम्स पहुंचाया गया।
जोधपुर में यह पहला मौका है जब आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए कॉरिडोर बनाया गया है। सुबह 11 बजे झालावाड़ से जोधपुर एम्स के लिए रवाना हुई एम्बुलेंस शाम 4:00 बजे पहुंची। डॉक्टरों ने पहले से तैयारी कर रखी थी। ट्रांसप्लांट करने के लिए ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।

झालावाड़ जिला हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. संजय पोरवाल ने बताया- उन्हेल थाना क्षेत्र के ग्राम बामन देवरिया निवासी भूरिया (30) पुत्र शांतिलाल गंभीर स्थिति में 22 फरवरी को झालावाड़ा जिला अस्पताल आए थे। उसके सिर पर चोट लगी हुई थी। मरीज ब्रेन डेड होने के बाद युवक के परिजनों से उसके ऑर्गन डोनेट करने की बात की गई। परिजन ने कहा कि अगर हमारे बेटे के अंगदान से तीन लोगों का जीवन बच सकता है तो हमारे लिए इससे ज्यादा खुशी क्या होगी। परिजनों की सहमति के बाद स्टेट लेवल कमेटी जयपुर को इसके बारे में बताया गया। इसके बाद अंग प्रत्यारोपण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया।

जोधपुर और जयपुर से एक-एक टीम शनिवार रात झालावाड़ पहुंची। कुल करीब 30 चिकित्सकों की टीम ने प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद जयपुर और जोधपुर के डॉक्टरों के निर्देशन में एक किडनी जोधपुर एम्स भेजी गई। एक किडनी और लीवर जयपुर भेजा गया। झालावाड़ अस्पताल में अंगदान कमेटी के नोडल अधिकारी न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट प्रभारी डॉ. रामसेवक योगी और झालावाड़ सीएमएचओ डॉक्टर साजिद खान ने प्रशासनिक समेत अन्य मामले में लगातार टीम का सहयोग किया।

एडिशनल एसपी की निगरानी में कॉरिडोर
अंगों को जयपुर और जोधपुर सुरक्षित और कम समय में भिजवाने के लिए कॉरिडोर बनाया गया। झालावाड़ के एडिशनल एसपी चिरंजी लाल मीणा की देखरेख में करीब 200 पुलिसकर्मियों ने झालावाड़ के पास कोटा जिले के सुकेत कस्बे के नजदीक तक की व्यवस्था संभाली। इसके बाद कोटा जिले की पुलिस ने इस व्यवस्था को संभाला। बूंदी-टोंक होते हुए जयपुर और जोधपुर सुरक्षित पहुंचाया गया। यह अंग 3 बजे जयपुर और 4 बजे जोधपुर पहुंचे।
पेड़ से गिरने पर लगी थी गंभीर चोट
भूरिया (मृतक) के भाई पप्पू लाल ने बताया- भूरिया 20 फरवरी को दोपहर में अपने खेतों में लगे पेड़ से टहनियां काट रहा था। इसी दौरान पैर फिसलने से नीचे गिर गया। परिजनों ने उसे उस दिन घर पर ही रखा। इसके बाद 21 फरवरी को चौहमेला सरकारी हॉस्पिटल ले गए, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद सिर में गंभीर चोट लगने के कारण एसआरजी जिला अस्पताल झालावाड़ रेफर कर दिया। भूरिया के परिवार में अब उसकी मां, पत्नी और चार बच्चे काजल (15), जसरथ (10), राजेंद्र (8), बंटी (5) हैं। पिता शांतिलाल की मौत हो चुकी है। भूरिया खेती करता था। चार भाइयों में दूसरे नंबर का था।