अभिमान त्याग कर ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है : आचार्य रवि शंकर शास्त्री
अभिमान त्याग कर ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है : आचार्य रवि शंकर शास्त्री

शिमला : भक्ति स्व भंजन का नाम है। ज़ब मनुष्य अपनेपन का भाव त्याग कर अपने इष्ट को ही सब कुछ समझने लगता है यानी स्व का अभिमान पूर्ण रूप से दूर कर देता है, तब वह भक्त बन जाता है और उसे ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। उक्त विवेचना आचार्य रवि शंकर शास्त्री बनी वार्ड में चल रहीं श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन ध्रुव प्रसंग की व्याख्या करते हुए कही। आचार्य रवि शंकर शास्त्री ने बताया कि ध्रुव ने स्वयं को भगवान के चरणों मे समर्पित कर दिया तो भगवान प्रसन्न होकर प्रगट हो गए। कथा में भगवान कपिल के आध्यात्मिक प्रसंग की बड़ी सुंदर वैज्ञानिक व्याख्या की गई। शिव सती चरित्र सृष्टि वर्णन सहित अनेक सुंदर कथा भी सुनाई गई। कथा से पूर्व मुख्य यजमान देशराज व सरोज देवी एवं उनके परिवार द्वारा आचार्य रवि शंकर शास्त्रीके आचार्यत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भागवत पुराण एवं व्यास पूजन किया । कथा में ध्रुव वरदान की सजीव झाकी सजाई गई। भक्तिमय संगीत से आनन्द की वर्षा हुई। कथा मे पूर्व पवन कुमार कौशिक, सुभद्रा कौशिक कंवर सिंह यादव मास्टर अभिमन्यु पाराशर इंद्र जीत शर्मा रमेश कुमार बृजेश सुमेर सिंह दीपक संजय कुमार शारदा देवी संतरा सरोज भीम सिंह नागरमल कृष्ण कुमार महेश सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे मौजूद रहे।