राजस्थानी में शपथ लेने पर रोका:दौर्भाग्यं वर्तते यद् राजस्थानस्य विधानसभायामेव राजस्थानी-भाषायां शपथं ग्रहीतुं न शक्नोमि…
राजस्थानी में शपथ लेने पर रोका:दौर्भाग्यं वर्तते यद् राजस्थानस्य विधानसभायामेव राजस्थानी-भाषायां शपथं ग्रहीतुं न शक्नोमि...
दुर्भाग्य है कि राजस्थान की विधानसभा में राजस्थानी में ही शपथ नहीं ले सकते
22 विधायकों ने संस्कृत में शपथ ली, दो राजस्थानी में लेने लगे, रोक दिया गया, भाषाओं की जननी संस्कृत को भी इस बात पर पीड़ा होगी
199 में से 191 विधायकों ने ली शपथ, आज अध्यक्ष का निर्वाचन
प्रदेश की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र बुधवार को शुरू हो गया। नव निर्वाचित 199 विधायकों में से पहले दिन 191 ने विधानसभा की सदस्यता की शपथ ली। इनमें से 22 ने संस्कृत में शपथ ली। हालांकि कई सदस्यों के उच्चारण में त्रुटियां सामने आईं। सबसे पहले सीएम भजनलाल शर्मा, दोनों डिप्टी सीएम दीया कुमारी व डॉ. प्रेमचंद बैरवा, उसके बाद प्रोटेम स्पीकर पैनल के सदस्यों दयाराम परमार व प्रतापसिंह सिंघवी को शपथ दिलाई गई। तीसरे सदस्य डॉ. किरोड़ीलाल मीणा देर से पहुंचे तो बाद में शपथ दिलाई गई।
अनुपस्थित रहे 8 सदस्य गुरुवार दोपहर 2:30 बजे शुरू होने वाली दूसरे दिन की कार्यवाही में शपथ ले सकेंगे। गुरुवार को ही विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और वासुदेव देवनानी आसन संभाल लेंगे। कुछ सदस्य राजस्थानी में शपथ लेने लगे लेकिन उन्हें इसके लिए अनुमति नहीं मिली।
कोलायत से भाजपा विधायक अंशुमान सिंह भाटी और शिव से निर्दलीय विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने तो राजस्थानी में पूरी शपथ पढ़ ली। पाली से कांग्रेस विधायक भीमराज भाटी, सूरतगढ़ से कांग्रेस विधायक डूंगरराम गैदर ने भी राजस्थानी में शपथ लेने का आग्रह किया। एक दिन पहले सूचित करने का हवाला देते हुए विशेष अनुमति मांगी। लेकिन प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने कहा कि आठवीं अनुसूची में शामिल भाषा में ही शपथ ले सकते हैं। इसके बाद इन सदस्यों ने हिंदी में ही शपथ ली।
बीकानेर पश्चिम विधायक बीडी कल्ला ने 1980 में और 2008 में देवी सिंह भाटी ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने की काेशिश की थी लेकिन अध्यक्ष ने इसके लिए अनुमति नहीं दी थी।
संस्कृत में शपथ की तैयारी ऐसे… संस्कृत भारती ने 50 से ज्यादा विधायकों काे भेजे थे ऑडियो
विधानसभा में 22 विधायकों ने संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण की। इसके पीछे संस्कृत भारती की ओर से किए गए प्रयास हैं। संस्था ने 50 से ज्यादा विधायकाें काे मोबाइल पर संस्कृत में शपथ के आॅडियाे भेजे। शपथ की हार्ड-साॅफ्ट काॅपी भी भेजी। संस्था के सदस्य कई विधायकाें से व्यक्तिगत मिले और संस्कृत में शपथ लेने का आग्रह किया। संस्कृत भारती के महानगर अध्यक्ष विष्णुशरण शर्मा, महानगर मंत्री वरुण कुमार और प्रांत कार्यकारिणी सदस्य भूपेंद्र सिंह ने वासुदेव देवनानी से मिलकर संस्कृत में शपथ लेने काे कहा। संस्था के प्रांत कार्यकारिणी सदस्य भूपेंद्र सिंह ने बताया कि हमने ऑडियो में संस्कृत के बहुत स्पष्ट शब्दाें में उच्चारण भेजे थे।
नियम…शपथ घनश्याम तिवाड़ी, विधानसभा नियमों के जानकार अनुमति ली जा सकती है।
बाधा…राजस्थानी उसमें दर्ज नहीं
राजस्थानी को 8वीं अनुसूची में लाने के लिए आंदोलन चलता रहा है। अभी तक लिपि तय नहीं होने और प्रदेश की अलग-अलग बोलियों के चलते एकराय नहीं बन पाई है।
तर्क… जोगेश्वर गर्ग ने कहा- 1999 में हुकुमदेव नारायण यादव व कीर्ति आजाद को लोकसभा में मैथिली में शपथ की अनुमति दी गई। जबकि मैथिली को 2003 में आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया। पांच साल पहले छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने अनुमति लेकर छत्तीसगढ़ी में अनुमति ली। वह आज भी अनुसूची में शामिल नहीं है। गोवा के एक सांसद ने पूर्व में लोकसभा में कोंकणी में शपथ की अनुमति ली थी। कांग्रेस के गोविंद डोटासरा ने कहा कि आठवीं अनुसूची में शामिल कराने का आश्वासन ही दे दें।
8वीं अनुसूची लोहै रै हरफा सूं कोनी लिखीज्योड़ी, बीं मांय दूजी भारतीय भासावां जोड़ी नीं जा सकै
मालचंद तिवाड़ी
राजस्थान विधानसभा रा केई विधायकां राजस्थानी भासा मांय पद री सौगन लेवण री मांग अबार राखी ही। अठै ओ बतावणो ई वाजबी लखावै कै छत्तीसगढ़ रा विधायकां ई आपरी सौगन छत्तीसगढ़ी में लैवण री मांग राखी ई कोनी बल्कै इण भासा में सौगन लीवी ही। राजस्थानी नै ना सिरफ साहित्य अकादेमी नवी दिल्ली अेक साहित्यिक भासा रै रूप में 1975 सूं मान्यता देय राखी है, बल्कै देस-विदेस रा कैई विश्वविद्यालयां मांय पढ़ाई ई जा रैयी है। अठै अेक नैतिक सवाल ओ ई ऊभो हुवै कै प्रदेस रा लगैटगै सगळा विधायक जिकी भासा में वोट मांगनै चुनाव जीत्या है, बा भासा राजस्थानी ई है, जिकी नै संविधान री आठवीं अनुसूची में ओजूं लग ठौड़ कोनी दिरीजी है। संविधान री आठवीं अनुसूची कोई लोहै रै हरफा सूं कोनी लिखीज्योड़ी है कै बीं मांय दूजी भारतीय भासावां जोड़ी नीं जा सकै।
आठवीं अनुसूची मांय लचीलोपण बीं रा निरमातावां खुद छोड़ राख्यो है कै बाद में भारत री दूजी उन्नत भासावां नै ई इण मांय सामल करी जा सकै। इणरा दाखला ई मौजूद है। गोआ अर महाराष्ट्र रै कोंकण क्षेत्र में बोलीजणआळी कोंकणी नै संविधान री आठवीं अनुसूची में सामल करियो गयो जदकै बीं री कोई आधिकारिक लिपि ही कोनी ही। जणै जिका विधायकां राजस्थानी में सौगन लेवण री मांग राखी, बा इण आधार माथै अेक नैतिक मांग है कै जिकै जन सूं बां जनभासा में संवाद कर’र चुनाव जीत्यो, बीं जनभासा नै बे लोकतंत्र री प्रक्रिया में ई जीवंत सरूप में काम में लेवणो चावै। आजादी पछै प्रदेस रो गठन भासाई आधार माथै ई हुयो हो फेर राजस्थान नै बीं री आपरी भाषा सूं क्यूं वंचित राख्यो गयो। विधायक ई क्यूं, भाजपा जिकी कनै अबार किणी ई भासा नै आठवीं अनुसूची में सामल करण री असीम सगती है, राजस्थान प्रदेस में आपरै चुनाव प्रचार री सामग्री में ‘आपणौ राजस्थान’ जिसी सबदावळी रो तड़को ई लगावती रैयी है। (राजस्थानी कवि-कथाकार व साहित्य अकादमी नई दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल के पूर्व संयोजक)
असल मांय मिनख री मायड़ भासा बीं रै सगळै सामाजिक-सांस्कृतिक गठन रै रोम-रोम अर रेशै-रेशै में रळियोड़ी हुवै। दुरभाग सूं राजभासा हिन्दी नै प्रतिष्ठित करण सारू राजस्थान प्रदेस नै हिन्दी भासी क्षेत्र मानण री सम्मति बीं टैम रो शासन मोटा नेतावां रै दवाब में दीवी ही। बां सूं ओ वादो करियो गयो हो कै मौकोआयां राजस्थानी नै बीं रो वाजबी हक आठवीं अनुसूची में सामल करता थकां दियो जावैला। राजस्थानी रै प्रतिष्ठा री मांग 1944 ई. में तत्कालीन बंगाल रै दीनाजपुर में (अबै बंगलादेस) पैलपोत राखीजी ही। फेर आ मांग इण भासा नै आठवीं अनुसूची में सामल करण री मांग में बदळगी।
बरस 2003 में राजस्थान विधानसभा इण आशय रो अेक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करनै केन्द्र सरकार नै भेज्यो, अणगिणत धरणा-प्रदर्सण हुयग्या, पण जनगणना रै छठै कालम में बार-बार करोडूं लोगां री मायड़ भासा सिद्ध हुयोड़ी राजस्थानी भारतीय लोकतंत्र रा सगळा परिसरां अर न्यायपालिकावां में गूंगी ऊभी रैवण रो अभिशाप झेल रैयी है। संसद अर विधान सभा ई नीं, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति कै जिला परिषद तकात में बीं री ठौड़ कोनी। नवी शिक्षा नीति री लाख मनसा हुवै कै टाबरां री प्राथमिक शिक्षा बां री मात भासा में हुवणी चाइजै, पण प्रदेस रा अेक पैला रा शिक्षामंत्री मुजब, ‘ फिलहाल राजस्थान की मातृभाषा हिन्दी है।’ चालतां- चालतां ई बहम रो ई निराकरण करणो लाजमी हुसी कै ‘राजस्थानी’ रो मतलब राजावां कै राज री भासा कोनी है बल्कै आ ‘रजस्थानी’ है, मतलब कै इण रजभोम मरुप्रदेस री भासा है। आ हरख री बात है कै संविधान रै ई अेक ‘ परंतुक’ रै हवालै सूं विधायकां छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी अर राजस्थान में राजस्थानी में सौगन लेय सक्या।