उप पंजीयक कार्यालय पर राजस्व आसूचना निदेशालय का छापा:राजस्व नुकसान की जाँच शुरू, स्टे के बावजूद रजिस्ट्री, DLC रेट में हेरफेर और भू-उपयोग धोखाधड़ी की जांच
उप पंजीयक कार्यालय पर राजस्व आसूचना निदेशालय का छापा:राजस्व नुकसान की जाँच शुरू, स्टे के बावजूद रजिस्ट्री, DLC रेट में हेरफेर और भू-उपयोग धोखाधड़ी की जांच

झुंझुनूं : झुंझुनूं उप पंजीयक कार्यालय में राजस्व आसूचना एवं आर्थिक अपराध निदेशालय की टीम ने शुक्रवार को दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी है। इस जांच में स्टे आदेश के बावजूद रजिस्ट्रियां करने, कॉमर्शियल ज़मीन को रेजिडेंशियल दिखाकर बेचने और डीएलसी रेट में हेरफेर कर सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर मामलों की जांच की जा रही है।
राजस्व आसूचना निदेशालय के उपनिदेशक अनुराग यादव ने बताया, “मुख्यमंत्री दौरे के दौरान कुछ गंभीर शिकायतें मिली थीं, जिनमें स्टे के बावजूद रजिस्ट्री, डीएलसी रेट में अंतर और भूमि उपयोग में गड़बड़ी के मामले सामने आए। निदेशालय को पहले भी ऐसी शिकायतें मिलती रही हैं। इन्हीं के आधार पर टीम गठित कर जांच शुरू की गई है। हम यह भी जांच कर रहे हैं कि एक ही खसरे में अलग-अलग उपयोग कैसे दर्ज हुए और इसमें नियमों की क्या स्थिति है।”
उन्होंने बताया कि जांच पूरी होने के बाद निदेशालय एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसके आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि, “फर्क चाहे डीएलसी में हो या जमीन की प्रकृति में – सभी पहलुओं की तकनीकी जांच की जा रही है।”
जांच टीम ने खंगाले दस्तावेज: राजस्व को नुकसान और कानूनी अनदेखी
राजस्व आसूचना निदेशालय के उपनिदेशक अनुराग यादव के नेतृत्व में एक टीम, जिसमें तहसीलदार मनीषा शर्मा, सहकारिता निरीक्षक अंजू छोलक, कार्मिक अनिल और दिवेश सहित अन्य अधिकारी शामिल है।
टीम ने उपपंजीयक कार्यालय में दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी है। टीम का मुख्य ध्यान उन मामलों पर है जहां ज़मीन के वास्तविक उपयोग (यूज़ ऑफ लैंड) को गलत तरीके से दर्शाकर न केवल खरीदारों को भ्रमित किया गया, बल्कि सरकार के राजस्व को भी करोड़ों का चूना लगाया गया।
डीएलसी रेट में हेरफेर और भूमि उपयोग में धोखाधड़ी
टीम को जानकारी मिली कई मामलों में व्यावसायिक ज़मीन को जानबूझकर आवासीय दिखाकर रजिस्ट्री की गई ताकि डीएलसी रेट कम लगे और सरकार को कम राजस्व मिले। एक ही खसरे में अलग-अलग उपयोग दर्शाए गए हैं, कहीं रेजिडेंशियल तो कहीं कमर्शियल, और इसी भ्रम का फायदा उठाकर रजिस्ट्रियां की गईं।
स्टे आदेश के बावजूद रजिस्ट्रियां
शिकायतों में यह भी उजागर हुआ है कि कुछ मामलों में न्यायालय या प्रशासन द्वारा ज़मीन पर स्टे आदेश होने के बावजूद रजिस्ट्रियां कर दी गईं। टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किस स्तर पर स्टे की जानकारी होते हुए भी ये दस्तावेज निष्पादित किए गए और किसकी स्वीकृति से यह काम हुआ।
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद मिली शिकायतों का नतीजा
गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री के झुंझुनूं दौरे के दौरान स्थानीय लोगों ने उप पंजीयक कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ मौखिक रूप से शिकायतें दर्ज कराई थीं। इन्हीं शिकायतों के आधार पर महानिदेशक कुलदीप सिंह और अतिरिक्त निदेशक जय सिंह के निर्देशन में यह जांच टीम गठित की गई। टीम ने आते ही उपपंजीयक कार्यालय के पिछले रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए और संदिग्ध रजिस्ट्रियों को चिह्नित कर विशेष जांच में शामिल किया है।