[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

अन्नपूर्णा भंडार योजना की धीमी रफ्तार:सिर्फ 30 डीलरों ने कराया रजिस्ट्रेशन, दिसंबर तक लक्ष्य पूरा करना चुनौती


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

अन्नपूर्णा भंडार योजना की धीमी रफ्तार:सिर्फ 30 डीलरों ने कराया रजिस्ट्रेशन, दिसंबर तक लक्ष्य पूरा करना चुनौती

अन्नपूर्णा भंडार योजना की धीमी रफ्तार:सिर्फ 30 डीलरों ने कराया रजिस्ट्रेशन, दिसंबर तक लक्ष्य पूरा करना चुनौती

झुंझुनूं : जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने और आमजन को सस्ती दरों पर आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई अन्नपूर्णा भंडार योजना की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। प्रथम चरण में जिले की 70 राशन की दुकानों पर अन्नपूर्णा भंडार खोले जाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अगस्त शुरू होने तक सिर्फ 30 राशन डीलरों ने ही इसका पंजीकरण कराया है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या दिसंबर तक तय लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा?

जिले में वर्तमान में कुल 726 राशन की दुकानें हैं। इन्हीं दुकानों को बहुउद्देश्यीय अन्नपूर्णा भंडार के रूप में विकसित किया जाना है, ताकि गेहूं के अलावा अन्य रोजमर्रा के खाद्य उत्पाद जैसे दाल, तेल, मसाले, साबुन, टूथपेस्ट, कैटल फीड आदि भी एक ही जगह पर उपलब्ध हो सकें। इसके तहत राज्य सरकार ने राशन डीलरों को 2500 रुपए जमा कर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में शामिल होने का प्रावधान किया है। हालांकि अब तक केवल 30 डीलर ही आगे आ पाए हैं।

रसद अधिकारी डॉ. निकिता राठौड़ ने बताया, “झुंझुनूं जिले में प्रथम चरण में 70 राशन की दुकानों पर अन्नपूर्णा भंडार खोले जाएंगे। अब तक 30 राशन डीलरों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। लक्ष्य को दिसंबर तक पूरा करना है। योजना के तहत आमजन को सस्ती दरों पर रोजमर्रा की चीजें उपलब्ध कराना उद्देश्य है।”

नाबार्ड से दो लाख का ब्याज मुक्त ऋण

अन्नपूर्णा भंडार स्थापित करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले डीलरों को नाबार्ड की ओर से दो लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इस आर्थिक सहायता से डीलरों को भंडार शुरू करने और आवश्यक सामग्री की खरीद में मदद मिलेगी। योजना का उद्देश्य ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एक समान वितरण प्रणाली विकसित करना है, जिससे उपभोक्ता को सरकारी दरों पर खाद्य सामग्री के साथ अन्य जरूरी वस्तुएं भी आसानी से मिल सकें।

टेंडर प्रक्रिया बनी बाधा, फिर से मंगवाए जा रहे आवेदन

योजना की गति धीमी होने के पीछे राज्य स्तर पर हुई टेंडर प्रक्रिया को भी एक कारण माना जा रहा है। पहले चरण में जिन तीन फर्मों को सामग्री आपूर्ति का जिम्मा दिया गया था, उनकी दरें बाजार की तुलना में अधिक बताई जा रही हैं। कुछ उत्पादों की कीमतें बाजार से 10 से 50 रुपए तक अधिक होने के कारण उपभोक्ता इन भंडारों की बजाय खुले बाजार से ही खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब बाजार में सस्ती सामग्री उपलब्ध है तो लोग महंगी दरों पर अन्नपूर्णा भंडार से क्यों खरीदेंगे?

इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अब नई टेंडर प्रक्रिया शुरू कर रही है। इस बार अधिक संख्या में फर्मों और उत्पादकों को आमंत्रित किया जा रहा है ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और दरें स्वाभाविक रूप से कम हो सकें। जिला स्तर पर भी स्थानीय उत्पादनकर्ताओं और एग्रीगेटर्स से संपर्क किया जा रहा है और ईओआई (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) के माध्यम से भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

किराना से लेकर कैटल फीड तक एक ही छत के नीचे

अन्नपूर्णा भंडार योजना के तहत राशन दुकानों पर केवल सरकारी अनाज ही नहीं, बल्कि दैनिक उपयोग की सभी खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को गांव में ही किराने के सामान की सुविधा मिल सकेगी। वहीं पशुपालकों को भी कैटल फीड की खरीदारी के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी मानी जा रही है, जहां अभी तक किराना और अन्य जरूरी वस्तुओं के लिए उन्हें मुख्य बाजारों की ओर रुख करना पड़ता था।

लक्ष्य हासिल करना अब चुनौती

हालांकि रसद विभाग का दावा है कि दिसंबर तक प्रथम चरण का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह आसान नहीं लगता। अभी तक 70 में से केवल 30 डीलरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है और शेष 40 को मनाने में समय लग सकता है। खासकर तब, जब डीलर टेंडर दरों से संतुष्ट नहीं हैं और लाभ की संभावना कम नजर आ रही है।

डीलरों की शंकाएं भी आ रहीं सामने

जानकारों का कहना है कि कुछ राशन डीलर योजना को लेकर उत्साहित तो हैं, लेकिन सामग्री की दरें, आपूर्ति की विश्वसनीयता और भंडारण की चुनौती को लेकर वे हिचकिचा रहे हैं। साथ ही, ग्रामीण उपभोक्ता के पास नकद खरीद की सीमित क्षमता भी डीलरों को सोचने पर मजबूर कर रही है।

Related Articles