लखपति दीदियां बोलीं- महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं:किसान बोले- मोदी सरकार किसानों को मजदूर बनाने पर तुली, बजट के बाद मिलीजुली प्रतिक्रियाएं
लखपति दीदियां बोलीं- महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं:किसान बोले- मोदी सरकार किसानों को मजदूर बनाने पर तुली, बजट के बाद मिलीजुली प्रतिक्रियाएं

सीकर : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मौजूदा मोदी सरकार का आखिरी बजट पेश किया। बजट के बाद से किसानों, महिलाओं की कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। राजीविका में काम करने वाली लखपति दीदीयां बजट से खुश हैं तो वहीं किसान बजट से निराश है।
राजीविका से जुड़कर सखी समूह में काम करने वाली रचना का कहना है कि मोदी सरकार का यह बजट काफी सराहनीय है। जिससे समूहों से जुड़कर काम करने वाली लखपति दीदीयों का आंकड़ा और बढ़ जाएगा। रचना कहती है कि आज ज्यादातर महिलाएं आत्मनिर्भर हैं। महिलाएं स्वयं समूह चलाकर सालाना लाखों रुपए कमा रहीं हैं। रचना पशुपालन का काम करती है और दूध बेचकर सालाना लाखों रुपए कमाती है।
लखपति दीदी सुनीता कैंडी, जैम और आंवले के प्रोडक्ट बनाने का काम करती है। सुनीता का कहना है कि वह 2019 में राजीविका से जुड़कर अपना समूह चला रही है और अब वह प्रोडक्ट्स बनाकर लाखों रुपए सालाना कमा रही हैं। महिलाएं घर बैठकर रोजगार करना चाहती हैं उनके लिए राजीविका योजना काफी अच्छी है। सुनीता ने बजट को काफी अच्छा बताया।
बजट को बताया निराशाजनक
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़ ने कहा कि मोदी सरकार जब 2014 में सत्ता में आई थी तो किसानों को एमएसपी देने की बात कही थी। 2017 में इन्होंने कहा कि किसानों के आय दोगुनी करेंगे लेकिन इनकी नीतियां हमेशा किसानों के खिलाफ रही हैं। देश के सबसे बड़े किसान वर्ग जो देश को रोजगार, अन्न देता है सरकार ने बजट में उसे कुछ नहीं दिया।
किसान पूरणमल सुंडा ने मोदी सरकार के बजट को काफी निराशाजनक बताया। सुंडा ने कहा कि मोदी सरकार ने किसान की आय दोगुनी नहीं की बल्कि किसान को आधा कर दिया। सरकार किसानों की जमीन पर कब्जा करने के लिए किसान की 10 लाख रुपए की जमीन रख लेती हैं और उसे 1 लाख रुपए का लोन दे देती है। नरेंद्र मोदी सरकार किसान को मजदूर बनाने पर तुली हुई है।
जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार का चाहे अंतिम बजट हो या शुरुआती बजट हो लेकिन किसान वर्ग को हमेशा ठेंगा ही मिलता है। जाखड़ ने कहा कि 1994 के यमुना नदी समझौते को राष्ट्रीय योजना घोषित करने के लिए यहां के किसान आवाज उठाते हैं लेकिन बजट में उस पर भी कोई बात नहीं हुई। जिससे किसान काफी निराश हैं।