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झुंझुनूं में संविधान बचाओ मार्च:संवैधानिक संस्थाओं की कमजोरी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर संकट को लेकर प्रदर्शन


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झुंझुनूं में संविधान बचाओ मार्च:संवैधानिक संस्थाओं की कमजोरी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर संकट को लेकर प्रदर्शन

झुंझुनूं में संविधान बचाओ मार्च:संवैधानिक संस्थाओं की कमजोरी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर संकट को लेकर प्रदर्शन

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अंसार मुज्तर

झुंझुनूं : देश में संवैधानिक संस्थाओं के कथित रूप से कमजोर होने, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर संकट और दलितों, पिछड़ों तथा अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचारों के विरोध में बुधवार को झुंझुनूं में दलित-पिछड़ा-अल्पसंख्यक महासंघ ने प्रदर्शन किया। महासंघ के सदस्यों ने ‘संविधान बचाओ मार्च’ निकालते हुए जिला मुख्यालय पर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें देश की संवैधानिक आत्मा की रक्षा के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है। यह विरोध प्रदर्शन डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क से शुरू हुआ, जहां से महासंघ के कार्यकर्ता नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे।

संवैधानिक संस्थाएं हो रही हैं कमजोर

महासंघ ने राष्ट्रपति से अपील की कि वे संविधान के सर्वोच्च अभिरक्षक के रूप में आगे आएं और समाजवादी तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा सुनिश्चित करें। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि संविधान अपने 75वें वर्ष में होने के बावजूद पूरी तरह लागू नहीं हो सका है। संगठन ने हाल के वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं- सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग, विधि आयोग, लोक सेवा आयोग तथा अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग सहित पिछड़ा वर्ग आयोग—को कमजोर और अधिकारीविहीन बनाए जाने का गंभीर आरोप लगाया है।

संवैधानिक संस्थाओं की कमजोरी और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर संकट को लेकर प्रदर्शन

असंवैधानिक कार्यों पर NSA/UAPA के तहत कार्रवाई की मांग

महासंघ ने न्यायपालिका और लोकतंत्र दोनों के लिए शर्मनाक बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट राकेश किशोर द्वारा की गई “जूता फेंकने” जैसी हरकत का उल्लेख किया। उन्होंने मांग की कि ऐसे असंवैधानिक और देशद्रोही कृत्य पर एनएसए (NSA) और यूएपीए (UAPA) के तहत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, हरियाणा में अनुसूचित जाति वर्ग के एडीजीपी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या को जातीय उत्पीड़न और षड्यंत्र का परिणाम बताते हुए, संबंधित पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें निलंबित कर जेल भेजने की मांग की गई।

ज्ञापन में अनुसूचित जातियों व जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण देने, ओबीसी की जाति जनगणना कराने तथा मंडल आयोग और सच्चर आयोग की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांग की गई। इसके अतिरिक्त, रिक्त सरकारी पदों पर विशेष भर्ती अभियान चलाने की अपील भी की गई। पैदल मार्च में महासंघ के संयोजक बलवीर सिंह काला, रामानंद आर्य, मांगीलाल मंगल, कैप्टन मोहनलाल, महेंद्र चारावास, बजरंग लाल, मधु खन्ना, ममता गर्वा, एडवोकेट राकेश सबलानिया, धर्मपाल गांधी, डॉ. जगदीश बरवड़, कैलाश दास महाराज, यूनुस भाटी, वीरेंद्र मीणा, निरंजन आल्हा और सुभाष डिग्रवाल सहित विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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