ओजटू गांव के राजकीय विद्यालय की जर्जर इमारत बनी खतरे का कारण, बच्चों की जान जोखिम में
दीवारों में दरारें, छत से टपकता पानी : प्रशासन की अनदेखी से ग्रामीणों में आक्रोश

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : निरंजन सैन
चिड़ावा : झुंझुनूं जिले के चिड़ावा क्षेत्र के समीप स्थित ओजटू गांव का राजकीय विद्यालय इन दिनों अपनी जर्जर इमारत के कारण चर्चा में है। विद्यालय भवन की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि हर रोज बच्चों और शिक्षकों की जान पर खतरा बना रहता है। स्कूल की दीवारों में गहरी दरारें और छत की पत्तियों में आई टूट-फूट स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जो किसी भी समय गंभीर हादसे का कारण बन सकती हैं। हाल ही में झालावाड़ जिले में एक जर्जर स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और कई के घायल होने की त्रासदी ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। बावजूद इसके, ओजटू विद्यालय के हालातों को लेकर स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता चिंता का विषय बनी हुई है। स्थानीय ग्रामीणों और बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूल की इमारत की स्थिति कई वर्षों से खराब है, लेकिन अब यह पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता है और दीवारों में सीलन के कारण दरारें और अधिक खतरनाक हो गई हैं। बच्चों को हर दिन एक अनिश्चित भय के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि झालावाड़ जैसी दुखद घटना के बाद भी प्रशासन नहीं जागा, तो ओजटू में भी वैसी ही कोई अनहोनी हो सकती है। उनका कहना है कि ऐसी घटनाओं से केवल दुख और आक्रोश ही नहीं फैलता, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन और विभाग कितने लापरवाह हैं।अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजते समय हर दिन डरते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए। गांववासियों ने शिक्षा विभाग से तत्काल प्रभाव से विद्यालय भवन की मरम्मत कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अब समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इसका खामियाजा पूरे समाज को उठाना पड़ सकता है। विद्यालय की जर्जर स्थिति न केवल विद्यार्थियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, बल्कि उनकी पढ़ाई भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। एक ओर जहां सरकार ‘सर्व शिक्षा अभियान’ और ‘विद्यालयों के आधुनिकीकरण’ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर दिखाई देती है।